उत्तर प्रदेशराज्य

JNU में वापस लौटे कन्हैया कुमार, जश्न में डूबा गोरखपुर

kanhaiya-Kumar-1दस्तक टाइम्स एजेंसी/गोरखपुर। देशद्रोह के मामले में गिरफ़्तारी के बाद ज़मानत पर रिहा हुए जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के छात्रसंघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार की रिहाई की खुशी गुरुवार को गोरखपुर की सड़कों पर दिखी। अंबेडकरवादी छात्र सभा से जुड़े युवाओं ने अबीर-गुलाल उड़ाकर कन्हैया की रिहाई का जश्न मनाया साथ ही ढोल-नगाड़ा बजाते हुए अंबेडकरवादी छात्र सभा से जुड़े युवा अंबेडकर चैराहा पहुंचे। कोर्ट द्वारा जेएनयू अध्यक्ष को रिहा करने के आदेश को अंबेडकरवादी छात्र लोकतंत्र की जीत बता रहे थे। इन लोगों का कहना था कि कन्हैया की रिहाई ने साफ कर दिया है कि उसको फंसाया गया था।

कन्हैया ने छात्रों को किया संबोधित

जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष कन्हैया कुमार को कल तिहाड़ जेल से रिहा कर दिया गया। रिहाई के बाद गुरुवार को वह जेएनयू कैंपस पहुंचे वहां उन्होंने रात 10:20 बजे छात्रों को संबोधित किया। अपने भाषण में कन्हैया ने कहा कि उसे देश की समस्याओं, भूखमरी, भ्रष्टाचार से आजादी चाहिए। अपने 40 मिनट से अधि‍क के संबोधन में कन्हैया ने कहा कि उनका देश के संविधान में पूरा भरोसा है और पूरी उम्मीद है कि बदलाव आकर रहेगा। कन्हैया ने अपने भाषण में पीएम मोदी पर जमकर निशाना साधा। भाषण से पहले कन्हैया ने नारा लगाकर शुरूआत की।

कन्हैया कुमार की तुलना चूहे से

आरएसएस के प्रचार प्रमुख डॉ. मनमोहन वैद्य ने कन्‍हैया के भाषण को प्रतिक्रिया देने लायक नहीं माना। मनमोहन वैद्य ने कहा कि उन्‍होंने दूसरी क्लास में एक चूहे की कहानी पढ़ी थी। उन्होंने कहा कि एक चूहे को रास्ते में एक अच्छी टोपी मिल गई। इस टोपी के ऊपर पर कुछ चीज अच्छी सजाई (मराठी में जिसे गोंडा बोलते हैं) थी। चूहे ने टोपी पहन ली और बाजार में घूमने लगा और जोर से चिल्लाने लगा कि मेरी जैसी टोपी राजा के पास भी नहीं है। जब ये बात राजा तक गई तब उसे पकड़वाकर दरबार में लाया गया। वहां पर भी यही बात दोहराते रहा। राजा ने गुस्से में आकर उसकी टोपी ले ली। वो चिल्लाने लगा कि राजा भिखारी ने मेरी टोपी ले ली।

चूहे में इससे आगे कुछ करने की ताकत नहीं थी। राजा ने चूहे की टोपी वापस कर दी। चूहा चिल्लाने लगा कि राजा डर गया मेरी टोपी वापस कर दी है। कहानी को जारी रखते हुए मनमोहन वैद्य ने कहा कि इन कम्युनिस्टों का भी यही हाल है। मुझे दूसरी क्लास में पता नहीं था। इस अध्याय का कितना बड़ा मतलब है। कन्हैया मामले में संघ का क्या सोचना है उससे ज्यादा जज ने जो टिप्पणियां की वो ज्यादा गंभीर है। उस पर विचार होना ज्यादा जरूरी है। मनमोहन वैद्य ने ये बातें एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू मे कहीं।

Related Articles

Back to top button