आंदोलन को आज 7 महीने पूरे, देशभर में ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रूप में मनाएंगे किसान
केंद्र सरकार के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के विरोध प्रदर्शन को आज यानी शनिवार को 7 महीने पूरे हो गए हैं. आज बड़ी संख्या में किसान प्रदर्शनकारी दिल्ली के अलग-अलग बॉर्डर पर शामिल होंगे, ताकि पिछले साल सितंबर में लागू किए गए केंद्र के तीन विवादास्पद कृषि कानूनों के खिलाफ उनके आंदोलन को याद किया जा सके.
संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय राजधानी के पास सिंघू, टिकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर किसान इसे ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रूप में मनाएंगे. कानूनों के खिलाफ आंदोलन की अगुवाई कर रहे 40 किसान संघों के संगठन ने कहा कि पूरे देश में 26 जून को ‘कृषि बचाओ, लोकतंत्र बचाओ दिवस’ के रूप में मनाने की तैयारी चल रही है.
पिछले साल नवंबर से दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान
किसान अपनी पैदावार के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की गारंटी के लिए कानूनों को वापस लेने और एक नए कानून की मांग को लेकर पिछले साल नवंबर से दिल्ली के पास बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं. बयान में आगे कहा गया है कि किसान प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा काफिला गुरुवार को राजस्थान के गंगानगर से शाहजहांपुर सीमा के लिए ग्रामीण किसान मजदूर समिति (जीकेएस) के नेतृत्व में रवाना हुआ. इसी तरह बागपत और सहारनपुर के किसानों के गाजीपुर बॉर्डर पर भारतीय किसान संघ (राकेश टिकैत) के नेतृत्व में आने की उम्मीद है.
बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं का सामाजिक बहिष्कार रहेगा जारी
देशभर में किसान संघों के आज केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन करने की उम्मीद है. गुरुवार को आंदोलन के विभिन्न स्थलों पर किसानों ने 15वीं सदी के भारतीय कवि संत कबीर दास की जयंती मनाई. एसकेएम के बयान में कह कि सांप्रदायिक सद्भाव इस आंदोलन की पहचान है और संत कबीर की जयंती बड़े सम्मान के साथ मनाई गई. साथ ही कहा कि किसान बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के नेताओं के खिलाफ अलग-अलग जगहों पर काले झंडे का विरोध और सामाजिक बहिष्कार जारी रखेंगे.