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घाघरा और सरयू उफान पर, ढाई लाख की आबादी दहशत में

गोण्डा : पर्वतीय क्षेत्रों में लगातार हो रही बरसात और बैराजों से छोड़े जा रहे पानी से उफनायी घाघरा और सरयू नदी कर्नलगंज और तरबगंज तहसीलों की ढाई लाख की आबादी को डरा रही हैं। जिले के 94 तटवर्ती गांवों के 1338 मजरों में बाढ़ की संभावना के मद्देनजर जिला प्रशासन अलर्ट है वहीं ग्रामीणाें ने जरूरी सामान बांध कर ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अस्थायी ठिकाना बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।

घाघरा नदी रविवार को खतरे के निशान से 50 सेमी ऊपर बह रही थी। ऐल्गिन चडसड़ी तटबंध को ठोकरें मारने के साथ कई छोर पर तेजी से कटान करने से बाढ़ का पानी तटवर्ती गांवों में घुस रहा हैं।

घाघरा नदी ने रौद्र रूप दिखाते हुये बांसगांव में नदी तट पर बसे प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत निर्मित एक मकान को अपनी आगोश मे ले लिया हैं । बांध पर तैनात अधिशासी अभियंता एमके सिंह ने बताया कि बांध की मरम्मत व परियोजनाओं का कार्य समय पर करा लेने से एल्गिन चरसड़ी बांध को फिलहाल कोई खतरा नहीं है लेकिन बांध व नदी के उस पार बाराबंकी जिले के सनावा, सराय सुरजन, भैरूपुर नदी के तलहटी वाले गांवों पर बाढ़ का खतरा बना हुआ है।

केन्द्रीय जल आयोग घाघरा घाट से मिली जानकारी के अनुसार घाघरा का जलस्तर रविवार सुबह आठ बजे 106.576 दर्ज किया गया जो कि खतरे के निशान से 50 सेंटीमीटर तक ऊपर हैं। नदी की उफान से तटवर्ती गांव नकहरा व मांझा रायपुर के मजरों में बाढ़ की काली छाया मंडराने लगी है क्योंकि ये मजरे नवनिर्मित रिंगबांध व नदी के बीच में बसे हैं।

ग्रामीणों के अनुसार, प्रशासन द्वारा इन लोगों के बचाव की कोई भी पहल नहीं की गयी है। इधर, तरबगंज तहसील क्षेत्र में बह रही सरयू नदी का जलस्तर भी खतरे के निशान 92.73 को पार कर दो सेंटीमीटर ऊपर बहकर निरन्तर बढ़ रहा हैं । आपदा प्रबंधन के अनुसार, राहत व बचाव दल पूर्णतया एलर्ट हैं।

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