तिरुवनंतपुरम : केरल में बड़ी संख्या में लोगें के विदेश जाने की वजह से कैथोलिक चर्च टेंशन में आ गए हैं। राज्य के युवाओं का रुझान शिक्षा और नौकरियों के लिए विदेश में बढ़ रहा है। बहुत सारे युवा यूरोप और कनाडा का रुख कर रहे हैं। युवाओं को राज्य में रोकने के लिए चर्चों ने एक अभियान चलाया है। बीते दो महीने से चर्च युवाओं को सरकारी नौकरियों की जानकारी दे रहे हैं ताकि वे यहीं नौकरी करें और राज्य में ही रहें। वे राज्य सरकार और केंद्र सरकार दोनों की भर्तियों के बारे में युवाओं को बताने में लगे हैं। उनका उद्देश्य है कि युवा सरकारी भर्तियों की परीक्षाओं में शामिल हों और यहीं नौकरी करें।
केरल का सबसे बड़ा चर्च माना जाने वाले साइरो मालाबार चर्च के सदस्य पहले ही बड़ी संख्या में विदेश जा चुके हैं और दुनिया के अलग-अलग हिस्सो में शेटल हो चुके हैं। बहुत सारे लोग यूएस, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया में रहने लगे हैं। पादरियों का कहना है कि केरल इस बड़ी संख्या में पलायन से सामाजिक संकट पैदा हो रहा है।
चर्चों की तरफ से जारी एक सर्कुलर में कहा गया, शांतिपूर्ण और आरामदायक जीवन के लिए हमारे जीवन विदेश जा रहे हैं। केरल में ईसाई समुदाय की बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय है। जो माता-पिता अपने बच्चों को बाहर भेज रहे हैं जल्द ही वे भी विदेशी धरती के ही हो जाते हैं। राज्य में बड़ी संख्या में घरों पर लटके ताले और यह ब्रेन ड्रेन एक सामाजिक संकट बन गया है। इस सर्कुलर में केंद्र और राज्य सरकार की नौकरियों को लेकर कहा गया है, अगर हमारे बच्चे कठिन परिश्रम करें और अवसरों पर ध्यान दें तो वे यहीं सफल हो सकते हैं। कई चर्च में सरकारी नौकरियों के लिए तैयारी का भी माहौल बनाया गया है।
केरल कैथोलिक बिशप काउंसिल के डिप्टी सेक्रेटरी जनरल जैकोब पलक्कापिल्ली ने कहा कि इस पलायन के दूरगामी परिणाम देखने को मिलेंगे। उन्होंने कहा कि राज्य में ऐसे कई परिवार हैं जिनमें केवल बुजुर्ग बचे हैं। युवा नौकरियों या फिर पढ़ाई के लिए विदेश चले गए हैं और वहीं शेटल हो गए। केरल में पहले से ही खाड़ी देशों में पलायन होता था। अब लोग पश्चिमी देशों में भी बसने लगे हैं। अब लोग परिवार के साथ विदेश चले जाते हैं इसलिए राज्य में पैसा भी नहीं भेजते। इससे अर्थव्यवस्था को भी नुकसान हो रहा है।