राज्यराष्ट्रीय

भ्रष्टाचार रोकने के सरकार के उपाए नाकाफी ,देश करप्शन रैंकिंग में 5 पायदान खिसका

नई दिल्‍ली: International Anti-Corruption Day 2021 History and Significance: अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस हर साल 09 दिसंबर को दुनियाभर में मनाया जाता है. भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के उद्देश्‍य से संयुक्‍त राष्‍ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर, 2003 को भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन को अपनाया गया था. अंतराष्‍ट्रीय कमेटी ने माना कि भ्रष्टाचार एक जघन्‍य कृत्‍य है किसी लोकतंत्र के लिए बड़ा खतरा है.

हर साल ‘करप्शन परसेप्शन इंडेक्स’ (Corruption Perception Index) के नाम से एक रिपोर्ट प्रकाशित होती है. यह रिपोर्ट बताती है कि कौन से देशों में कितना भ्रष्टाचार है और इसे नियंत्रित करने के लिए क्या कदम उठाए जा रहे हैं. इस रिपोर्ट की मानें तो पिछले 15 वर्षों में किसी भी देश की कोई महत्वपूर्ण प्रगति नहीं देखी जा सकी है.

International Anti-Corruption Day 2021 Theme: संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, 2021 अंतर्राष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस यह देखने के लिए मनाया जा रहा है कि सरकारें, सिविल सेवक सहित अंतर्राष्ट्रीय हस्तियां अपने देशों में बढ़ रहे भ्रष्टाचार से निपटने के लिए क्‍या कदम उठा रहे हैं. इससे पहले नवंबर में, संयुक्त राष्ट्र द्वारा छह सप्ताह का अभियान शुरू किया गया था जिसमें प्रत्येक सप्ताह प्रमुख विषयों पर ध्यान केंद्रित किया जाता था. यह अभियान भ्रष्टाचार का मुकाबला करने, अधिकारियों को अवैध रूप से धन लेने से रोकने के लिए चलाया गया था. इसका थीम “आपका अधिकार, आपकी भूमिका: भ्रष्टाचार को न कहें” (Your right, your role: say no to corruption) निर्धारित किया गया था.

अभियान का उद्देश्य भ्रष्टाचार के खिलाफ रुख अपनाने के लिए राष्ट्रों के बीच संबंधों को मजबूत करना, भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए समाधान विकसित करना, भ्रष्ट धन की वसूली आदि करना था.

बता दें कि 2021 के करप्‍शन इंडेक्‍स में, भारत विश्‍व रैंकिंग में 194 देशों में से 82वें स्थान पर है. TRACE द्वारा तैयार की गई सूची के अनुसार, 2021 में, उत्तर कोरिया और तुर्कमेनिस्तान में भ्रष्टाचार का सबसे अधिक जोखिम था, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे और फिनलैंड जैसे स्कैंडिनेवियाई देशों में सबसे कम भ्रष्टाचार है.

2020 में, भारत इस लिस्‍ट में 77 वें स्थान पर था, लेकिन 44 के स्कोर के साथ अपनी रैंक से 5 पायदान नीचे खिसक गया है. हालांकि, भारत ने चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य पड़ोसी देशों से बेहतर प्रदर्शन किया. केवल भूटान ने 62वां स्थान प्राप्त किया है, जो सीमावर्ती देशों में भारत से अधिक है.

इस वर्ष के आंकड़ों के अनुसार, उत्तर कोरिया, तुर्कमेनिस्तान, वेनेजुएला और इरिट्रिया में सबसे अधिक व्यावसायिक रिश्वतखोरी का जोखिम है, जबकि डेनमार्क, नॉर्वे, फिनलैंड, स्वीडन और न्यूजीलैंड में सबसे कम जोखिम।

आंकड़े से पता चलता है कि भारत 2020 में 45 अंकों के साथ 77 वें स्थान पर था, जबकि इस वर्ष यह 44 अंक के साथ 82 वें स्थान पर रहा। यह अंक चार कारकों पर आधारित है – सरकार के साथ व्यापार बातचीत, रिश्वत-रोधी निवारण और प्रवर्तन, सरकार और सिविल सेवा पारदर्शिता तथा नागरिक समाज की निगरानी की क्षमता जिसमें मीडिया की भूमिका शामिल है।

आंकड़ों से पता चलता है कि भारत ने अपने पड़ोसियों – पाकिस्तान, चीन, नेपाल और बांग्लादेश से बेहतर प्रदर्शन किया है। इस बीच, भूटान ने 62वीं रैंक हासिल की, जैसा कि आंकड़ों से पता चलता है।

इसमें कहा गया है, ‘‘पिछले पांच वर्षों में, वैश्विक रुझानों की तुलना में अमेरिका में व्यापार रिश्वतखोरी जोखिम वातावरण काफी खराब हो गया है। 2020 से 2021 तक, खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) के सभी देशों ने वाणिज्यिक रिश्वतखोरी जोखिम में वृद्धि देखी है। पिछले पांच साल में जिन देशों ने वाणिज्यिक रिश्वतखोरी के जोखिम वाले कारकों में सुधार की दिशा में सबसे बेहतर प्रदर्शन किया है, वे हैं- उज्बेकिस्तान, गाम्बिया, आर्मेनिया, मलेशिया और अंगोला।”

Related Articles

Back to top button