नई दिल्ली । केंद्र सरकार ने मंगलवार को सभी राज्यों से कहा कि भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अनुसार सुरक्षा और रखरखाव सुनिश्चित करने के लिए सभी रोपवे परियोजनाओं के सुरक्षा ऑडिट के लिए राष्ट्रीय राजमार्गो एवं इंफ्रास्ट्रक्च र डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनएचआईडीसीएल) से आवश्यक मार्गदर्शन लिया जा सकता है। केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला ने सभी मुख्य सचिवों को एक आधिकारिक संचार में कहा कि राज्य सरकार को प्रत्येक रोपवे परियोजना की सुरक्षा ऑडिट करने के लिए एक अनुभवी और योग्य फर्म या संगठन को नियुक्त करना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा कि रोपवे का संचालन करने वाली संस्था को ऑडिट से उत्पन्न सभी मुद्दों का पालन करना चाहिए। भल्ला ने राज्यों को लिखे अपने पत्र में कहा, “प्रत्येक रोपवे परियोजना के लिए एक रखरखाव मैनुअल तैयार किया जाना चाहिए। रखरखाव मैनुअल के अलावा, एक रखरखाव कार्यक्रम होना चाहिए, ताकि सुरक्षा मानक अच्छे उद्योग प्रथाओं के अनुरूप हों। रोपवे का संचालन करने वाली इकाई को सभी गतिविधियों का रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए।”
गृह सचिव ने झारखंड के देवघर जिले के त्रिकूट हिल्स में 10 अप्रैल को हुई दुर्घटना की घटना का हवाला देते हुए, जिसमें त्रिकूट रोपवे की ट्रॉलियां टूट गईं, जिसके परिणामस्वरूप 18 ट्रॉलियां हवा में फंस गईं। इसमें लगभग 59 लोग फंसे हुए थे। इसके बाद सभी मुख्य सचिवों को समीक्षा करने के लिए कहा गया। निर्देश दिया गया कि वे अपने-अपने राज्यों में सभी रोपवे परियोजनाओं के संबंध में स्थिति के बारे में सुनिश्चित करें कि मानक संचालन प्रक्रिया, रोपवे के संचालन और रखरखाव के लिए आकस्मिक योजना और सुरक्षा ऑडिट की व्यवस्था लागू है।
गृह सचिव ने अपने पत्र में आगे कहा, “यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि रोपवे से जुड़ी आकस्मिक स्थितियों से निपटने के लिए मॉक ड्रिल समय-समय पर आयोजित किए जाएंगे। आप एसओपी के अनुसार रोपवे संचालन के संबंध में तैयारियों के उपायों की नियमित रूप से समीक्षा करने के लिए एक उपयुक्त स्तर के एक वरिष्ठ अधिकारी को नामित कर सकते हैं।”
उन्होंने राज्य प्रशासन से रोपवे परियोजनाओं के संचालन और रखरखाव के लिए भी कहा और बीआईएस मानक पहले ही एनएचआईडीसीएल द्वारा निर्धारित किए गए हैं, जो केंद्र सरकार के तहत सड़क, परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के तहत नोडल संगठन है। देवघर रोपवे दुर्घटना का जिक्र करते हुए उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना, एनडीआरएफ, भारतीय सेना, आईटीबीपी और स्थानीय प्रशासन द्वारा किए गए साहसिक प्रयासों के बाद फंसे हुए लोगों को बचाया गया।