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CM बादल की मांग, शहीद भगत सिंह के नाम पर हो एयरपोर्ट

parkash-singh-badal-560a511976245_exlपंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने मोहाली अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखे जाने की मांग की है। उनका कहना है कि इस पर देश के लोगों की भी सहमति है। इस संबंध में औपचारिक एलान जल्द कर देना चाहिए।

उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से अपील की कि वह निजी दखल देकर एयरपोर्ट के नाम को लेकर हो रहे विवाद को हल करवाएं। इस विवाद और असमंजस के कारण उन लोगों और पक्षों की स्थिति अजीब हो गई है, जो अपने राष्ट्रीय शहीदों पर मान करते हैं।

इस संबंध में प्रस्ताव पहले ही केंद्र सरकार को भेजा जा चुका है। पंजाब के लोग तो शहीद-ए-आजम भगत सिंह के रुतबे और कुर्बानी को ध्यान में रखते हुए यह मान ही चुके हैं कि कोई भी इस प्रस्ताव का विरोध नहीं करेगा। इसलिए इस संबंध में उठे विवाद को जल्द से जल्द खत्म कर देना चाहिए।

बादल ने कहा कि सारे राष्ट्रीय शहीद हमारे सत्कार के हकदार हैं, लोग उन पर मान महसूस करते हैं। मुल्क का हर बाशिंदा शहीद भगत सिंह को शहीदों का सरदार मानता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भगत सिंह मार्टिन लूथर किंग जूनियर, नेल्सन मंडेला और महात्मा गांधी की तरह की कुर्बानी का प्रतीक माने जाते हैं।

उनका संबंध सिर्फ पंजाब से नहीं है, वह पूरी कौम का सरमाया हैं। भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस, करतार सिंह सराभा, मदनलाल ढींगरा, ऊधम सिंह, सुखदेव व राजगुरु जैसे राष्ट्रीय नायक पूरी कौम की सांझी विरासत हैं। मोहाली एयरपोर्ट का नाम शहीद भगत सिंह के नाम पर रखने के प्रस्ताव पर विवाद खड़ा करना निंदनीय है। यह उन सब लोगों के लिए बहुत दुखदाई होगा, जो शहीद भगत सिंह से प्यार करते हैं।

बादल ने प्रदेश कांग्रेस प्रधान कैप्टन अमरिंदर सिंह द्वारा शहीदों की विरासत का सियासीकरण की कोशिश करने की निंदा की। उन्होंने कहा कि कैप्टन को पता होना चाहिए कि इस मुद्दे पर चुप रहने में उनका ही भला है। क्योंकि शहीद भगत सिंह ने उन ताकतों के खिलाफ लड़ते हुए कुर्बानी दी थी, जिनके वारिस कैप्टन हैं। भगत सिंह को उन अंग्रेजों ने फांसी पर चढ़ाया था, जिनकी हिमायत कैप्टन के पुरखे करते थे।

बादल ने कहा कि वह निजी तौर पर नहीं चाहते कि कैप्टन के पुरखों के अंग्रेजों को हिमायत होने का मुद्दा उछाला जाए, लेकिन कैप्टन को भी ऐसे मुद्दों पर चुप रहना चाहिए। शहीदों के मुद्दों पर कैप्टन के मुंह से कुछ कहना जंचता नहीं है। क्योंकि उनका इतिहास शहीदों के विरोध वाला रहा है।

 
 
 

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