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GST से महंगा होगा रेल किराया, AC में सफर पर 15% टैक्स देना पड़ सकता है

  • नई दिल्ली: एक जुलाई से जीएसटी लागू होने के बाद रेल से ट्रैवल करना महंगा हो जाएगा।किराया बढ़ने के साथ ही उन पैसेंजर्स से भी जीएसटी वसूला जाएगा, जिन्होंने 4 महीने पहले टिकट बुक किया है। इन लोगों से ट्रेन में ही बढ़ा हुआ किराया वसूला जाएगा। माना जा रहा है कि एसी क्लास में ट्रैवल करने वालों को अब 14.5% की बजाय 15% टैक्स देना होगा।पुराने स्टॉक का क्रेडिट 90 दिनों में क्लेम कर सकते हैं कारोबारी…
      – सरकार ने जीएसटी में ट्रांजिशन के नियम जारी कर दिए हैं। इसके मुताबिक ट्रेडर और रिटेलर 90 दिनों में पुराने स्टॉक का टैक्स क्रेडिट क्लेम कर सकते हैं। जीएसटी नियमों के ड्राफ्ट में इसके लिए 60 दिनों का वक्त दिया गया था। यहां पुराने स्टॉक से मतलब उस सामान से है, जिसे उन्होंने 1 जुलाई से पहले खरीदा और उसकी सेल 1 जुलाई या उसके बाद कर रहे हैं।
    – जीएसटी काउंसिल द्वारा मंजूर नए नियमों के मुताबिक, “जो कारोबारी पुराने स्टॉक पर इनपुट टैक्स का क्रेडिट लेना चाहते हैं, उन्हें 90 दिनों के भीतर ऑनलाइन इसे डिक्लेयर करना पड़ेगा। बताना पड़ेगा कि वह कितने इनपुट टैक्स क्रेडिट का हकदार है। टैक्स कमिश्नर इस टाइम लिमिट को और 90 दिनों के लिए बढ़ा सकता है। लेकिन इसके लिए काउंसिल की मंजूरी लेनी पड़ेगी।” जिन गुड्स या सर्विसेस पर अभी वैट या सर्विस टैक्स दिया गया है, उसका क्रेडिट लेने के लिए डीलर को सप्लाई की पूरी जानकारी देनी पड़ेगी।
    – ट्रांजिशन के नए नियम मंगलवार को जारी किए गए। इसके मुताबिक, जिन गुड्स पर जीएसटी रेट 18% या इससे ज्यादा होगा, ट्रेडर और रिटेलर उस पर सीजीएसटी या एसजीएसटी का 60% क्लेम कर सकेंगे। जिन गुड्स पर जीएसटी रेट 18% से कम होगा, उन पर सिर्फ 40% क्रेडिट डीम्ड मिलेगा। ड्राफ्ट नियमों में सभी टैक्सेबल गुड्स पर 40% क्रेडिट का प्राेविजन किया गया था।
     
    चुकाए गए आईजीएसटी पर क्रेडिट, लेकिन 30% कर सकते हैं क्लेम
    – अगर किसी गुड्स पर आईजीएसटी चुकाया गया है तो डीम्ड क्रेडिट कम मिलेगा। गुड्स पर टैक्स रेट 18% या ज्यादा है तो 30% क्रेडिट मिलेगा। गुड्स पर टैक्स 18% से कम है तो सिर्फ 20% क्रेडिट मिलेगा। ड्राफ्ट नियमों में आईजीएसटी का जिक्र नहीं था।
     
    कीमत 25,000 रुपए से ज्यादा है तो एक्साइज ड्यूटी का 100% रिफंड मिलेगा
    – जिन गुड्स की कीमत 25,000 रुपए से ज्यादा होगी और जिन पर मैन्युफैक्चरर के ब्रान्ड का नाम और सीरियल नंबर लिखा होगा, उस पर एक्साइज ड्यूटी का 100% रिफंड लिया जा सकता है। टीवी, फ्रिज, कार की चेसिस ऐसी चीजों में आते हैं।
    – एक और शर्त है कि मैन्युफैक्चरर 30 जुलाई तक ऐसे गुड्स का क्रेडिट ट्रांसफर डॉक्युमेंट (सीटीडी) डीलर को देगा। यह सबूत होगा कि उन गुड्स पर एक्साइज का भुगतान किया गया है। डीलर के पास सामान के सभी इनवॉयस होने चाहिए। उसने किसी होलसेलर से खरीदा है तो उसका इनवॉयस भी चाहिए। टैक्स एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह प्राेविजन सभी डीलर और डिस्ट्रीब्यूटर के लिए बड़ी राहत है। वह एक्साइज ड्यूटी के बदले पूरा क्लेम कर सकते हैं।
     
    क्या है GST, कब से लागू होगा?
    – GST का मतलब गुड्स एंड सर्विसेस टैक्‍स है। आसान शब्‍दों में कहें तो जीएसटी पूरे देश के लिए इनडायरेक्‍ट टैक्‍स है, जो भारत को एक जैसा बाजार बनाएगा। एक जुलाई से GST देशभर में लागू होना है। 17 साल की कवायद के बाद GST इसलिए लाया जा रहा है, क्योंकि अभी एक ही चीज के लिए दो राज्यों में अलग-अलग कीमत चुकानी पड़ती है।
    – जीएसटी लागू होने पर सभी राज्यों में लगभग सभी गुड्स एक ही कीमत पर मिलेंगे। GST को केंद्र और राज्‍यों के 17 से ज्‍यादा इनडायरेक्‍ट टैक्‍स के बदले में लागू किया जा रहा है। इससे एक्‍साइज ड्यूटी, सेंट्रल सेल्स टैक्स (सीएसटी), स्टेट के सेल्स टैक्स यानी वैट, एंट्री टैक्स, लॉटरी टैक्स, स्टैम्प ड्यूटी, टेलिकॉम लाइसेंस फीस, टर्नओवर टैक्स, बिजली के इस्तेमाल या सेल्स और गुड्स के ट्रांसपोर्टेशन पर लगने वाले टैक्स खत्म हो जाएंगे।
     
     
     

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