छत्तीसगढ़राज्य

प्रदेश के 07 जिलों की 67 लाख आबादी को खिलायी जाएंगी फाइलेरियारोधी दवाएं

रायपुर : राज्य में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए लगातार प्रयास किये जा रहे हैं। केंद्र व राज्य स्तर पर 2027 तक फाइलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य रखा गया है। फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन हेतु मीडिया सहयोगियों की महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए आगामी 10 अगस्त से राज्य के फाइलेरिया प्रभावित 7 जिले (दुर्ग, बालोद, बेमेतरा, जांजगीर चाम्पा, सक्ति, महासमुंद, मुंगेली) के 23 विकासखण्डों की 67 लाख आबादी को फाइलेरिया मुक्त करने के लिए सामूहिक दवा सेवन गतिविधि की शुरूआत की जा रही है। दवा सेवन गतिविधि के प्रति जन-मानस में अधिक से अधिक जागरूकता फैलाने के लिए आज रायपुर स्थित पुराने डीएचएस भवन के डीकेएस परिसर में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, छतीसगढ़ द्वारा फाइलेरिया उन्मूलन में मीडिया सहयोगी संस्था ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज के समन्वय से प्रमुख मीडिया संस्थानों के सम्पादकों , उप-सम्पादकों एवं ब्यूरो चीफ को फाइलेरिया रोग के प्रति और अधिक संवेदनशील करने के लिए एडिटर्स मीट का आयोजन किया गया।

इस अवसर पर संचालक महामारी नियंत्रण, डॉ. सुभाष मिश्रा ने उपस्थित मीडिया सहयोगियों से संवाद करते हुए बताया कि राज्य सरकार फाइलेरिया रोग के उन्मूलन हेतु प्रतिबद्ध है और राष्ट्रीय फाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम के दिशा-निर्देश के अनुसार लोगों को इस रोग से सुरक्षित रखने के लिए सामूहिक दवा सेवन गतिविधि आयोजित की जा रही है। उन्होंने बताया कि संक्रमित क्युलेक्स मच्छर के काटने से फैलेने वाला यह एक भयावह रोग है। जिसमें एक बार शारीरिक अंगों में सूजन आ जाए तो कोई उपचार या आॅपरेशन सफल नहीं होता। चूँकी इसकी पहचान सूजन आने से होती है ,जिसका उपचार नहीं हो पाता, अत: बचाव ही इसका एकमात्र उपचार है। यह संक्रमण मच्छर से फैलता है , अत: मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए ,घर के आसपास पानी जमा न होने दें, साफ सफाई रखें तो फाइलेरिया के साथ मलेरिया और डेंगू से भी बचा जा सकता है।

किसी भी आयु वर्ग में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इससे बचाव न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया के कारण चिरकालिक रोग जैसे हाइड्रोसील (अंडकोष की थैली में सूजन), लिम्फेडेमा (अंगों की सूजन) व काइलुरिया (दूधिया सफेद पेशाब) से ग्रसित लोगों को अक्सर सामाजिक बहिष्कार का बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका व काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है। उन्होंने बताया कि सामूहिक दवा सेवन कार्यक्रम के दौरान,फाइलेरिया रोधी दवाएं स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा घर-घर जाकर, अपने सामने नि:शुल्क खिलाई जाएगी। ये दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं।किसी भी स्थिति में, दवाओं का वितरण नहीं किया जायेगा। दवाई का सेवन खाली पेट नहीं करना है। 2 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को फाइलेरिया रोधी दवाएं नहीं खिलाई जाएगी।

चर्चा में दौरान अपर निदेशक, राष्ट्रीय वेक्टर जनित रोग नियंत्रण केंद्र, भारत सरकार, डॉ. नूपुर रॉय ने कहा कि फाइलेरिया, भारत की एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य की समस्या है। यह बीमारी देश के 16 राज्यों और 5 केंद्र शासित प्रदेशों के 328 जिलों में फैली हुई है। इस समय भारत में लगभग 65 करोड़ लोग इस रोग से संक्रमित होने के जोखिम में हैं। उन्होंने यह भी कहा कि सभी पात्र लाभार्थियों द्वारा साल में केवल एक बार, 5 साल तक लगातार फाइलेरिया रोधी दवाएं खाने से फाइलेरिया का सम्पूर्ण उन्मूलन किया जा सकता है.

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