14 साल बाद भी इंसाफ अधूरा, कुछ देशों का आतंकवाद पर दोहरा रवैया
नई दिल्ली : 26 नवंबर 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमले में 160 से भी ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। वहीं 300 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। इस हमले को 14 साल बीत जाने के बाद भी भारत को पूरा इंसाफ नहीं मिला है। 26/11 हमले के कई साजिशकर्ता अब भी सजा से बचे हुए हैं। वहीं कुछ देश ऐसे हैं, जो अक्सर पाकिस्तान की नापाक हरकतों पर पर्दा डालने की कोशिश में लगे रहते हैं।
14 साल बीत चुके हैं, लेकिन मुंबई हमले के पीड़ितों को अभी भी पूरा न्याय नहीं मिला है। पूर्ण न्याय सुनिश्चित करने के लिए पाकिस्तान द्वारा अभी भी कई साजिशकतार्ओं पर कार्रवाई की जानी बाकी है। भारत ने इस हमले के बाद ना सिर्फ कसाब बल्कि डेविड कोलमैन हेडली के बारे में भी पाकिस्तान को पर्याप्त सबूत दिए थे, जिसमें उसके लश्कर और पाकिस्तान की आईएसआई के बीच घनिष्ठ संबंध का खुलासा किया गया था। यही नहीं भारत ने आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और आईएसआई के बीच संवाद आदान-प्रदान के दस्तावेज सहित कई अहम सबूत भी उपलब्ध कराए थे। मगर पाकिस्तान की तरफ से कोई कार्यवाही नहीं की गई।
भारत ने संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी बैठक में पिछले महीने पाकिस्तान स्थित आतंकवादी साजिद मीर का एक ऑडियो टेप चलाकर 26/11 के मुंबई आतंकवादी हमले में पाकिस्तान की भूमिका का विस्तार से खुलासा किया था। ऑडियो क्लिप में उसे मुंबई हमलों के दौरान आतंकियों को निर्देश देते हुए सुना जा सकता है। ऑडियो क्लिप चलाकर भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ पुख्ता सबूत पेश किए थे।
एक तरफ जहां देश-दुनिया में आतंकवाद को लेकर बड़ी-बड़ी बैठकें हो रही हैं, वहीं इसके नियंत्रण को लेकर सारी कोशिशें काफी हद तक दिखावा ही नजर आती हैं। इसका उदाहरण है हाल ही में पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे लिस्ट से बाहर करना। पाकिस्तान पर मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादियों को आर्थिक मदद पहुंचाने का आरोप लगता रहा है। भारत ने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट से हटाने का विरोध भी किया था। इसके बावजूद इसे नजरअंदाज करते हुए पाकिस्तान को बड़ी राहत दी गई है। राहत मिलने के बाद एक बार फिर पाक आतंकियों की गतिविधियां बढ़ गई हैं।
भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर के संयुक्त राष्ट्र की बैठक में दिए हालिया बयान से भी पता चलता है कि आतंकवाद को लेकर वैश्विक स्तर पर बहुत कुछ किया जाना बाकी है। जयशंकर ने कहा था कि 26/11 आतंकी हमलों के मुख्य साजिशकर्ता और उसकी योजना बनाने वाले अब भी सुरक्षित हैं और उन्हें सजा नहीं दी गई है। उन्होंने कहा था कि जब कुछ आतंकवादियों पर प्रतिबंध लगाने की बात आती है, तो कुछ मामलों में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद राजनीतिक कारणों से खेदजनक रूप से कार्रवाई करने में असमर्थ रही है।
चीन अक्सर वैश्विक मंचों से पाकिस्तान समर्पित आतंकियों को बचाने का कोई मौका नहीं छोड़ता। हाल ही में लश्कर-ए-तैयबा के बड़े आतंकवादी हाफिज तल्हा सईद को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 1267 कमेटी की आतंकी सूची में शामिल करने के भारत-अमेरिका के साझा प्रस्ताव पर चीन ने अपना वीटो लगाकर बचा दिया। तल्हा सईद लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद का बेटा है।
इससे पहले भी चीन ने संयुक्त राष्ट्र परिषद में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकवादी शाहिद महमूद को वैश्विक आतंकवादी की सूची में शामिल कराने के भारत और अमेरिका के प्रस्ताव पर वीटो लगा दिया था। चीन अक्सर भारत द्वारा आतंकवाद को रोकने के प्रयासों पर रोड़ा अटकाता रहा है।
18-19 नवंबर को दिल्ली में हुए नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने कहा था कि वैश्विक संगठनों को ये नहीं समझना चाहिए कि युद्ध नहीं हो रहा है, तो सब शांति है। उन्होंने कहा कि प्रॉक्सी युद्ध ज्यादा खतरनाक है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि जो संगठन और लोग आतंकवादियों के लिए सहानुभूति रखते हैं, उन्हें भी अलग थलग करने की जरूरत है। प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि हर आतंकी हमले को वैश्विक स्तर पर बराबर आक्रोश और प्रतिक्रिया मिलना चाहिए।