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यूपी चुनाव में कांशीराम फैक्टर, कैसे दलित नेता के चेले बदल रहे हैं सियासत के समीकरण

नई दिल्ली। छोटे राजनीतिक दलों के नेता जिनके साथ यूपी के मुख्य दावेदार भाजपा और सपा ने चुनावी संभावनाओं को बढ़ावा देने के लिए गठबंधन किया है, उनमें कुछ समानता है। ओम प्रकाश राजभर, संजय निषाद और सोन लाल पटेल सभी को बसपा संस्थापक कांशीराम का अनुयायी माना जता है। कंशीराम आज भले ही बसपा के प्रतीक हैं, लेकिन उनके शिष्य उत्तर प्रदेश की राजनीति में फैले हुए हैं। उनमें से कई ने यूपी की जाति-आधारित राजनीति में महत्वपूर्ण खिलाड़ी बनने के लिए अपना रास्ता खुद बनाया।

रिपोर्ट के अनुसार, एसबीएसपी नेता ओम प्रकाश राजभर ने को बताया, “मान्यवर कांशीराम हमेशा कहा करते थे कि अपनी जाति के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए आपको जाति-आधारित पार्टियां बनाने की जरूरत है। सत्ता में अपने हिस्से का दावा करने का यह सही तरीका है।”

राजभर अपने कॉलेज के दिनों में कांशीराम की एक बैठक में शामिल हुए और उनके विचारों से प्रभावित हुए। वह 1981 में कांशी राम द्वारा स्थापित एक संगठन दलित शोषित समाज संघर्ष समिति का हिस्सा बन गए। राजभर ने कहा, “मैं बैठकें आयोजित करता था और लोगों को उनकी बात सुनने की व्यवस्था करता था।” वह बसपा में शामिल हो गए लेकिन बाद में अपनी पार्टी बनाने के लिए अलग हो गए। उन्होंने कहा, ‘वह कहते थे कि एक दिन ऐसा आएगा जब बड़ी पार्टियां सत्ता के लिए छोटी जाति आधारित पार्टियों के पीछे दौड़ेंगी। हम अब यह देख रहे हैं।’

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