दस्तक-विशेष

हिजाब वाली मुस्लिम प्रधानमंत्री

फिरोज़ बख़्त अहमद

पिछले दिनों बात उठी कि जब ब्रिटेन में भारतीय मूल के ऋषि सुनक, जो कि एक हिंदू हैं, तो क्यों न भारत, जो कि एक धर्म निरपेक्ष देश है, क्यों n यहां एक मुस्लिम प्रधानमंत्री बने! ओवैसी ने तो यहां तक कह दिया कि वह चाहते हैं कि यह प्रधानमंत्री एक हिजाब वाली मुस्लिम महीला हो! A बातें कहते रहने की उनकी पुरानी आदत है। सुबह सवेरे वह अपनी ज़हरआलूद दुकान का शटरf उठा देते हैं और भारत में आग लगाने के लिए हर माल, दस रुपए, बीस रुपए माल बेचना शुरू कर देते हैं! उन्हों ने ही यह बात कहकर एक बर फिर नफ़रत की खेती करी है।

वास्तव में भारत में तो कोई भी प्रधानमंत्री बन सकता है। यहां तो कई मुस्लिम राष्ट्रपति व उपराष्ट्रपति भी बन चुके हैं। ओवैसी का मकसद वास्तव में एक मुस्लिम महिला और वह भी हिजाब वाली, बनाना नहीं बल्कि अपनी सांप्रदायिक मानसिकता द्वारा हिंदू व मुस्लिम तबकों के बीच दीवारें खड़ी करके अपना राजनीतिक उल्लू साधना है। हिजाब वाली मुस्लिम महिला आगे आए, ऋषि सुनक की तरह अपने एमपी बनाए और प्रधानमंत्री बन जाए!

क्या ओवैसी के पास इसका जवाब है कि कर्नाटक में नो हिजा, नो किताब का नारा देने वालों और मुस्लिम बच्चियों को कक्षा में जाने से रोकने वालों के साथ वह क्यों खड़े हैं और भारत को दुनिया भर में यह कहकर क्यों बदनाम कर रहे हैं कि भारत में हिजाब पर बैन अर्थात् रोक लगा दी गई है जबकि सच्चाई इसके बिल्कुल उलट है क्योंकि रोक केवल उडूपी के एक शिक्षा संस्थान में केवल क्लास में कोई भी हिजाब, घूंघट, भगवा रंग के कपड़े आदि ऐसी ड्रेस पर पाबंदी लगाई गई थी और हर शिक्षा संस्थान को इसकी इजाज़त है कि वह कोई भी ड्रेस कोड ला सकती है। इसके अतिरिक्त यह रोक और कहीं नहीं है और उडूपी के उस स्कूल मैं भी सिवाय कक्षा के कहीं भी ये युवतियां हिजाब लगा कर जा सकती हैं, चाहे वह कैंटीन हो, लाइब्रेरी हो, खेल का मैदान हो या कोई कोरिडोर हो।

ओवैसी और उनकी मानसिकता वाले लोग यह बताएं कि ये छात्राएं ग्यारह महीने से कक्षा में नहीं जा रही हैं और इन्हों ने बोर्ड की परीक्षा का भी बहिष्कार किया है। लगभग ऐसी दो हज़ार बच्चियां, कट्टरपंथियों द्वारा ढक्कन कसे जाने के बाद आज भी कक्षा के बाहर अपना जीवन दूभर करने में जुटी हैं।

हाथों हाथ लेखक यह भी बता देना चाहेगा कि जहां तक हिजाब का संबंध है, यह इस्लाम का उस प्रकार का अभिन्न अंग नहीं है, जैसा कि सिख समुदाय में पगड़ी, कड़ा व कृपाण का है, या ईसाई समुदाय में क्रॉस का है। वैसे भी कुरान में बुर्के का कोई ज़िक्र नहीं है बल्कि अपने वक्षों पर जिलबाब या हिजाब अर्थात् एक चादर से ढकने का है। कट्टरपंथी मुस्लिमों ने हिजाब को व्यर्थ मुद्दा बनाकर इन बच्चियों को अंधे कुएं में धकेला है और चाहते हैं कि ये बच्चियां आगे चलकर डॉक्टर, इंजीनियर, आईएएस ऑफिसर, प्रोफेसर, फैजी, पायलट आदि n बनकर चूल्हे और चाहर दिवारी की कैद में बंद रहें। ये भारत की प्रथम मुस्लिम महिला जज, फातिमा बीबी, प्रथम मुस्लिम मुख्यमंत्री, बेगम अनवारा तैमूर, सानिया मिर्जा, और कश्मीर की विश्व किक बॉक्सिंग चैंपियन तजम्मुल हुसैन न बनें। हां, फातिमा बीबी यूं तो हर स्थान पर हिजाब पहनती थीं मगर न्यायालय के ड्रेस कोड के अनुसार वे अपनी सीट पर बैठती थीं तो कोर्ट की ड्रेस में होती थीं। क्या हिजाब पहन कर मुस्लिम महिलाएं ऑपरेशन कर सकती हैं, फुटबॉल खेल सकती हैं या हवाई जहाज उड़ा सकती हैं?

हिजाब वाली मुस्लिम प्रधानमंत्री की नियुक्ति करने की मांग करने वाले ओवैसी से लेखक सवाल करना चाहता है कि अबतक अपनी एआईएमआईएम पार्टी में वह कितनी महिलाओं को जोड़ चुके हैं और कितनों को पार्टी अध्यक्ष बना चुके हैं!? सिवाए एक सैयदा फलक के, कोई दूसरा चेहरा कोसी महिला का उनकी पार्टी में शामिल नहीं है और वह भी जब टीवी डीबेटों में आती हैं तो भारत में आग लगाने की बात करती हैं।

ओवैसी जैसे व्यक्ति की राह पर चलने वाले इस बात को समझ लें कि चंदूखाने की चिरकुट राजनीति भारत में नहीं चलने वाले, क्योंकि इस देश में नियुक्तियां धर्म के आधार पर नहीं, बल्कि काबिलियत के आधार पर होती हैं। चाहे वह राष्ट्रपति ज़ाकिर हुसैन हों, फखरुद्दीन अली अहमद हों या ए पी जे अब्दुल कलाम हों, सभी अपनी योग्यता के आधार पर नियुक्त हुए हैं। आज भी भारत की क्रिकेट टीम में मुहम्मद शमी, मुहम्मद सिराज, उमरान मालिक, सरफराज आदि जैसे तीन से चार मुस्लिम मौजूद हैं। पाकिस्तान, बांग्ला देश और यूएई की टीम में कितने हिन्दू शामिल हैं? वैसे भारत में लगभग हर विभाग में मुस्लिम शमिल हैं। भारत से बड़ा धर्म निरपेक्ष देश और मुस्लिमों ही नहीं, बल्कि सभी धर्मों के साथ इंसाफ करने वाला दूसरा कोई देश नहीं है।

ओवैसी जैसे ढकोसलेबाज़ नेताओं को मुस्लिम समाज परिपक्व होने के नाते हाशिये से लगा चुका है और यही काम कर्नाटक की बच्चियों को करना चाहिए ताकि कट्टरपंथियों के चुंगल से निकल कर वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपनों का पांच ट्रिलियन डॉलर की इकोनॉमी भारत को बनाएं और इसे विश्व गुरु बनने की तेजगाम राह पर अग्रसर करें। भारत माता की जय!

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