उत्तर प्रदेशराज्यवाराणसी

ज्ञानवापी सुनवाई योग्य है या नहीं? फैसला आज

सुरक्षा के लिहाज से कमिश्नरेट में धारा 144 लागू, सतर्कता बढ़ाने के निर्देश
पुलिस आयुक्त ने की अपील: फैसला जो भी हो, दोनों पक्ष बनाएं रखे धैर्य

सुरेश गांधी

वाराणसी देश-दुनिया का सबसे चर्चित प्रकरण ज्ञानवापी-श्रृंगार विवाद के फैसले की घड़ी का इंतजार अब खत्म होने को है। मुकदमा आगे चलेगा या नहीं, इस पर फैसला 12 सितंबर यानी सोमवार को आ सकता है। मतलब साफ है सोमवार का दिन देश के इतिहास में बड़े महत्वपूर्ण दिन में शुमार होने जा रहा है। फैसला आने पर कहीं कोई विवाद ना हो इसके लिए प्रशासन अलर्ट मेड में है। चेताया है कि यदि किसी भी पक्ष ने कानून हाथ में लेने की कोशिश की तो उसे गंभीर धाराओं में निरुद्ध किया जायेगा। वाराणसी पुलिस आयुक्त (सीपी) ए सतीश गणेश ने रविवार को कमिश्नरेट क्षेत्र में धारा 144 लागू करने का आदेश दिया है। अब बिना अनुमति भीड़ जुटाने पर कार्रवाई होगी। सभी थानेदारों, एसीपी, एडीसीपी और डीसीपी को अतिरिक्त सतर्कता के साथ ड्यूटी करने को कहा गया है।

बता दें, पांच महिलाओं की ओर से दाखिल प्रार्थना पत्र में इतिहास और पुराणों का जिक्र करते हुए दर्शन पूजन का अधिकार मांगा गया था। वादी पक्ष का कहना है कि ज्ञानवापी परिसर स्थित शृंगार गौरी और विग्रहों को 1991 की पूर्व स्थिति की तरह नियमित दर्शन-पूजन के लिए सौंपा जाएं और सुरक्षित रखा जाए। इस अपील पर जिला जज की अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है। अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 12 सितंबर तय की है। माना जा रहा है कि अब 12 सितंबर को अदालत अपना फैसला सुनाएगी कि मां श्रृंगार गौरी का केस आगे सुनवाई योग्य है या नहीं। हिंदू पक्ष के अधिवक्ताओं ने कहा कि जो ज्ञानवापी मस्जिद औरंगजेब की सम्पत्ति बताई गई है वह उनकी पैतृक नहीं है। मस्जिद को जमीन समर्पित करने की बात भी फर्जी है और वहां मंदिर का स्ट्रक्चर है। उस पर मस्जिद का ढांचा खड़ा कर दिया गया।

हिन्दू पक्ष की दलीलें
वाद में दिए गए तथ्यों पर विचारण करने का अधिकार सिविल कोर्ट को है और यह विशेष उपासना स्थल एक्ट से बाधित नही है। हिंदू पक्ष ने कहा कि औरंगजेब आतताई था और मंदिर तोड़कर उसने मस्जिद बनवाया, लेकिन मस्जिद के पीछे मंदिर की दीवार छोड़ दी। यह कलंक है और आज भी चुभता है। प्रार्थना पत्र के अनुसार दशाश्वमेध घाट के पास आदिशेश्वर ज्योतिर्लिंग का एक भव्य मंदिर मौजूद था। इसे लाखों सालों पहले त्रेता युग में स्वयं भगवान शिव ने स्थापित किया था। वर्तमान में यह ज्ञानवापी परिसर प्लाट संख्या 9130 पर स्थित है। पुराने मंदिर परिसर में मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदीजी, दृश्य और अदृश्य देवता हैं। मुस्लिम आक्रमणकारियों ने 1193-94 से कई बार मंदिर को नुकसान पहुंचाया। हिंदुओं ने उसी स्थान पर मंदिर का निर्माण/पुनर्स्थापित किया। सन 1585 में जौनपुर के तत्कालीन राज्यपाल राजा टोडरमल ने अपने गुरु नारायण भट्ट के कहने पर उसी स्थान पर भगवान शिव का भव्य मंदिर बनवाया था। वह स्थान जहां मंदिर मूल रूप से अस्तित्व में था यानी भूमि संख्या 9130 पर केंद्रीय गर्भगृह से युक्त आठ मंडपों से घिरा हुआ था। औरंगजेब ने 1669 ईस्वी में मंदिर को ध्वस्त करने का फरमान जारी किया था। भगवान आदि विशेश्वर के प्राचीन मंदिर को आंशिक रूप से तोड़ने के बाद, वहां ’ज्ञानवापी मस्जिद’ नामक एक नया निर्माण किया गया था।

बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहास और संस्कृति विभाग के प्रोफेसर और प्रमुख डा. एएस अल्टेकर ने अपनी पुस्तक ’हिस्ट्री ऑफ बनारस’ में मुसलमानों द्वारा प्राचीन काल में बनाए गए निर्माण की प्रकृति का वर्णन किया है। औरंगजेब ने उक्त स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिए कोई वक्फ नहीं बनाया था। इसलिए मुसलमानों से संबंधित किसी भी धार्मिक कार्य के लिए भूमि का उपयोग करने का अधिकार नहीं है। भूमि संख्या 9130 पांच क्रोश भूमि के साथ पहले से ही देवता आदिविशेश्वर में लाखों साल पहले ही निहित हो चुकी थी और देवता मालिक हैं। वर्ष 1780-90 में इंदौर की रानी अहिल्याबाई होल्कर ने भगवान शिव का एक मंदिर बनवाया। पुराने मंदिर और भगवान शिव के शिव लिंगम के बगल में एक शिव लिंगम की स्थापना की। सुविधा के लिए रानी अहिल्याबाई द्वारा निर्मित मंदिर को “नया मंदिर“ और श्री आदि विशेश्वर मंदिर को ’पुराना मंदिर’ कहा जा रहा है। कथित ज्ञान वापी मस्जिद की पश्चिमी दीवार के पीछे प्राचीन काल से मौजूद देवी श्रृंगार गौरी की छवि है और उनकी लगातार पूजा की जाती है।

स्कंदपुराण के अनुसार भगवान विश्वनाथ की पूजा का फल प्राप्त करने के लिए मां देवी श्रृंगार गौरी की पूजा अनिवार्य है। वर्ष 1936 में दीन मोहम्मद की ओर से ज्ञानवापी को लेकर दाखिल मुकदमें में परिसर की पैमाइस एक बीघा नौ बिस्वा छह धूर बताई गई है। इस मुकदमे के गवाहों ने देवी मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और दृश्य और अदृश्य देवताओं की छवियों उसी स्थान पर होने से दैनिक पूजा करने को साबित किया है। उत्तर प्रदेश काशी विश्वनाथ मंदिर अधिनियम 1983 के तहत मंदिरों, मंदिरों, उप मंदिरों और अन्य सभी छवियों की पूजा करने के अधिकार हिंदुओं को प्राप्त है। मां श्रृंगार गौरी की पूजा को वर्ष में केवल एक बार प्रतिबंधित करने का कोई लिखित आदेश पारित नहीं किया है। हिंदू पक्ष ने मांग किया कि ज्ञानवापी परिसर (आराजी संख्या 9130 ) में मौजूद मां श्रृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान, नंदी जी और अन्य दृश्य और अदृश्य देवताओं के दैनिक दर्शन, पूजा, आरती, भोग का अधिकार वादियों को है इसलिए उन्हें ऐसा करने में बाधा पहुंचाने वालों को रोका जाए। साथ ही उन्हें किसी तरह की क्षति पहुंचाने से रोका जाए। वहां सुरक्षा के लिए शासन व जिला प्रशासन को निर्देश दिया जाए।

मुस्लिम पक्ष की दलीलें
मुस्लिम पक्ष की ओर से अंजुमन के अधिवक्ता शमीम अहमद ने काशी विश्वनाथ मंदिर ट्रस्ट एक्ट और विशेष उपासना स्थल कानून का हवाला देते हुए कहा कि विश्वनाथ मंदिर का जिक्र है। उसमें नए व पुराने मंदर के बाबत कुछ नहीं कहा गया। साथ ही मस्जिद प्रापर्टी का जिक्र नहीं है। एक्ट में मंदिर की व्यवस्था की देख रेख की बात कही गई है। मस्जिद के लिए कुछ नहीं कहा गया। 1942 में ही स्पष्ट हो गया था कि आराजी 9130 मस्जिद है और वह वक्फ सम्पत्ति है। इस बाबत 1944 में गजट भी जारी किया गया। 1936 के दीन मोहम्मद केस के निर्णय में कहा गया कि यह मस्जिद औरंगजेब के जमाने के पहले से है। विशेष उपासना स्थल कानून 1991 में स्पष्ट है कि 15 अगस्त 1947 के बाद जो भी धर्म स्थल जिस रूप में होगा उसी रूप में रहेगा। हिंदू पक्ष वक्फ बोर्ड में दर्ज आलमगीर मस्जिद को धरहरा माधव बिंदु बता रहे हैं, वह गलत है। यह मस्जिद वक्फ बोर्ड में 221 पर दर्ज है और ज्ञानवापी 100 नं. पर दर्ज है। इसके जवाब में हिंदू पक्ष ने अदालत में कहा कि अंजुमन इंतजमिया ने जो 1291 फसली वर्ष का जो खसरा दाखिल किया है वह स्वामित्व का प्रमाणपत्र नहीं है। उसकी वैधता की जांच का अधिकार सिविल कोर्ट को है। जो इंतजामिया कमेटी ने जमीन की अदला बदली की है वह सम्पत्ति देवता की है। ऐसे में मंदिर ट्रस्ट को और मसाजिद कमेटी को जमीन बदलने का कोई अधिकार नहीं है। यह जिला जज की अनुमति के बाद ही हो सकता है।

वादी

  1. हौजखास नई दिल्ली की राखी सिंह
  2. सूरजकुंड लक्सा वाराणसी की लक्ष्मी देवी
  3. सरायगोवर्धन चेतगंज वाराणसी की सीता साहू
  4. रामधर वाराणसी की मंजू व्यास
  5. हनुमान पाठक वाराणसी की रेखा पाठक

प्रतिवादी

  1. चीफ सेक्रट्ररी के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार
  2. जिलाधिकारी वाराणसी
  3. पुलिस कमिश्नर
  4. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतेजामिया मसजिद

अफवाह फैलाने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई
कैंप कार्यालाय में आयोजित ऑनलाईन बैठक में पुलिस आयुक्त ने कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निपटने की तैयारी की समीक्षा की। उन्होंने पुलिस अधिकारियों को सभी धर्मगुरुओं एवं महत्वपूर्ण व्यक्तियों के साथ संवाद स्थापित करने के निर्देश दिया। औचक चेकिंग के लिए सेक्टर स्कीम लागू किया जा रहा है। मिश्रित आबादी वाले संवेदनशील इलाकों में फ्लैग मार्च एवं फुट पेट्रोलिंग करने के निर्देश दिया। पीआरवी और क्यूआरटी को संवेदनशील स्थानों पर लगाने को कहा। दूसरे जनपदों से वाराणसी से लगने वाली सीमा पर जांच और सतर्कता बढ़ाने के निर्देश दिया। होटल, धर्मशाला और गेस्ट हाउस की चेकिंग, सोशल मीडिया पर लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। अफवाह फैलाने और माहौल बिगाड़ने वालों से पुलिस बहुत सख्ती से पेश आएगी। बैठक को एडिशनल पुलिस कमिश्नर संतोष सिंह ने भी संबोधित किया। पुलिस आयुक्त ए. सतीश गणेश ने कहा कि शांति और कानून व्यवस्था को बरकरार रखने के लिए पुलिस प्रतिबद्ध है। सभी लोग शांतिपूर्वक रहते हुए कानून व्यवस्था को बरकरार रखने में पुलिस का सहयोग करें।

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