हृदयनारायण दीक्षित
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नेशन और राष्ट्र पर्यायवाची नहीं हैं
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : राष्ट्र प्राचीन वैदिक धारणा है और नेशन आधुनिक काल का विचार है। राष्ट्र के लिए अंग्रेजी…
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वृक्ष, वनस्पति औषधि के रूप में हमारी सेवा करते हैं
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : भूमि और सभी प्राणी परस्पर अन्तर्सम्बन्धित हैं। यह नेह मां और पुत्र जैसा है। वैदिक साहित्य…
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कविता और विज्ञान एक साथ नहीं मिलते
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : काव्य में भाव अभिव्यक्ति की प्रमुखता होती है और विज्ञान में प्रत्यक्ष सिद्धि की। विज्ञान में…
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ज्ञानी समान होकर भी एक जैसे नहीं होते
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : संसार की समझ जरूरी है और अपना ज्ञान भी। ज्ञान के अभाव में सब कुछ असंभव।…
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गीता की अन्तर्राष्ट्रीय लोकप्रियता
हृदयनारायण दीक्षित स्तम्भ : गीता लोकप्रिय ग्रन्थ है। वेदों की लोकप्रियता भी आसमान पर पहुंची। लेकिन गीता ने वेदों की…
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ऋग्वेद पर अनायास बहस करते हैं पश्चिम के विद्वान
हृदयनारायण दीक्षित : ऋग्वेद दुनिया का प्राचीनतम काव्य है और प्राचीनतम ज्ञानोदय। लेकिन इसके रचनाकाल पर यूरोपीय दृष्टिकोण वाले विद्वानों…
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वैदिक दर्शन से हुआ संस्कृति का विकास
हृदयनारायण दीक्षित : भारतीय संस्कृति का आदि स्रोत वैदिक दर्शन है। इसी दर्शन से संस्कृति का विकास हुआ। ऋग्वेद में…
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बुद्धि का अंतिम परिणाम है ज्ञान
हृदयनारायण दीक्षित : प्रकृति प्रतिपल अभिव्यक्ति होती रहती है। सौन्दर्य प्रकृति की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति है और सौन्दर्य का सरस कथन…
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प्राकृतिक व्यवस्था है धर्म
हृदयनारायण दीक्षित : धर्म प्राकृतिक व्यवस्था है। भारत की धर्म देह विराट है। यह संपूर्ण अस्तित्व को आच्छादित करती है।…
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हजारों वर्ष प्राचीन और परिपूर्ण है ऋग्वेद
हृदयनारायण दीक्षित : वेद लोकमान्य हैं। ऋग्वेद प्राचीनतम है ही। प्राचीनतम को जानने की रूचि स्वाभाविक हैं। विश्व के सभी…
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ऋग्वेद में अग्नि उपासना
हृदयनारायण दीक्षित : अग्नि ऋग्वेद के प्रतिष्ठित देवता हैं। ऋग्वेद के मंत्रोदय के पहले से ही भारत के लोग अग्नि…
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वैदिक समाज में गाय और अश्व
हृदयनारायण दीक्षित : भारतीय जनमानस वैदिक काल से ही गाय के प्रति श्रद्धालु व अश्व के प्रति प्रेम से परिपूर्ण रहा…
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वैदिक काल में उन्नतिशील था कृषि कर्म
हृदयनारायण दीक्षित : वैदिक काल में हमारे पूर्वज आर्य कहे जाते थे। ऋग्वेद इन्हीं आर्यो की रचना है। कुछेक विद्वानों…
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मन के तल पर होता है दुख और सुख का अनुभव
हृदयनारायण दीक्षित : मन शक्तिशाली है। दुख और सुख का अनुभव मन के तल पर होता है। मन हमारे अनुसार…
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ऋग्वेद विश्व मानवता का प्रथम शब्द साक्ष्य है
हृदयनारायण दीक्षित : ऋग्वेद दुनिया का सबसे प्राचीन काव्य संकलन है। अंतर्राष्ट्रीय संस्था यूनेस्को ने भी ऋग्वेद को प्राचीनतम अंतर्राष्ट्रीय…
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उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन के पक्षधर थे वैदिक ऋषि
हृदयनारायण दीक्षित : चिकित्सा विज्ञान की परम्परा प्राचीन है। उत्तम स्वास्थ्य और दीर्घ जीवन भारतीय मनीषियों की प्राचीन इच्छा रही…
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किसी कुत्सित धारणा के आधार पर सत्य से भिन्न बोलना समाज विरोधी है
‘सत्य का आग्रह’ वैदिक काल से प्राचीन है। हृदयनारायण दीक्षित : सत्याग्रह सत्य का आग्रह है। भारत में सत्य के…
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सफलता का मूल केन्द्र इच्छा या अभिलाषा है और अभिलाषाएं अनंत हैं
हृदयनारायण दीक्षित : सफलता प्रसन्न्ता देती है और असफलता दुख। मोटे तौर पर सफलता का अर्थ इच्छानुसार कर्मफल की प्राप्ति…
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प्रकृति से शांतिप्रिय हैं भारतवासी, शांतिप्रियता का अनुचित लाभ उठाते थे अंगे्रज
हृदयनारायण दीक्षित : भारतवासी प्रकृति से शांतिप्रिय हैं। इसके कारण उनकी उदात्त सभ्यता में खोजे जाने चाहिए। शांतिप्रियता उत्कृष्ट जीवन…
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पाकिस्तान प्राकृतिक राष्ट्र नहीं है, मजहब के आधार पर भारत विभाजन से यह एक मुल्क बना
हृदयनारायण दीक्षित : भारत पाक के मध्य युद्ध की स्थिति है। पाकिस्तान की तरफ से मुसलसल युद्ध है। आमने सामने…
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पुलवामा हमले के बाद राष्ट्रीय एकता सूत्र में बंध गया देश
हृदयनारायण दीक्षित : भारत का स्वभाव राष्ट्रभाव है। कश्मीर पुलवामा की घटना के बाद यही राष्ट्रभाव चारो ओर प्रकट हो…
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अजर और अमर है भारतीय जनतंत्र
हृदयनारायण दीक्षित : भारतीय जनतंत्र अजर-अमर है। यह भारतीय समाज की मूल प्रकृति है। राष्ट्रजीवन का स्वाभाविक प्रवाह और भारत…
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हर व्यक्ति का स्वाद अलग, लेकिन मधु पदार्थ सभी को करता है आकर्षित
हृदयनारायण दीक्षित : स्वाद दिखाई नहीं पड़ता। सबके अपने स्वाद बोध हैं। इसलिए सबका स्वादिष्ट भी अलग-अलग है। लेकिन मीठा सबको…
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सतत कर्म का कोई विकल्प नहीं
हृदयनारायण दीक्षित: प्रकृति की सभी शक्तियां गतिशील हैं। हम पृथ्वी से हैं, पृथ्वी में हैं। पृथ्वी माता है। पृथ्वी सतत् गतिशील…
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सब जीना चाहते हैं, लेकिन मृत्यु निश्चित है
हृदयनारायण दीक्षित : जीने की इच्छा में मृत्यु का भय अंतनिर्हित है। जितनी गहरी जीवेष्णा उतना ही गहरा असुरक्षा का…
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अमृत प्यास का कुम्भ
हृदयनारायण दीक्षित : अमृत प्राचीन प्यास है। कोई मरना नहीं चाहता लेकिन सभी जीव मरते हैं। मृत्यु को शाश्वत सत्य…
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स्वयं को देखो स्वयं के द्वारा
स्वयं को जानना कठिन है। असंभव तो नहीं है लेकिन है बड़ा जटिल। जानने की गतिविधि में कम से कम दो…
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बुद्धि और भाव का संगम है प्रयाग तीर्थराज
तीर्थ भारत की आस्था है। लेकिन भौतिकवादी विवेचकों के लिए आश्चर्य हैं। वैसे इनमें आधुनिक विज्ञान के तत्व भी खोजे…
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