राष्ट्रीय

हिमाचल में भाजपा के मिशन रिपीट को कामयाब करेगी AAP? कैसे कांग्रेस को लगेगा झटका

शिमला: पंजाब में बंपर जीत हासिल करने के बाद से आम आदमी पार्टी की महत्वाकांक्षाएं बढ़ गई हैं। उसकी ओर से फिलहाल गुजरात और हिमाचल प्रदेश पर फोकस किया जा रहा है। दोनों ही राज्यों में इसी साल नवंबर में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। खासतौर पर हिमाचल को लेकर आम आदमी पार्टी काफी उत्साहित है क्योंकि यह पंजाब से सटा हुआ सूबा है। यही नहीं सांस्कृतिक तौर पर हिमाचल का बड़ा क्षेत्र पंजाब के प्रभाव में रहा है। ऐसे में आम आदमी पार्टी इस राज्य में तीसरा विकल्प बनकर मजबूती से उभरने की तैयारी में है। यहां अब तक कांग्रेस और भाजपा ही बारी-बारी से शासन करती रही हैं।

हालांकि अहम सवाल यह है कि पंजाब के मैदानों में छाने वाली ‘आप’ हिमाचल के पहाड़ों पर कैसे सफलता की चढ़ाई चढ़ पाएगी। हिमाचल की राजनीति को समझने वाले कहते हैं कि अभी यहां आम आदमी पार्टी को इंतजार करना होगा, लेकिन पंजाब से सटे ऊना और कांगड़ा जैसे जिलों में जरूर उसका प्रभाव दिख सकता है। इसके अलावा बड़ी बात यह है कि आम आदमी पार्टी की एंट्री इस बार भाजपा के लिए वरदान जैसी हो सकती है। हर 5 साल में सत्ता परिवर्तन करने वाले हिमाचल में आप की एंट्री से भाजपा का मिशन रिपीट सफल हो सकता है। इसकी वजह यह है कि देश भर में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस का ही वोट टूटकर मिलता रहा है। ऐसे में हिमाचल में भी ऐसा होने की प्रबल संभावना है और यह स्थिति भाजपा के लिए फलदायी होगी।

दरअसल हिमाचल के सुदूर इलाकों तक आप के लिए पहुंच बना पाना थोड़ा कठिन होगा। इसके अलावा पंजाब की तरह यहां उसके पास अभी लोकप्रिय चेहरों का भी अभाव दिखता है। फिर भी एक ऐसा पहलू है, जिसके जरिए आम आदमी पार्टी मजबूती से दस्तक दे सकती है। यह है जातिगत समीकरण। हिमाचल में अब तक कुल 6 मुख्यमंत्री हुए हैं। इनमें से शांताकुमार ब्राह्मण थे और बाकी 5 मुख्यमंत्री यशवंत सिंह परमार, ठाकुर राम लाल, वीरभद्र सिंह, प्रेमकुमार धूमल और अब जयराम ठाकुर सभी क्षत्रिय बिरादरी से आते हैं। आबादी के लिहाज से बात करें तो भले ही ठाकुरों की आबादी 35 फीसदी है, जो राज्य में सबसे ज्यादा है। लेकिन दलित और ओबीसी के प्रतिनिधित्व के नाम पर आम आदमी पार्टी बढ़त बना सकती है।

गैर-ठाकुर चेहरे के जरिए मजबूत दस्तक दे सकती है आप
हिमाचल प्रदेश में 25 फीसदी दलित आबादी है और 18 पर्सेंट ब्राह्मण हैं। इसके अलावा ओबीसी मतदाताओं की संख्या भी 14 फीसदी के करीब है। ऐसे में गैर-ठाकुर चेहरे के नाम पर भी आम आदमी पार्टी मजबूती से एंट्री कर सकती है। सूबे में कुल 68 सीटें हैं, जिनमें से 17 सीटें दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं। इसके अलावा किन्नौर, लाहुल स्पीति और भरमौर सीटें अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व हैं।

Related Articles

Back to top button