अन्तर्राष्ट्रीय

भारत के एनआईए ने किया कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव का आयोजन, क्या था मक़सद

विवेक ओझा

भारत के नेतृत्व की क्षमता से सभी परिचित हैं । प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत की विदेश नीति को नई ऊंचाइयां मिली हैं लेकिन यह बात और सुखद रूप में तब सामने आ जाती है जब पता चलता है कि भारत के विभिन्न क्षेत्र की संस्थाऐं और संगठन भी अपने नेतृत्वकारी गुणों को लगातार बढ़ा रहे हैं। ऐसा ही नेतृत्व कौशल भारत के नेशनल इन्वेस्टीगेशन एजेंसी में देखने को मिला है। 19 अप्रैल 2022 को भारत की राष्ट्रीय जांच एजेंसी यानी एनआईए द्वारा कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव का आयोजन किया गया। इसका आयोजन भारत सहित अन्य देशों द्वारा आतंकवाद के मामलों की जांच से संबंधित अनुभवों को साझा करने के लिए किया गया। यह एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस था जिसमें भारत, मालदीव, मॉरीशस, श्रीलंका और बांग्लादेश के पैनलिस्ट और प्रतिभागियों ने भाग लिया।

इस कॉन्क्लेव में क्या बातें की गईं उसे जानने से पहले यह जान लेते हैं कि कोलम्बो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव क्या है ? इसका मकसद क्या है ? इसे कब शुरू किया गया , और कितने देश इसमें शामिल हैं। दरअसल कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव में अभी तक तीन सदस्य देश
भारत, श्रीलंका और मालदीव शामिल थे लेकिन हाल ही में सदस्य के रूप में मॉरीशस को भी शामिल किया गया है। बांग्लादेश और सेशेल्स इसमें पर्यवेक्षकों के रूप में भाग लेते हैं।

कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव में नार्को-ट्रैफिकिंग, मानव तस्करी, पायरेसी, मछली पालन, आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा चुनौतियों पर चर्चा की जाती है। इसमें आतंकवाद के सभी स्वरूपों से निपटने के लिए सदस्य देशों के बीच सहयोग करने पर नई सहमतियां भी बनाई जाती हैं।

कोलंबो सुरक्षा सम्मेलन की स्थापना वर्ष 2011 में भारत, श्रीलंका और मालदीव के बीच सुरक्षा सहयोग के चार स्तंभों के साथ एक त्रिपक्षीय सुरक्षा ढांचे के रूप में की गई थी, जिसमें समुद्री सुरक्षा, मानव तस्करी, आतंकवाद का मुकाबला और साइबर सुरक्षा शामिल है। इस कॉन्क्लेव का मकसद हिंद महासागर के तीनों देशों के बीच समुद्री और सुरक्षा मामलों पर घनिष्ठ सहयोग बनाना है।

गौरतलब है कि 19 अप्रैल को हुए इस कॉन्फ्रेंस में शामिल प्रतिभागियों ने अपने-अपने देशों में आतंकवाद से संबंधित विभिन्न चुनौतियों पर चर्चा की और आतंकवाद के विभिन्न मामलों में मुकदमा चलाने, विदेशी लड़ाकों से निपटने की रणनीति और इंटरनेट एवं सोशल मीडिया के दुरुपयोग का मुकाबला करने के बारे में अपने अनुभव साझा किए। पैनलिस्टों ने आतंकवाद और कट्टरवाद से संबंधित मामलों की प्रभावी जांच और अभियोजन के लिए कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव के सदस्य एवं पर्यवेक्षक देशों के बीच घनिष्ठ सहयोग और समन्वय की जरूरत पर जोर दिया।


प्रतिभागियों ने कोलंबो सिक्योरिटी कॉन्क्लेव के तहत आतंकवाद और कट्टरपंथ का मुकाबला करने की दिशा में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए विशिष्ट क्षेत्रों की पहचान करने पर सहमति व्यक्त की। वैसे भी कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव अभियान का उद्देश्य हिंद महासागर क्षेत्र के महत्वपूर्ण हिस्सों को वाणिज्यिक शिपिंग, अंतरराष्ट्रीय व्यापार और वैध समुद्री गतिविधियों के संचालन के लिए सुरक्षित रखना है।

इससे पूर्व कोलंबो सुरक्षा कॉन्क्लेव की 5वीं राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार स्तर की बैठक 9 मार्च 2022 को आयोजित की गई थी और सबसे खास बात ये थी कि इसमें भारत, श्रीलंका, मालदीव, मॉरीशस, बांग्लादेश और सेशेल्स के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रतिनिधि शामिल हुए थे । भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने भाग लिया था और हिंद महासागर क्षेत्र के चुनौतियों पर चर्चा करते हुए पड़ोसियों से सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने का आह्वान किया था।


( लेखक अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकार हैं।)

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