देहरादून : वैज्ञानिकों ने हिमालय बनने से पहले की एक चट्टान का पता लगाया है। हिमालय की उत्पत्ति और विकास को जानने का प्रयास कर रहे वैज्ञानिकों को चट्टान के अवशेष खोजने में सफलता मिली। वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के वैज्ञानिकों को यह अवशेष हिमाचल के सतलुज घाटी क्षेत्र के किन्नौर में मिले। प्लेयोजोयिक युग की आज से करीब 50 करोड़ साल पुरानी चट्टान है। ये अवशेष वैज्ञानिकों को हिमालय के विकास की सटीक जानकारी देने में मदद करेंगे।
वाडिया हिमालयन भू-विज्ञान संस्थान के डॉ. एसएस ठाकुर और उनकी टीम ने अपने शोध कार्यों में हिमालय के रहस्यों को सुलझाने में सफलता पाई है। उनका शोध ब्रिटेन के प्रतिष्ठित जर्नल ऑफ पेट्रोलॉजी में प्रकाशित हुआ है। इसमें प्रकाशित होने वाला यह वाडिया संस्थान का पहला शोध पत्र है। डॉ. ठाकुर ने बताया कि सामान्यत वैज्ञनिक जगत में माना जाता है कि हिमालय पर पाई जाने वाली उच्च ताप दाब वाली चट्टानें इसकी उत्पत्ति के दौरान बनी हैं। यह वास्तव में पूरी तरह से सही नहीं है। इनमें से कुछ उच्च ताप दाब की चट्टानें हिमालय निर्माण से काफी पहले की हैं। इस शोध में ऐसी ही कुछ चट्टानें खोजी गई हैं। वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ.एसएस ठाकुर ने कहा कि खोज से ये साबित हुआ है कि हिमालय में पाई जाने वाली उच्च ताप दाब की कुछ चट्टानें हिमालयन काल से भी पुरानी हैं। यह शोध हिमालय में पाई जाने वाली चट्टानों के विकास, निर्माण प्रक्रिया को बेहतर तरीके से समझने में मदद करेगा।
शोध में थर्मोडायनमिक विधि, पेट्रोग्राफिक अध्ययन, ईपीएमए विश्लेषण और खनिजीय संघटनों के अध्ययन से साबित किया है कि यह चट्टानें 800 डिग्री सेंटीग्रेड तापमान पर जमीन से 20 से 25 किमी की गहराई पर बनी हैं। ऐसी चट्टानें बहुत कम हैं।
भूगर्भीय रूप से हिमालय की उत्पत्ति भारतीय टेक्टोनिक प्लेट के प्रभाव से हुई। यह प्रति वर्ष एक से तीन सेमी बढ़ रहा है। औसत उम्र 5-6 करोड़ साल है। वैज्ञानिकों के मुताबिक, हिमालय अभी निर्माणावस्था में है। यह 2400 किलोमीटर लंबाई में फैला है।