कोरोना संक्रमित प्रेग्नेंट महिलाएं डिप्रेशन की शिकार, सफदरजंग अस्पताल की एक स्टडी में हुआ खुलासा
नई दिल्ली। राजधानी के सफदरजंग अस्पताल की एक स्टडी में खुलासा हुआ है कि कोरोना से संक्रमित महिलाएं जो प्रेग्नेंट थीं और उन्होंने बच्चे को जन्म दिया, उनमें डिप्रेशन का स्तर 69 पर्सेंट तक देखा गया है। लगभग तीन चौथाई महिलाएं कोविड की वजह से डिप्रेशन में चली गईं। सफदरजंग अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव 243 प्रेग्नेंट महिलाओं पर यह स्टडी की गई है। जिनकी बाद में अस्पताल में डिलिवरी भी हुई और डिलिवरी के बाद भी उन पर स्टडी की गई।
स्टडी की अगुवाई करने वाली डॉक्टर सुनीता बागची के अनुसार कोरोना पॉजिटिव अस्पताल में डिलवरी के लिए आईं प्रेग्नेंट महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य पर असर जानना बेहद जरूरी था, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति का असर नवजात बच्चे पर भी पड़ता है। डॉक्टर सुनीता ने कहा कि स्टडी में पाया गया कि डिलीवरी से पहले 30 पर्सेंट तक महिलाओं में डिप्रेशन देखा गया, लेकिन डिलीवरी के बाद यह संख्या 69 पर्सेंट तक पहुंच गई। हालांकि इनमें डिप्रेशन के हल्के लक्षण थे, लेकिन 12 पर्सेंट ऐसे थे, जिनमें लक्षण ज्यादा थे। डिप्रेशन के अलावा 50 पर्सेंट महिलाएं एंग्जाइटी की भी शिकार पाई गईं। कोरोना के समय सफदरजंग अस्पताल में कोरोना पॉजिटिव 350 महिलाओं की सफल डिलीवरी हुई है।
डॉक्टर सुनीता का कहना है कि परिजनों को गर्भवती महिलाओं के मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशील रहना चाहिए। कोरोना संक्रमित महिलाएं डरे नहीं। अधिकतर मामलों में कोरोना के बाद भी मां और बच्चे दोनों सुरक्षित रहते हैं। गुरुवार को दिल्ली में देशभर के स्त्री और प्रसूति रोग विभाग के डॉक्टरों का 43वां वार्षिक सम्मेलन हो रहा है। यह सम्मेलन तीन दिन तक चलेगा। सफदरजंग अस्पताल की डॉक्टर दिव्या ने कहा कि देशभर के डॉक्टर स्त्री रोगों से जुड़े अपने विचार रखेंगे। बता दें कि आमतौर कोरोना संक्रमित होने वाले लोग डिप्रेशन के शिकार हुए। हर तबके पर इसका असर देखा गया।