ईयू ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र को लेकर अपनी रणनीति को किया सार्वजनिक, अफगानिस्तानी शरणार्थियों की मदद की अपील
ब्रसेल्स। यूरोपीय संघ (ईयू) ने गुरुवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक, राजनीतिक और रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के लिए एक नई रणनीति को सार्वजनिक किया। इससे कुछ घंटे पहले ही अमेरिका, ब्रिटेन और आस्ट्रेलिया ने विशाल क्षेत्र के संदर्भ में अपने संबंधों को फिर से आकार देने के लिए एक नए सुरक्षा गठबंधन का एलान किया था। ईयू का मानना है कि बढ़ती आबादी और राजनीतिक प्रभाव, वैश्विक व्यापार तथा सुरक्षा में इसकी भूमिका तथा जलवायु परिवर्तन पर इसके प्रभाव को देखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र का महत्व काफी बढ़ रहा है।
इसका कहना है कि रणनीति का उद्देश्य अंतरराष्ट्रीय व्यापार नियमों के अनुपालन को बल प्रदान करते हुए आर्थिक संबंधों को मजबूत और विस्तृत करना, भागीदारों को जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता के नुकसान को रोकने में मदद देना तथा स्वास्थ्य देखभाल पर सहयोग को बढ़ावा देना है।
अमेरिका-चीन के बढ़ते तनाव के बीच यह योजना समुद्री सुरक्षा में सुधार लाने और समुद्री मार्गो में सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए भी है। ईयू को उम्मीद है कि इससे इस क्षेत्र में यूरोपीय देशों द्वारा और नौसैनिक तैनाती होगी। इससे परिवहन और ऊर्जा संबंधों में भी सुधार होगा। इस बीच, मानवाधिकार और शरणार्थी समूहों ने ईयू से अपील की है कि वह उन लोगों की मदद के लिए अपना हाथ बढ़ाए जो अफगानिस्तान छोड़ना चाहते हैं। उन्होंने इस संगठन पर तालिबान के डर के साए में रह रहे लोगों की मदद के लिए पर्याप्त कदम उठाने में विफल रहने का आरोप लगाया है।