श्रीनगर: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बुधवार को पुलिस कांस्टेबल तौसीफ अहमद मीर समेत पांच सरकारी कर्मचारियों को आतंकी संगठनों से संबंध रखने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया। मीर पर हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करने और अपने दो सहकर्मियों की हत्या का प्रयास करने का आरोप है। केंद्र शासित क्षेत्र प्रशासन ने संविधान के अनुच्छेद 311 (दो) (सी) के तहत बनी एक समिति के सुझाव के बाद कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी। इस अनुच्छेद के तहत राज्य की सुरक्षा के हित में बिना जांच के बर्खास्त किया जा सकता है। पिछले साल से लेकर अब तक विशेष प्रावधान के तहत 34 कर्मचारियों को बर्खास्त किया जा चुका है।
इस प्रावधान के तहत नौकरी से निकाले गए कर्मचारी याचिका के साथ केवल हाईकोर्ट का रूख कर सकते हैं। गृह विभाग और पुलिस के अधिकारियों को मिलाकर एक समिति का गठन किया गया था ताकि आतंकी समूहों से संबंध वाले सरकारी कर्मचारियों की पहचान कर उन्हें निकाला जा सके। एक आधिकारिक आदेश के अनुसार, मीर का पिता अल-जिहाद संगठन का आतंकवादी था जिसे 1997 में हुई एक मुठभेड़ में मार गिराया गया था। मीर बाद में पुलिस में शामिल हो गया था लेकिन उसने खुफिया तरीके से हिजबुल मुजाहिदीन के लिए काम करना शुरू कर दिया था और बाद के सालों में कई आतंकी कमांडरों के करीब आ गया था। उसे जुलाई 2017 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था लेकिन बर्खास्त नहीं किया गया था।
मीर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा
आदेश में कहा गया कि मीर राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बन गया था इसलिए सरकार ने उसे बर्खास्त करने का निर्णय लिया। इसके साथ ही कांस्टेबल शाहिद हुसैन राठेर, गुलाम हसन पर्रे (कंप्यूटर ऑपरेटर), अरशद अहमद दास (शिक्षक) और शराफत अली खान (अर्दली) को भी नौकरी से निकाल दिया गया है। आदेश में कहा गया कि पर्रे प्रतिबंधित संगठन जमात ए इस्लामी का सदस्य है। उस पर युवाओं को आतंकी संगठनों में शामिल होने के लिए उकसाने का आरोप है। पर्रे ने 2009 में परिमपोरा में हिंसक प्रदर्शन आयोजित किया था। इसके लिए पुलिस ने उस पर मामला दर्ज किया था।
IS का प्रोपगैंडा फैलाने में मदद की
हसन पर आरोप है कि जब प्रतिबंधित संगठन इस्लामिक स्टेट (आईएस) ने जम्मू कश्मीर में गतिविधि शुरू करने की कोशिश की तो हसन ने संगठन का प्रोपगैंडा फैलाने में मदद की। अवंतीपोरा में शिक्षक अर्शिद अहमद कथित तौर पर जमात ए इस्लामी की गतिविधियों से जुड़ा था। आदेश में कहा गया कि वह हिजबुल मुजाहिदीन से करीब से जुड़ गया था और शिक्षक के रूप में आतंकी गतिविधियों का समर्थन कर रहा था। अहमद पर आरोप है कि उसने अवंतीपोरा में सीआरपीएफ कर्मियों पर पथराव करने के लिए भीड़ एकत्र की।