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HC का सख्त कमेंट- कभी-कभी प्रेसिडेंट भी गलत हो सकते हैं

capture-1_1461136114नैनीताल. उत्तराखंड में प्रेसिडेंट रूल लगाने के मुद्दे पर बुधवार को नैनीताल हाईकोर्ट ने सख्त कमेंट किया। कहा, ”ये कोई राजा का फैसला नहीं है, जिसका ज्यूडिशियल रिव्यू नहीं किया जा सके। एकतरफा पावर किसी को भी करप्ट कर सकता है। प्रेसिडेंट भी कभी-कभी गलत हो सकते हैं।” बता दें कि राज्य में पिछले महीने केंद्र सरकार की सिफारिश पर प्रेसिडेंट रूल लगाया गया था। कोर्ट ने कहा- यही हमारे कॉन्स्टिट्यूशन की खूबी है…
 
 
हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान केंद्र से कहा- ”हमारे कॉन्स्टिट्यूशन की यही खूबी है कि प्रेसिडेंट के फैसले को भी चैलेंज किया जा सकता है।”
”जैसे किसी भी जज के फैसलों का रिव्यू किया जाता है, वैसा ही प्रेसिडेंट के फैसलों का भी किया जा सकता है।”
 ” हम प्रेसिडेंट के फैसले पर शक नहीं कर रहे हैं।”
कोर्ट ने यह सख्त टिप्पणी तब की, जब केंद्र ने दलील दी थी कि कोर्ट प्रेसिडेंट रूल के फैसले का रिव्यू नहीं कर सकता है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसफ और जस्टिस वीके बिष्ट की बेंच पूर्व सीएम हरीश रावत की पिटीशन पर सुनवाई कर रही है।
 
पहले क्या कहा था कोर्ट ने?
 
 प्रेसिडेंट रूल पर कांग्रेस की पिटीशन पर सुनवाई के दौरान मंगलवार को हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई थी।
 हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा था, “सरकार के लिए तो यह प्यार और जंग में सब जायज है, जैसा मामला है।”
इससे पहले अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा था, “हरीश रावत को तिकड़मबाजी का एक और मौका नहीं दिया जा सकता।”
सोमवार को हाईकोर्ट ने कहा था, “गवर्नर केंद्र के एजेंट नहीं हैं। उन्हें 18 मार्च की घटना के बाद एक-दो दिन में फ्लोर टेस्ट का लिखित ऑर्डर देना था।”
 
 
इस क्राइसिस को ऐसे समझें
 उत्तराखंड में 18 मार्च को राजनीतिक संकट उस वक्त शुरू हुआ था, जब 70 मेंबर्स की असेंबली में कांग्रेस के 36 में से 9 विधायक बागी हो गए।
गवर्नर केके पॉल ने सीएम हरीश रावत को 28 मार्च तक विश्वास मत हासिल करने को कहा।
लेकिन केंद्र ने विश्वास मत हासिल करने के पहले 27 मार्च को ही राज्य में प्रेसिडेंट रूल लगा दिया।
कांग्रेस ने प्रेसिडेंट रूल के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की। हाईकोर्ट ने 31 मार्च को असेंबली में फ्लोर टेस्ट कराने का ऑर्डर दिया।
कोर्ट ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को बतौर ऑब्जर्वर बनाया। साथ ही, कांग्रेस के बागी और सस्पेंड हो चुके 9 विधायकों को भी वोटिंग की मंजूरी दी।
इसके बाद, 30 मार्च को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चैलेंज किया। तब से कोर्ट में सिलसिलेवार सुनवाई चल रही है।
 
 
उत्तराखंड में अभी क्या है गणित?
 
रावत के साथ कितने विधायक?
हरीश रावत 33 विधायकों का साथ होने का दावा कर रहे हैं। वे मार्च में गवर्नर से मिलने भी गए थे। सरकार बनाने का दावा भी पेश किया था।
रावत का दावा था कि कांग्रेस के 27, निर्दलीय 3, बीएसपी के 2 और यूकेडी (उत्तराखंड क्रांति दल) का एक विधायक उनके साथ है।
 
बीजेपी को कितनों का साथ?
असेंबली में बीजेपी के 28 मेंबर हैं। इनमें से एक सस्पेंड है।
बीएसपी के 2, निर्दलीय 3 और उत्तराखंड क्रांति दल का एक विधायक।
इसके अलावा कांग्रेस के बागी 9 विधायक।

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