पीएम-केयर फंड की केयर?
स्तम्भ: कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 24 मार्च को पीएम केयर फंड का गठन किया । प्रधानमंत्री जी ने आम लोगों से अपील किया कि इस फंड में आर्थिक सहायता प्रदान करें । जिससे महामारी से निपटा जा सके । फिल्म जगत से लेकर उद्योगपतियों के साथ-साथ आम लोगों ने भी जमकर दान दिया और अभी दान कर रहें है। लेकिन पीएम केयर फंड विवादों में आ गया है ।
वित्त और कॉरपोरेट मामलों की मंत्री निर्मला सीतारमण ने ट्वीट किया, ‘‘पीएम-केयर्स में किए गए किसी को योगदान को सीएसआर खर्च माना जाएगा।’’
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय ने इस बारे में ज्ञापन जारी कर स्पष्ट किया है कि कंपनियों द्वारा दान किए गए धन को उनकी सीएसआर गतिविधि में गिना जाएगा। सरकार ने आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं राहत कोष (पीएम-केयर्स फंड) बनाया है। यह कोष कोरोना वायरस जैसी किसी आपात स्थिति में मदद देने का काम करेगा।
मंत्रालय की ओर से जारी ज्ञापन में कहा गया है, ‘‘पीएम-केयर्स कोष का गठन किसी आपात स्थिति की वजह से प्रभावित लोगों को राहत देने के लिए किया गया है। इसी के अनुरूप यह स्पष्ट किया जाता है कि पीएम-केयर्स कोष में किए गए किसी भी योगदान को कंपनी कानून, 2013 के तहत सीएसआर खर्च माना जाएगा।’’
जिसके बाद विवादों का सिलसिला शुरू हो गया राहुल गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा ‘यह बहुत महत्वपूर्ण है कि प्रधानमंत्री आश्वस्त करें कि इस फंड का का ऑडिट किया जाए और इस फंड को कहां-कहां, किस तरह खर्च किया गया है इसका रिकॉर्ड सार्वजनिक हो।’
यह मामला राज्यों और केंद्र के बीच फंस गया है। कुछ राज्य सरकार का कहना है कि जिस तरह पीएम केयर फंड में जमा धन राशि को सीएसआर माना जा रहा है । उसी तरह मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा राशि को भी सीएसआर माना जाए। लेकिन कॉरपोरेट मंत्रालय ने ऐसा करने से मना कर दिया है। जिसके बाद विवाद बढ़ गया और विपक्षी पार्टियां इसे कोर्ट ले गई। खैर सर्वोच्च न्यायालय ने मामले को सिरे से खारिज कर दिया है । विपक्षी पाटियों की तरफ से इस मुद्दे की अगुवाई पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी कर रही है। उन्होंने केंद्र सरकार की इस नीति की आलोचना करते हुए कहा है कि अगर पीएम केयर फंड को सीएसआर के तहत लाया गया है तो मुख्यमंत्री फंड को भी सीएसआर के अंतर्गत लाया जाए।
कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने ट्वीट करते हुए कहा “जब जनता त्राहिमाम कर रही है। राशन, पानी, नकदी की किल्लत है और सरकारी महकमा सबसे सौ-सौ रुपए पीएम केयर के लिए वसूल रहा है। तब हर नजरिए से उचित रहेगा कि पीएम केयर की सरकारी ऑडिट भी हो?’
आगे उन्होंने लिखा ‘देश से भाग चुके बैंक चोरों के 68,000 करोड़ माफ हुए उसका हिसाब होना चाहिए। संकट के समय जनता के सामने पारदर्शिता महत्वपूर्ण है। इसमें दोनों जनता और सरकार की भलाई है।’लेकिन वही बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हर कार्यकर्ता से न्यूनतम 100 रुपए स्वयं और अन्य पांच लोगों से दान की अपील की है।
प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपात राहत कोष क्या है?
- भारत-पाक विभाजन शरणार्थियों की सहायता के लिए , सार्वजनिक योगदानों को स्वीकार करने के उद्देश्य से 1948 में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय आपदा राहत कोष स्थापित किया गया था।
- 1985 से, यह निधि पूरी तरह से प्रधानमंत्री के अधीन है, जो पीएमओ व संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारियों की सलाह से इस कोष का प्रबंधन करता है।
- इस फंड का उपयोग प्राकृतिक आपदाओं में मारे गए, दुर्घटनाओं और दंगों के शिकार लोगो औ रएसिड अटैक पीड़ितों के इलाज व परिवार को राहत पहुंचाने में किया जाता है।
- यह संविधिक हैं सीएजी इसका लेखा-जोखा कर सकती है।
- इसमें सीएसआर की सुविधा नहीं है ।
पीएम-केयर फंड से विवाद और चिंताएं
- इस कोष के गठन के बाद दान के रूप में एक बङी धनराशि कोष को प्राप्त हुआ है। परन्तु कुल कितनी राशि आयी , इस पर कोई स्पष्टत व आधिकारिक सूचना उपलब्ध नहीं है अर्थात पारदर्शीता का अभाव है।
- यह स्पष्ट नहीं है कि यह आरटीआई अधिनियम या सीएजी के दायरे में आता है या नहीं ।
- पीएमओ ने हाल ही इसे लेकर एक आरटीआई उत्तर में कहा था कि आरटीआई के तहत अंधाधुंध और अव्यवहारिक सूचनाओं का इस पर नकारात्मक प्रभाव पङेगा।
- पीएम केयर फंड के वेब पेज पर दानकर्ताओं, कोष को प्राप्त दान या लाभार्थियों के नाम जैसे प्रमुख विवरणों के बारे में कोई चर्चा नहीं है।
- पीएम केयर फंड के योगदान को सीएसआर के अंतर्गत शामिल करना , उस दिशानिर्देशों के खिलाफ है जिसमें स्पष्ट कहा गया था कि सीएसआर का प्रयोग सरकारी योजनाओं को धन देने के लिये नहीं किया जाएगा।
- इससे कर छूट का दोहरा लाभ मिलेगा जो की एक प्रतिगामी पहल है।
- इस कोष की अध्यक्षता पीएम अपनी आधिकारिक क्षमता से करेंगे । इसके अलावा वह तीन प्रतिष्ठित व्यक्तियों को न्यासी मंडल में नामित कर सकते हैं।
- व्यक्तियों और संगठनों द्वारा कोष में स्वैच्छिक योगदान दिया जा सकता है।
- फंड में दान कर मुक्त है और इसके लिए दान को निगमित सामाजिक उत्तरदायित्व (CSR) के तहत सम्मिलित किया जाएगा ।
- फंड विदेशों से भी दान स्वीकार कर सकता है ,? और इसे विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम 2010 से छूट प्राप्त है।
- यह तर्क दिया गया था कि पीएम राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और और PM CARES के उद्देश्य समान हैं तो , फिर भी महामारी समय एक अलग फंड बनाने की आवश्यकता क्यों है..?