नई दिल्ली : कांग्रेस के रणनीतिकार राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के लिए चुनाव लड़ने के लिए मनाने में अब तक असफल रहे हैं, जिसकी वजह से कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में देरी हो सकती है. राहुल गांधी ने फिलहाल चुनाव लड़ने के कोई स्पष्ट संकेत नहीं दिए हैं. राहुल गांधी की तरफ से कोई साफ जवाब न मिलने की वजह से कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक नहीं बुलाई जा रही है, जिसमें चुनाव की तारीख का ऐलान होना है. कांग्रेस की सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी के मुताबिक उसने चुनाव की तैयारी पूरी कर ली है.
मधुसूदन मिस्त्री के नेतृत्व वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण ने कहा है कि वे समय पर चुनाव के लिए तैयार हैं. अब गेंद कांग्रेस कार्यसमिति के पाले में है और उसे ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करना है. पार्टी द्वारा पूर्व घोषित कार्यक्रम के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की प्रक्रिया 21 अगस्त से शुरू होने वाली थी और 20 सितंबर से पहले उसे नया अध्यक्ष चुन लेना था. राज्यों के पार्टी अध्यक्ष भी 20 अगस्त तक चुन लिए जाने थे, लेकिन अब तक किसी राज्य में ये प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है.
उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्य में तो अरसे से अध्यक्ष ही नहीं हैं. यूपी में तो है ही नहीं और बिहार में इस्तीफा देने के बाद भी मदन मोहन ही काम देख रहे हैं. लेकिन राहुल गांधी के रुख के साफ न होने की वजह से नेतृत्व असमंजस में है और संगठन चुनाव समय से पूरे होने पर संशय है. राहुल गांधी को 7 सितंबर से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की शुरुआत कन्याकुमारी से करनी है और ये यात्रा लंबी चलने वाली है, इसीलिए अगर तब तक चुनाव नहीं हुआ, तो इसमें और देरी की संभावना है.
वैसे भी राहुल गांधी के नेतृत्व संभालने की हिचक के बाद कांग्रेस के रणनीतिकारों ने कहा कि अशोक गहलोत, मल्लिकार्जुन खड़गे, मुकुल वासनिक, कुमारी शैलजा और के. सी. वेणुगोपाल जैसे नामों पर विचार हो सकता है. हालांकि, राहुल के न मानने पर सोनिया गांधी के ही 2024 तक अध्यक्ष पद पर बने रहने की सबसे ज्यादा संभावना है.