भोपाल : मध्यप्रदेश में सरकारी महकमों में अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या लगातार कम होती जा रही है. राज्य सरकार इन खाली पदों को भरने की बात तो कह रही है पर इसके लिए प्रक्रिया में लेटलतीफी की जा रही है. राज्य सरकार के इस रूख पर नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने चिंता जाहिर की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकारी पदों को भरने की भाजपा सरकार की घोषणाएं महज जुमला साबित हो रही हैं।
उन्होंने कामचलाऊ व्यवस्था के तहत सरकारी विभागों में की जा रही आउटसोर्सिंग पर भी चिंता जताई. नेता प्रतिपक्ष का साफ कहना है कि आउट सोर्स व्यवस्था समाप्त कर बेरोजगारों को नौकरी की गारंटी दी जाए।
नेता प्रतिपक्ष डॉ. गोविन्द सिंह ने कहा है कि भाजपा के 18 वर्ष के कार्यकाल में सरकारी रिक्त पदों को भरने की 18 बार घोषणाएं की गईं लेकिन ये सभी घोषणाएं जुमला साबित हुईं। प्रदेश में कई विभागों में नौकरियों में सीधी भर्ती पर रोक लगी है। हर साल.कर्मचारी सेवानिवृत्त तो हो रहे हैं लेकिन सरकार द्वारा उनकी जगह नई भर्ती नहीं की जा रही है। उन्होंने कहा कि 2025 तक प्रदेश में कार्यरत कर्मचारियों में से 60.18 प्रतिशत कर्मचारी सेवानिवृत्त हो जाएंगे। यदि सरकार ने सीधी भर्ती पर से रोक नहीं हटाई तो करीब साढ़े तीन साल बाद सरकारी दफ्तरों में सन्नाटा पसरा दिखाई देगा।
नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि सन 2001 में प्रदेश में नियमित अधिकारी-कर्मचारियों की संख्या 5 लाख 13 हजार थी। 31 मार्च 2018 में यह आंकड़ा घटकर 452439 हो गया। प्रदेश में वर्तमान में महज 4 लाख 37 हजार नियमित अधिकारी-कर्मचारी ही बचे हैं। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बड़े विभागों को छोड़कर 36 विभागों में रिक्त पदों की जो जानकारी प्राप्त हुई उसमें 40 हजार पद रिक्त बताये गये हैं। सभी 56 विभागों में 93 हजार से ज्यादा पद रिक्त हैं जिसमें सबसे ज्यादा 30 हजार पद स्कूल शिक्षा विभाग के हैं. इधर प्रदेश के 33 हजार स्कूल एक शिक्षक के भरोसे ही संचालित हो रहे है।