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कोविड योद्धा: आशा कार्यकर्ता उत्तर प्रदेश में कोविड युद्ध में अग्रिम मोर्चे पर

1.6 लाख आशा कार्यकर्ताओं ने लौटने वाले 30.43 लाख प्रवासियों का पता लगाया

लखनऊ: देश में कोविड-19 के मामलों में तेज बढोत्तरी एवं हॉटस्पॉट क्षेत्रों से प्रवासी आबादी के प्रवेश के साथ, उत्तर प्रदेश (उप्र) की बड़ी चुनौतियों में एक लौटने वालों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं की पूर्ति करना एवं इसकी ग्रामीण आबादी में इस बीमारी के प्रसार को रोकना था। आशा कार्यकर्ताओं ने इस संकट के दौरान कोविड-19 प्रबंधन की सहायता करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इस विशाल प्रक्रिया में उत्तर प्रदेश की 1.6 लाख आशा कार्यकर्ताओं ने दो चरणों में-पहले चरण में 11.24 लाख एवं दूसरे चरण में 19.19 लाख-लौटने वाले लगभग 30.43 लाख प्रवासियों का पता लगाया। उन्होंने कौंटैक्ट ट्रेसिंग एवं समुदाय स्तर निगरानी में सहायता की।

आशा कार्यकर्ताओं ने न केवल लक्षणों वाले 7965 व्यक्तियों का पता लगाया बल्कि नियमित रूप से उनके स्वास्थ्य की स्थिति पर नजर रखी। उन्होंने लौटने वाले 2232 व्यक्तियों से नमूना संग्रह में सहायता की जिसमें से 203 पोजिटिव पाए गए तथा कोविड स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं के लिए रेफर किए गए।

ग्राम प्रधान के तहत सभी गांवों में निगरानी समितियों का गठन किया गया है। समिति के सदस्य,स्वयंसेवी कार्यकर्ता आशा कार्यकर्ताओं के संपर्क में रह कर पहरेदारी करते हैं और उन्हें गांव में प्रवासियों के बारे में जानकारी मुहैया कराते हैं, जो इसके बाद प्रवासियों से जुड़े अनुवर्ती कार्रवाइयों में उनकी सहायता करती हैं।

बचाव सम्बन्धी कार्यों में निभाई बड़ी भूमिका

आशा कार्यकर्ताओं ने बचाव संबंधी उपायों जैसे कि साबुन और पानी के साथ नियमित रूप से हाथ धोने, सार्वजनिक स्थान पर जाने से पहले मास्क लगाने के महत्व एवं समुचित सामाजिक दूरी बनाये रखने आदि के बारे में समुदायों को संवेदनशील बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हैं।

उनकी कोशिशों के परिणामस्वरूप, अनिवार्य एवं गैर अनिवार्य स्वास्थ्य सेवाओं तथा इन्हें कैसे प्राप्त किया जाए, के बारे में काफी जागरुकता आ गई है। जब वे अपनी ड्यूटी पर जाती हैं तो आशा कार्यकर्ताओं को मास्क तथा साबुन,सैनिटाइजर जैसी मूलभूत प्रोटेक्टिव गियर उपलब्ध कराये जाते हैं।

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