JNU विवाद: कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से मिली छह महीने की अंतरिम जमानत
दस्तक टाइम्स एजेंसी/नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को अंतरिम जमानत दे दी। कन्हैया कुमार को दिल्ली हाईकोर्ट से छह महीने की अंतरिम जमानत मिली है। कन्हैया कुमार को 10 हजार रुपए के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी गई है। हाईकोर्ट ने कहा कि कन्हैया कुमार को जांच में सहयोग करना होगा और जरूरत होने पर जांचकर्ताओं के सामने खुद पेश होना पड़ेगा।
कन्हैया को सशर्त राहत देने वाले हाईकोर्ट ने कहा कि वह ऐसी किसी गतिविधि में सक्रिय या निष्क्रिय रूप से हिस्सा नहीं लेंगे जिसे राष्ट्रविरोधी कहा जाए। उच्च न्यायालय ने उनके जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष होने के नाते आदेश दिया कि वह कैंपस में राष्ट्रविरोधी गतिविधियों को रोकने के लिए अपने सभी अधिकार के तहत प्रयास करेंगे। अदालत ने अन्य आरोपियों सहित छात्रों द्वारा कथित रूप से की गई नारेबाजी के बारे में कड़ी टिप्पणियां कीं और कहा कि वे अभिव्यक्ति की मौलिक आजादी के तहत संरक्षण का दावा नहीं कर सकते, खासकर इस तथ्य को देखते हुए कि इस मामले की जांच शुरुआती चरण में है।
न्यायमूर्ति प्रतिभा रानी ने संसद पर हमले के अभियुक्त अफजल गुरू और एक यात्री विमान हाईजैक करने के मास्टरमाइंड मकबूल भट्ट की तस्वीरों और पोस्टरों के साथ कैंपस में छात्रों द्वारा हुए विरोध प्रदर्शन और नारेबाजी के तरीके पर भी तीखी आपत्ति व्यक्त की। भट्ट को 1984 में फांसी दी गयी थी।
कन्हैया की अंतरिम जमानत के लिए शर्तें निर्धारित करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि 10,000 रूपये की जमानत राशि और जमानतदार देना होगा और इस शर्त से संतुष्ट करना होगा कि वह अदालत की अनुमति के बिना देश नहीं छोड़ेंगे। न्यायाधीश ने कहा, नारेबाजी में जिस तरह का विरोध हुआ या भावनाएं जाहिर की गयी उस पर छात्र समुदाय को आत्म अवलोकन करने की जरूरत है, जिनकी अफजल गुरू और मकबूल भट्ट की तस्वीरें और पोस्टर थामे तस्वीरें रिकॉर्ड पर उपलब्ध हैं।’ न्यायाधीश ने कन्हैया की पारिवारिक पृष्ठभूमि पर भी विचार किया। उनकी मां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के तौर पर महज 3000 रुपये कमाती हैं और परिवार में अकेली कमाने वाली हैं।
न्यायाधीश ने निर्देश दिया कि आरोपी के जमानतदार संकाय के सदस्य या उनसे जुड़े हुए ऐसे व्यक्ति होने चाहिए जो उनपर न सिर्फ अदालत में पेशी के मामले में नियंत्रण रखता हो बल्कि यह भी सुनिश्चित करने वाला होना चाहिए जो उनकी सोच और उर्जा सकारात्मक चीजों में लगाना सुनिश्चित करे।
जमानत के लिए राशि जमा करने में वित्तीय छूट देते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कन्हैया को इस संबंध में एक शपथ पत्र देना होगा कि वह सक्रिय या निष्क्रिय रूप से ऐसी किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं लेंगे जिसे राष्ट्रविरोधी कहा जाए। सुनवाई के दौरान अदालत ने आज हिन्दी फिल्म ‘उपकार’ के देशभक्ति गीत का हवाला देते हुए यह बात रखी कि परिसर में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है।
न्यायाधीश ने जमानत आदेश की शुरुआत में कहा, रंग हरा हरिसिंह नलवे से, ‘रंग लाल है लाल बहादुर से, रंग बना बसंती भगत सिंह, रंग अमन का वीर जवाहर से, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे मोती, मेरे देश की धरती।’ इस बीच अदालत ने कहा कि कन्हैया ने उस जगह पर अपनी उपस्थिति स्वीकार की है जहां राष्ट्रविरोधी नारे लगाए गए थे लेकिन सीमित विवाद को लेकर इस बात की जांच की जानी है कि वह कथित देश विरोधी क्रियाकलापों में सक्रिय रूप से शामिल था या नहीं।
गौरतलब है कि 9 फरवरी को जेएनयू में अफजल गुरु को लेकर हुए एक विवादास्पद कार्यक्रम में कथित देशद्रोह के नारे लगाने के आरोप में कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया था। उच्च न्यायालय से स्पष्ट किया कि कन्हैया के लिए जेएनयू के एक संकाय सदस्य को जमानतदार बनना होगा। उन्होंने कहा कि आरोपी को एक हलफनामा देना होगा कि वह जमानत आदेश की शर्तों का किसी भी प्रकार से उल्लंघन नहीं करेगा। गौर हो कि कथित देशद्रोही नारे लगाने के आरोप में कन्हैया को 12 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था।
कन्हैया और गिरफ्तार किये जा चुके जेएनयू के दो अन्य छात्रों- उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य सहित अन्य पर नौ फरवरी को जेएनयू कैंपस के भीतर एक कार्यक्रम के दौरान भारत विरोधी नारेबाजी करने का आरोप है। कन्हैया ने यह कहते हुए जमानत की गुहार लगायी थी कि उन्होंने भारत विरोधी नारेबाजी नहीं की थी जबकि दिल्ली पुलिस ने उच्च न्यायालय में कहा था कि उनके पास सबूत हैं कि आरोपी ने भारत विरोधी नारेबाजी की। गिरफ्तार किये गए दो अन्य छात्र 14 दिन की न्यायिक हिरासत में हैं।
इससे पहले, हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान कन्हैया के वकील ने कहा कि छात्र नेता ने देश के खिलाफ कभी नारेबाजी नहीं की जबकि दिल्ली पुलिस ने कहा कि सबूत हैं कि उन्होंने और अन्य ने भारत विरोधी नारेबाजी की और वे अफजल गुरु के पोस्टर थामे हुए थे। पुलिस ने दावा किया था कि कन्हैया जांच में सहयोग नहीं कर रहे और खुफिया ब्यूरो (आईबी) और दिल्ली पुलिस की संयुक्त पूछताछ में ‘विरोधाभासी’ बयान आए। न्यायिक हिरासत में मौजूद कन्हैया ने वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल के जरिये कहा कि परिसर के अंदर नकाबपोश लोगों ने भारत विरोधी नारे लगाए। अदालत ने पूछा कि क्या नारेबाजी की जगह कार्यक्रम से पहले और बाद की कोई समकालीन रिकार्डिंग है और भारत विरोधी नारेबाजी में उनकी ‘सक्रिय भूमिका’ को लेकर उनके खिलाफ सबूत दिखाने को कहा।