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Action : हरिद्वार भूमि घोटाले में धामी सरकार की बड़ी कार्रवाई

दो आईएएस, एक पीसीएस अफसर समेत 12 सस्पेंड

देहरादून : उत्तराखंड की धामी सरकार सुशासन का एक नया आख्यान गढ़ रही है। चाहे वह नकलविरोधी अध्यादेश हो या नया भू-सुधार कानून। राज्य में कैंसर बन चुकी एक-एक समस्या का समूल समाधान धामी सरकार का मूल एजेंडा है जिसका वादा बीजेपी ने चुनाव के दौरान किया था। इसी क्रम में मंगलवार को हरिद्वार में 54 करोड़ के जमीन घोटाले में धामी सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है। मामले में दो आईएस और एक पीसीएस अफसर समेत 12 लोगों को सस्पेंड कर दिया गया है। डीएम, एसडीएम और पूर्व नगर आयुक्त पर भी कार्रवाई की गाज गिरी है। सूत्रों के अनुसार अब विजिलेन्स इस जमीन घोटाले की जांच करेगी।

उल्लेखनीय है कि मामला 15 करोड़ की जमीन को 54 करोड़ में खरीदने का है, जिसमें हरिद्वार नगर निगम ने एक अनुपयुक्त और बेकार भूमि को अत्यधिक दाम में खरीदा। न भूमि की कोई तात्कालिक आवश्यकता थी, न ही खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई। शासन के नियमों को दरकिनार कर बड़ी सफाई से यह घोटाला किया गया। जांच के बाद रिपोर्ट मिलते ही बड़ी कार्रवाई करते हुए हरिद्वार के जिलाधिकारी कर्मेन्द्र सिंह, पूर्व नगर आयुक्त वरुण चौधरी और एसडीएम अजयवीर सिंह को सस्पेंड कर दिया। इसके साथ ही वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, कानूनगों राजेश कुमार, तहसील प्रशासनिक अधिकारी कमलदास, और वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की को भी निलंबित किया गया।

बता दें कि उत्तराखंड में पहली बार ऐसा हुआ है कि सत्ता में बैठी सरकार ने अपने ही सिस्टम में बैठे शीर्ष अधिकारियों पर सीधा और कड़ा प्रहार किया है। हरिद्वार ज़मीन घोटाले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा लिए गए निर्णय केवल एक घोटाले के पर्दाफाश की कार्रवाई नहीं, बल्कि उत्तराखंड की प्रशासनिक और राजनीतिक संस्कृति में एक निर्णायक बदलाव का संकेत हैं। पहले चरण में नगर निगम के प्रभारी सहायक नगर आयुक्त रविंद्र कुमार दयाल, अधिशासी अभियंता आनंद सिंह मिश्रवाण, कर एवं राजस्व अधीक्षक लक्ष्मीकांत भट्ट और अवर अभियंता दिनेश चंद्र कांडपाल को भी सस्पेंड किया गया था। संपत्ति लिपिक वेदवाल का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है और उनके खिलाफ भी अनुशासनिक कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

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