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‘एक और गर्मी जेल में बिताने में समर्थ नहीं, चाहे तो घर में नजरबंद कर दो’

images (4)नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सहारा प्रमुख सुब्रत रॉय को छोड़ने पर उसे कोई ऐतराज नहीं है। लेकिन इसके लिए यह सुनिश्चित होना जरूरी है कि सहारा की संपत्ति बेचकर निवेशकों की पूरी रकम लौटाई जा सकेगी। इस संदर्भ में अदालत ने सहारा से अपनी पूरी संपत्ति का ब्योरा देने के लिए कहा है। सहारा के वकील ने इसके लिए दो सप्ताह का समय मांगा।

सुप्रीम कोर्ट ने सेबी से कहा था कि रकम जुटाने के लिए सहारा की संपत्ति बेचने की शुरुआत तुरंत कर दी जाए। कोर्ट ने संपत्तियों की कीमत आंकने के लिए सेबी से विशेषज्ञ पेशेवरों की मदद लेने के लिए भी कहा था। फिलहाल सहारा की 66 संपत्तियां सेबी को बेचने के लिए सुपुर्द की गई हैं। अदालत ने निर्देश दिया है कि अदालत की अनुमति के बिना किसी संपत्ति को सर्किल रेट के 90 फीसद से कम कीमत में न बेचा जाए। सेबी का कहना है कि जल्द ही संपत्तियों को बेचने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।

दूसरी ओर, सहारा के वकील ने अदालत से स्वास्थ्य के आधार पर सुब्रत राय के लिए जमानत की मांग की। उन्होंने कहा कि अदालत के आदेश का अनुपालन किया जा रहा है, ऐसे में उन्हें जमानत दे दी जानी चाहिए। वकील राजीव धवन ने कहा कि उनका मुवक्किल एक और गर्मी जेल में बिताने में समर्थ नहीं है। अदालत चाहे तो उन्हें घर में नजरबंद रहने का आदेश दे सकती है। इस पर अदालत ने कहा कि आदेश का ठोस अनुपालन तभी माना जा सकता है, जब सभी निवेशकों का पैसा लौटाया जा सके। हमें किसी को जेल में रखकर मजा नहीं आता, लेकिन रिहा करने के लिए हालात में बदलाव जरूरी है। आदेश का पूरा अनुपालन सुनिश्चित होना चाहिए।

बीते साल मांगी थी 30 माह की मोहलत

उल्लेखनीय है कि तिहाड़ जेल में बंद सहारा प्रमुख ने बीते साल सुप्रीम कोर्ट से आखिरी मौका मांगा था। सहारा ने याचिका देकर कहा था कि सुब्रत को जेल से बाहर आने दिया जाए। उनके बिना इतनी बड़ी रकम जुटाना मुमकिन नहीं है। सहारा ने रकम जुटाने के लिए 30 महीने की मोहलत मांगी थी। इसके बाद कोर्ट ने सुब्रत की रिहाई के लिए सहारा समूह से 5000 करोड़ रुपए की बैंक गारंटी और इतनी ही रकम सेबी के पास जमा कराने को कहा था। कोर्ट ने सहारा से निवेशकों को मय ब्याज 36 हजार करोड़ रुपए कुल नौ किस्तों में लौटाने का आदेश दिया था।

जेल में सुब्रत रॉय ने लिखी किताब

निवेशकों को 24 हजार करोड़ रुपये लौटाने के अदालत के आदेश को न मानने पर सुब्रत और उनके समूह के दो निदेशक 4 मार्च 2014 से जेल में हैं। यह रकम उनके समूह की दो कंपनियों एसआइआरईसीएल और एसएचएफसीएल ने 2007-2008 में निवेशकों से वसूली थी। सुब्रत रॉय ने इस दौरान जेल में एक किताब लिखकर बीते दिनों उसका विमोचन करवाया था।

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