बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी : टीम इंडिया को दो सबसे अनुभवी बल्लेबाजों ने ही दिया धोखा
(बेबाक/संजीव मिश्र): आस्ट्रेलिया, इंग्लैंड और दक्षिण अफ्रीका में आप चाहे जितने भी बड़े खिलाड़ी हों, यदि फॉर्म लम्बे समय से खराब चल रही है तो उनका रिप्लेसमेंट हो जाता है। श्रीलंका के कप्तान दिनेश चांडीमल, पाकिस्तान के कप्तान, मिस्बाह उल हक और इंग्लैंड के कप्तान आयन मार्गन व माइक डेनिस खुद को प्लेइंग इलेवन से बाहर करके उदाहरण पेश कर चुके हैं। यहां तक कि पाकिस्तान क्रिकेट में अब भी खराब फॉर्म के साथ बाबर आजम जैसा वर्ल्ड क्लास बल्लेबाज और शाहीन अफरीदी जैसा गेंदबाज टीम से बाहर कर दिया जाता है। लेकिन टीम इंडिया में इस तरह के कड़े फैसले नहीं लिए जाते, जिसका नतीजा महत्वपूर्ण टूर्नामेंट और सीरीज पर साफ तौर पर पड़ता है।
रोहित और विराट क्यों नहीं फैसला लेते अपने बारे में कोई फैसला
बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में भी टीम इंडिया चयनसमिति के इसी लचीले रुख का खामियाजा भुगत रही है। हमारी टीम के तो कप्तान और पूर्व कप्तान ही यह फैसला नहीं ले पा रहे हैं कि इतनी बुरी फॉर्म के बावजूद उन्हें टीम इंडिया के साथ अपना खेल जारी रखना चाहिए या नहीं। ऐसा इसलिए है क्योंकि भारत में खिलाड़ी की मौजूदा फॉर्म नहीं उसका क्रिकेट में रसूख और उसका अतीत में किया गया प्रदर्शन ज्यादा मायने रखता है। परिणाम यह निकलता है कि बड़े नाम वाले खिलाड़ी लगातार खराब फॉर्म के साथ न सिर्फ टीम में बने रहते हैं, बल्कि कप्तानी भी करते रहते हैं। कप्तान होने पर उन्हें प्लेइंग इलेवन में रहने का लाइसेंस भी मिल जाता है।
बुमराह के हाथों में ही कप्तानी रहने देते रोहित शर्मा
भारतीय टीम का कप्तान फॉर्म में न होने के बावजूद टीम का नेतृत्व करता रहता है। रोहित शर्मा की अनुपस्थिति में आस्ट्रेलिया के साथ पांच टेस्ट मैचों की सीरीज के पहले पर्थ टेस्ट में जसप्रीत बुमराह ने कप्तानी की थी और इस टेस्ट को पहली पारी में बल्लेबाजी के फेल होने के बावजूद जीता था। लेकिन वह इसलिए अगले टेस्ट में टीम का नेतृत्व नहीं कर पाते हैं, क्योंकि उनका कप्तान छुट्टी से लौट आता है। यह दीगर है कि वह लम्बे समय से आउट ऑफ फॉर्म है। उसकी कप्तानी में अगले तीन में से दो टेस्ट टीम इंडिया हार जाती है, जबकि एक बारिश की मेहरबानी से बचा ले जाती है। अब सीरीज में 1-2 से पिछड़ने के बाद 3 जनवरी से सिडनी में शुरू होने वाले अंतिम टेस्ट में भी वह खुद को ड्रॉप करेगा, इसकी बहुत संभावना नजर नहीं आती। बेहतर तो यह होता कि बड़ा दिल दिखाते हुए रोहित शर्मा ने बुमराह को ही सीरीज में कप्तानी करने दी होती।
सिडनी टेस्ट हो सकता है रोहित शर्मा और विराट कोहली का अंतिम मैच?
रोहित शर्मा और विराट कोहली आलोचकों के निशाने पर हैं। क्रिकेट प्रेमी इन दोनों बल्लेबाजों को अब और मैदान में नहीं देखना चाहते। लेकिन विराट और रोहित अपने रिटायरमेंट के बारे में क्या सोच रहे हैं यह ज्यादा मायने रखता है। इस सीरीज के दौरान चीफ सलेक्टर अजीत अगरकर भी आस्ट्रेलिया में सभी खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर बारीक निगाह रखे हैं। क्या उन्होंने इन दोनों सीनियरों के कॅरिअर के लिए कोई समय सीमा निर्धारित की? या उन्हें यह बताया कि अंतिम मौका है, सिडनी टेस्ट से पहले आप दोनों अपने संन्यास की घोषणा कर दें, अन्यथा आप भी फेयरवेल टेस्ट की उम्मीद न करें?
रवि शास्त्री क्यों कर रहे हैं विराट कोहली की पैरवी
हास्यापद है कि रवि शास्त्री जैसे पूर्व क्रिकेटर और कमेंटेटर विराट कोहली के लिए मार्केटिंग कर रहे हैं कि वे अभी तीन चार साल और खेल सकते हैं। यदि उनको ऐसा लगता है तो वे अपने चहेते खिलाड़ी को यह सलाह क्यों नहीं देते कि वह रणजी ट्रॉफी जैसे घरेलू क्रिकेट में खेलकर अपनी फॉर्म वापस लाए। विराट ने अंतिम रणजी मैच सात साल पहले खेला था। इसके अलावा खिलाड़ी की लोकप्रियता और उनकी ब्रांड वैल्यू लगाने वाली कंपनियां भी यह चाहती हैं कि कब तक उनके उत्पादों के लिए रोहित शर्मा और विराट कोहली जैसे बड़े खिलाड़ियों का प्लेइंग इलेवन में रहना उनके व्यावसायिक हित में होगा।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ दोनों खिलाड़ियों ने मिलकर बनाए सिर्फ 198 रन!
कप्तान रोहित शर्मा ने मौजूद बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी के लिए खेली जा रही सीरीज के तीन टेस्ट मैचों की पांच पारियों में सिर्फ 31 रन ही बनाए हैं। इसके अलावा पूर्व कप्तान विराट कोहली के बल्ले से भी इस सरीज के चार टेस्ट मैचों की 7 पारियों में सिर्फ 167 रन निकले हैं, जिसमें पर्थ टेस्ट की शतकीय पारी भी शामिल है। टीम के दो प्रमुख बल्लेबाज जिन पर पूरी टीम का दारोमदार हो उनके बल्ले से कुल मिलाकर 198 रन ही निकलना मौजूदा सीरीज में टीम इंडिया की नाकामयाबी का कारण भी बन गया है।
इनके खराब प्रदर्शन का कंपनियों पर भी पड़ता है बुरा असर
कंपनियों के लिए तब तक ही सब कुछ ठीक रहता है जब तक उनके ब्रांड का प्रचार करने वाले खिलाड़ी रन बनाते या विकेट लेते रहते हैं लेकिन जब वे आउट ऑफ फॉर्म हो जाते हैं तो कंपनियों के व्यावसायिक हित भी प्रभवित होते हैं। मसलन कोई खिलाड़ी जिस पर किसी कंपनी ने उसकी मार्केट वैल्यू से अधिक पैसा लगा दिया हो और वह फेल हो जाता है तो ऐसे में उस कंपनी के ब्रांड के प्रचार पर भी इसका बुरा असर पड़ता है और जितना पैसा खिलाड़ी पर लगा होता है कंपनी की उतनी वसूली भी नहीं हो पाती। अक्सर बड़े-बड़े खिलाड़ियों को अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने वाली कंपनियां स्टार खिलाड़ियों के खराब प्रदर्शन से घाटे में चली जाती हैं।
पिछले 15 टेस्ट मैचों में रोहित शर्मा और विराट कोहली का दयनीय प्रदर्शन
बता दें कि कप्तान रोहित शर्मा ने पिछली 15 टेस्ट पारियों में सिर्फ 158 और विराट कोहली ने 289 रन ही बनाए हैं। इस दौरान रोहित ने सिर्फ एक अर्द्धशतकीय पारी, जबकि विराट ने एक शतकीय और एक अर्द्धशतकीय पारी खेली है।
अब जरा पिछले 15 टेस्ट मैचों में इनके पारी दर पारी प्रदर्शन पर भी नजर डाललेते हैं-
कप्तान रोहित शर्मा ने बनाए सिर्फ 158 रन
कप्तान रोहित शर्मा ने बांग्लादेश के खिलाफ चेन्नई टेस्ट की पहली पारी में 5 रन, बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट की पहली पारी में 23 रन और दूसरी पारी में 8, न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरू टेस्ट की पहली पारी में 2 और दूसरी पारी में 52, न्यूजीलैंड के खिलाफ पुणे टेस्ट की पहली पारी में वह खाता भी नहीं खोल पाए, जबकि दूसरी पारी 8, न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट की पहली पारी में18, टेस्ट दूसरी पारी में11, आस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में 3 और दूसरी पारी 6, आस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन टेस्ट पहली पारी में10 रन बनाए थे। ब्रिस्बेन टेस्ट दूसरी पारी में बारिश की वजह से बल्लेबाजी नहीं आई, आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 3, जबकि दूसरी पारी में 9 रन बनाए। इस तरह रोहित शर्मा ने 15 टेस्ट पारियों में सिर्फ158 रन ही बनाए हैं।
विराट कोहली के बल्ले से निकले सिर्फ 289 रन
विराट कोहली ने बांग्लादेश के खिलाफ कानपुर टेस्ट के खिलाफ एक मात्र पहली पारी में 29 रन बनाए, जबकि न्यूजीलैंड के खिलाफ बेंगलुरू टेस्ट की पहली पारी में उनका खाता भी नहीं खुला, दूसरी पारी में 70 रन बनाए। न्यूजीलैंड के खिलाफ पुणे टेस्ट की पहली पारी में1, दूसरी पारी में17, न्यूजीलैंड के खिलाफ मुंबई टेस्ट की पहली पारी में 4, जबकि दूसरी पारी में1, आस्ट्रेलिया के खिलाफ पर्थ टेस्ट की पहली पारी में 5, जबकि दूसरी पारी में नाबाद100, आस्ट्रेलिया के खिलाफ एडिलेड टेस्ट की पहली पारी में 7, दूसरी पारी में11, आस्ट्रेलिया के खिलाफ ब्रिस्बेन टेस्ट की पहली पारी में 3 रन बनाए, जबकि दूसरी पारी में बल्लेबाजी नहीं आई। आस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न टेस्ट की पहली पारी में 36 और दूसरी पारी में 5 रन बननाए। विराट ने पिछली 15 टेस्ट पारियों में कुल 289 रन बनाए।