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2001 में गुजरात से शुरू हुआ था सीएम के नए चेहरों का प्रयोग

गौरव ममगाईं, देहरादून

भारतीय जनता पार्टी ने हाल ही में विधानसभा चुनावों में जीते हुए राजस्थान, मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ में कद्दावर नेताओं के बजाय नये चेहरों को सूबे की कमान क्या सौंपी, देशभर में भाजपा के नये प्रयोग की खूब चर्चाएं हो रही हैं। तीनों राज्यों में ऐसे नामों को चुना गया, जिनकी कोई चर्चा तक नहीं थी। समान्य विधायकों को सीएम बनाकर पार्टी ने एक तीर से कई निशाने साधे हैं। इस फैसले से कार्यकर्ताओं में उत्साह व उमंग का संचार हुआ है। आज इसे भाजपा के नये प्रयोग के रूप में देखा जा रहा है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि इस प्रयोग की शुरुआत 2001 में ही हो गयी थी, जब गुजरात में भाजपा के एक सामान्य से कार्यकर्ता को इस बड़े राज्य की कमान सौंप दी गयी थी। उस कार्यकर्ता का नाम था- नरेन्द्र मोदी। तब तो नरेन्द्र मोदी के पास विधायक बनने का अनुभव तक नहीं था। मगर, मेहनत एवं दूरदर्शिता का ही परिणाम रहा कि वह सामान्य सा कार्यकर्ता आज देश का प्रधानमंत्री ही नहीं, बल्कि विश्व का सबसे लोकप्रिय नेता बन गया है।

वैसे तो भाजपा नेतृत्व के लिए तीनों राज्यों में करीब दो दशकों से काबिज क्षत्रपों को नजरंदाज करना बिल्कुल भी आसान नहीं था। मध्य प्रदेश में सरकार बरकरार रखने के बावजूद शिवराज सिंह चौहान को हटाया और मोहन यादव जैसे नये चेहरे को सीएम बनाया। राजस्थान में पार्टी का सबसे बड़ा चेहरा एवं पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के तेवर भी जगजाहिर थे, उनके सांसद बेटे पर तो कई विधायकों की बाड़ेबंदी के आरोप भी लगे थे। यहां भजनलाल शर्मा के रूप में नये चेहरे को सीएम बनाकर वसुंधरा राजे को बड़ा झटका दिया। छत्तीसगढ़ में भी कद्दावर नेता एवं पूर्व सीएम रमन सिंह को नजरंदाज कर आदिवासी नेता विष्णुदेव साय को सीएम बनाया। तीनों राज्यों में बड़े क्षत्रपों को हटाकर पार्टी ने स्पष्ट संदेश दिया कि अब पार्टी राज्यों में नया नेतृत्व के साथ आगे बढ़ेगी। इस फैसले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विशेष भूमिका रही है। भाजपा से जुड़े सूत्रों का कहना है हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गये थे। इसलिए राज्यों में नेतृत्व का फैसला पीएम मोदी व पार्टी नेतृत्व ने लिया है। पार्टी नेतृत्व अब राज्यों के क्षत्रपों का दबाव बर्दाश्त करने के मूड में कतई नहीं है। वहीं, पार्टी में सामान्य विधायकों को सूबे की कमान सौंपकर राज्यों में चल रही गुटबाजी को थामने की कोशिश की गई है। साथ ही कार्यकर्ताओं को महत्व देकर पार्टी ने कैडर पार्टी की छवि को और मजबूत किया है।

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह निर्णय मुश्किल अवश्य था, लेकिन पीएम मोदी कड़े व बड़े फैसले लेने के लिए ही जाने जाते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि पीएम नरेंद्र मोदी अब बड़े राजनीतिक अनुभव के बजाय युवा नेताओं की दूरदर्शिता, मेहनत व ईमानदार छवि को ज्यादा महत्व दे रहे हैं। यह इसलिए भी क्योंकि पीएम मोदी स्वयं कई दशकों तक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी के लिए खूब पसीना बहाते रहे हैं, ऐसे में वह भी मेहनती एवं कर्मठ कार्यकर्ताओं को आगे बढ़ने का अवसर प्रदान करना चाहते हैं। साफ है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का उत्तराखंड में धामी प्रयोग बेहद सफल रहने के बाद पीएम मोदी व पार्टी नेतृत्व ने इसे राजस्थान, एमपी व छत्तीसगढ़ में भी अपनाया है। आने वाले दिनों में भाजपा इसे अन्य राज्यों व केंद्र में भी अपनाती नजर आ सकती है। इसके पार्टी नेतृत्व ने स्पष्ट संकेत भी दिये हैं। जाहिर है कि पार्टी के इस निर्णय से एक ओर पार्टी कार्यकर्ताओं में उत्साह का संचार होगा, वहीं दिग्गज नेताओं के माथे पर्र ंचता की लकीरें भी साफ देखी जा सकती हैं। हां, इतना जरूर है कि यह निर्णय निश्चित रूप से पार्टी के हित में रहने वाला है।

उत्तराखंड का धामी प्रयोग भी रहा चर्चाओं में…

दरअसल, उत्तराखंड में भाजपा पुष्कर सिंह धामी के सीएम बनने से पहले तक वरिष्ठ नेताओं को ही मुख्यमंत्री बनाती आई है। बात, उत्तराखंड में भाजपा के प्रथम सीएम नित्यानंद स्वामी व उनके बाद भगत सिंह कोश्यारी की हो या तत्पश्चात बीसी खंडूड़ी, रमेश पोखरियाल निशंक, त्रिवेंद्र सिंह रावत व तीरथ सिंह रावत की, हर बार चयन का आधार वरिष्ठता को माना गया, परंतु तीरथ सिंह रावत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री घोषित कर सबको चौंका दिया था, जबकि सीएम की रेस में सतपाल महाराज, धन सिंह रावत, त्रिवेंद्र सिंह रावत, रमेश पोखरियाल निशंक जैसे बड़े दिग्गजों के नाम बताये जा रहे थे। साफ है कि पीएम नरेंद्र मोदी राजनीति में बड़े प्रयोग करने के लिए जाने जाते रहे हैं। खास बात यह भी है कि उत्तराखंड में ही पीएम मोदी ने प्रदेश के बड़े दिग्गजों के युग को खत्म कर अब युवा नेताओं को आगे बढ़ाने की परंपरा शुरू की है। उत्तराखंड में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने भ्रष्टाचार के खिलाफ, आर्थिक व सामाजिक न्याय के क्षेत्र में सराहनीय कार्य किये हैं। वहीं, हाल ही में देश के सबसे बड़े सिलक्यारा टनल रेस्क्यू को सफलतापूर्वक पूरा कर देश ही नहीं, दुनिया में तारीफ बटोरी। ग्लोबल इन्वेस्टर समिट में भी रिकॉर्ड निवेश लाकर पीएम मोदी व अमित शाह को खासा प्रभावित किया है। कुल मिलाकर पीएम मोदी का धामी प्रयोग उत्तराखंड में पूरी तरह सफल साबित हुआ है।

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