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दुनियां भर में हर सातवां व्यक्ति पीड़ित है माइग्रेन से, जाने कारण और बचाव

माइग्रेन को अधकपारी भी कहा जाता है क्योंकि इसका दर्द आमतौर पर आधे सिर में होता है। लेकिन कई बार यह पूरे सिर को भी अपनी चपेट में ले सकता है। यह दो घंटे तक भी रह सकता है और 72 घंटे तक भी।

अध्ययन के मुताबिक, माइग्रेन एक ऐसा न्यूरोलॉजिकल डिसॉर्डर है, जिससे वैश्विक स्तर पर हर सातवां व्यक्ति पीड़ित है। भारत में 15 करोड़ लोग माइग्रेन की गिरफ्त में हैं। भारतीय महिलाएं इस बीमारी से ज्यादा पीड़ित हैं। 24 फीसदी पुरुषों की तुलना में 76 फीसदी महिलाएं माइग्रेनग्रस्त हैं। 18 से 29 के बीच के लगभग 35 फीसदी युवा पीड़ित हैं। लगभग 30 फीसदी मरीज क्रॉनिक स्थिति वाले हैं। माइग्रेनग्रस्त लोगों में से 70 फीसदी में मानसिक तनाव, 46 फीसदी में उपवास, 52 फीसदी में यात्रा, 44 फीसदी में नींद की गडबड़ी, 13 फीसदी में मासिक धर्म की अनियमितता, 10 फीसदी में मौसम का बदलाव दर्द का कारण बनते दिखाई दिए। लगभग 34 फीसदी मरीजों में दौरे पड़ने के पीछे एक साथ कई कारण शामिल थे। बढ़ती उम्र के साथ माइग्रेन का दर्द कम होता पाया गया है।

माइग्रेन होने के प्रमुख कारण-
1- जिनके परिवार में माइग्रेन किसी को हुआ हो, उन्हें इसकी आशंका ज्यादा होती है।
2- हार्मोन में बदलाव माइग्रेन का कारण बन सकता है। मासिक धर्म, रजोनिवृत्ति और गर्भावस्था के चलते महिलाओं में कई तरह के हार्मोनल बदलाव देखे जाते हैं। कई बार इस बदलाव की वजह से माइग्रेन का दर्द शुरू हो सकता है। हार्मोनल बदलाव के कारण ही पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस रोग से ज्यादा पीड़ित होती हैं।
3- मौसमी बदलाव दर्द का कारण बन सकता है। ज्यादा शोर, बार-बार बढ़ने-घटने वाली तेज रोशनी व धूप में आंखें चुंधियाना, बहुत तेज गंध वगैरह से संवेदनात्मक उत्तेजना बढ़ सकती है और माइग्रेन का दर्द शुरू हो सकता है।
4- सोने-जागने की लगातार अनियमितता दर्द का कारण बन सकती है।
5- बहुत ज्यादा शारीरिक श्रम और थकान से माइग्रेन शुरू हो सकता है।
6- तनाव और बेचैनी के माहौल में ज्यादा समय तक रहना पड़े, तो माइग्रेन की शुरुआत हो सकती है।
7- सही समय पर भोजन न करने पर यह शुरू हो सकता है।
8- पानी कम पीना दर्द का कारण हो सकता है।

लक्षण पहचानें-
1- सिर के एक हिस्से में फड़कता हुआ दर्द होता है।
2- तेज रोशनी, गंध, आवाज के प्रति अत्यधिक संवेदनशीलता होती है।
3- सिर दर्द के साथ बार-बार मूत्र त्याग की इच्छा होती है।
4- आंखों में तेज दर्द होता है।
5- मिचली और उल्टी हो सकती है।
6- आंखों के नीचे काले घेरे हो सकते हैं।
7- गुस्सा और चिड़चिड़ापन बढ़ सकता है।

इन चीजों से बचकर रहें-
जीवनशैली का विश्लेषण करें और जरूरी सुधार करें। माइग्रेन से पीड़ित हैं, तो पनीर, चॉकलेट, कैफीन, शराब आदि से परहेज करें। हरी पत्तेदार सब्जियां और फल आहार में शामिल करें। बथुआ, अंजीर, आंवला, अनार, अमरूद, सेब आदि ज्यादा लें। आंवले के अलावा अन्य खट्टे फलों से बचें। ओमेगा-3 फैटी एसिड और विटामिन-बी वाले आहार ज्यादा लें। दिन में सात-आठ गिलास पानी पिएं। ज्यादा नमक वाली चीजें कम खाएं। सही समय पर सोएं और नींद भरपूर लें। रोशनी की जगमगाहट और तेज धूप ऐसी स्थिति में नुकसानदेह हो सकती है। ज्यादा समय तक भूखे न रहें।

घरेलू उपाय
1- अदरक के कुछ टुकड़े खाएं। इससे मिचली की समस्या में भी राहत मिलती है।
2- सिर दर्द वाले हिस्से में पिपरमिंट के तेल की मालिश करने से राहत मिलती है।
3- दर्द हो तो बिस्तर पर लेटकर सिर को बेड से थोड़ा नीचे लटकाएं और जिस हिस्से में दर्द हो, उस तरफ की नाक में सरसों के तेल या गाय के घी की तीन-चार बूंदें टपकाएं।

योग-प्राणायाम करें
माइग्रेन के रोगियों के लिए योग और प्राणायाम बड़े काम के साबित हो सकते हैं। हस्तपादासन, सेतुबंधासन, मर्जरासन, शिशु आसन पश्चिमोत्तानासन, पद्मासन, शशांकासन, हलासन, मत्स्यासन और शवासन माइग्रेन में विशेष लाभ पहुंचाते हैं। प्राणायामों में कपालभाति, अनुलोम-विलोम, भ्रामरी करने चाहिए। इसी के साथ जलनेति भी करें। वास्तव में योग से प्रतिरोधक शक्ति भी बढ़ती है और माइग्रेन को ठीक करने में मदद मिलती है।

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