दस्तक-विशेष

पुष्कर सिंह धामी होने के मायने

प्रो० दुर्गेश पंत

देहरादून: 10 मार्च को ऐतिहासिक जनादेश आ गया पाँच-चार से जबरदस्त जीत के साथ भाजपा ने प्रधानमंत्री मोदी के चमत्कारिक नेतृत्व से विराट जीत दर्ज की है। पूरब, पश्चिम, उत्तर दक्षिण में परचम लहराने के पार्टी के विलक्षण अभिमान में इन पाँच राज्यों के चुनावों में चार में जीत का मतलब बहुत बढ़ा है। यह चुनाव वर्ष 2024 के लोकसभा चुनावों के सेमी-फाईनल की तरह देखे जा रहे हैं। इन चुनावों से देश में मण्डल-कमण्डल की राजनीति पर बिकासी मॉडल भारी पड़ा साफ दिखाई देता है।

उत्तराखण्ड के लिए यह चुनाव अति महत्वपूर्ण रहे हैं। तीसरे मुख्यमंत्री के रूप में छह माह पूर्व धामी की ताजपोशी से यह स्पष्ट था कि पार्टी सहज स्थिति अपने को कतई नहीं पा रही थी। बात तो यहाँ तक थी कि संघ व संगठन इसे उसी स्थिति में पा रहे थे जितने तब कांग्रेस की संख्या (11) थी। बहरहाल, छह माह के अपने छोटे से कार्यकाल में धामी ने अदभुत नेतृत्व कार्य क्षमता का परिचय देते हुए पूरे प्रदेश में भाजपा के पक्ष में दिन-रात कड़ी मेहनत कर ऐसा माहौल खड़ा कर दिया जिसकी परिणति इन चुनावों में देखने को मिली।

इन चुनाओं में अधिसख्य विधानसभा क्षेत्रों में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं से कहीं ज्यादा थी। इन महिला वोटरों के रूझान को केन्द्र सरकार की नीतियों से जोड़ना हो, आशा-आँगनवाडी बहिना का समर्थन जीतना हो या स्वयं सहायता समूह की महिला कार्यकर्ताओं का विश्वास हो धामी ने प्रदेश भर मे जबरदस्त तरह से इसे कर पाने में सफलता प्राप्त की। अपनी छवि और व्यक्तित्व से धामी छोटे से कार्यकाल में किसी मा के बेटे की तरह किसी बहन के भाई की तरह एक विश्वास का रिश्ता कायम किया। युवा उनसे विशाल संख्या में जुड़ गये और वह एक ऐसे नेता के रूप में उतरे और प्रदेश भर में युवाओं और आम जनमानस का उन्हें अपार समर्थन मिला।

भविष्य के उत्तराखण्ड की नीव रखने के लिए एक सशक्त नेता के मानस और दृष्टि को धामी ने सामने रखा। प्रधानमंत्री मोदी के 2025 के विजन डाक्यूमेंट पर काय करते हुए उन्होंने युवाओ, बुद्धिजीवियों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, नागरिको, महिलाजो, उद्यमियों, किसानों को जोड़ते हुए उत्तराखण्ड राज्य में और राज्य से बाहर भी अपनी पहचान स्थापित की भांगोलिक दृष्टि से विषम उत्तराखण्ड राज्य मे दिन-रात भ्रमण कर आपदा समय में प्रभावी नियंत्रण और वित्तीय प्रबंधन से उन्होने अपनी छोटी वय होने पर भी शानदार कार्यशैली से केन्द्र से प्रदेश स्तर पर सभी को प्रभावित किया।

यह भी सबने देखा कि यह सबको साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति है। चुनावों के समय 70 विधानसभाओं में ताबड़तोड़ वार पर उन्होंने केन्द्र राज्य सरकारों की जनहितकारी नीतियों का उन्हाने प्रभावी रूप से प्रस्तुत कर छह माह पूर्व निराशा में डूबी भाजपा की विजयश्री की पटकथा लिख डाली। इस सब के बीच अपनी विधानसभा में वह संभवतः उतना समय नहीं दे पाये और राजनीति की अबूझ-बूझ पहेलियों के चलते वह विधानसभा का स्वयं अपना चुनाव हार गये।

यह अप्रत्याशित भी है और घनघोर कष्टकारी भी। इसलिए कि उत्तराखण्ड राज्य के लिए जिस नेतृत्व, कार्यकुशलता और अनुभव की आवश्यकता थी उसे इस बीच धामी ने बखूबी कर दिखाया था। उनके चेहरे पर ही राज्य में भाजपा लड़ा और स्वयं प्रधानमंत्री ने इस कार्यकाल के दौरान एब चुनाबो के मध्य उनकी नेतृत्व क्षमता की भूरी भूरी प्रशसा की और जनता से मोदी-धामी डबल इजन सरकार की आवश्यकता को रेखांकित किया। आज राज्य में भाजपा की जीत से लोग हर्षित है। लेकिन साथ ही गमगीन भी कई बार अपने क्षेत्र में हारने का मतलब लक्ष-लक्ष बोटरों का आप के प्रति विश्वास को कम नहीं करता। धामी ने एटी-इन्कमवेन्सी को भी समाप्त ही नहीं किया बल्कि प्रो-इन्कमवेन्सी लाकर भाजपा की जय-जयकार कर दी।

अपना चुनाव हार कर भी धामी ने उत्तराखण्ड में दोबारा सत्तासीन न हो पाने के मिथक को भी तोड़ा और एक अभूतपूर्व विजय की पटकथा लिख डाली, जो पृष्ठ खाली रहा उस पर अदृष्य लिपि से अंकित हो गया पुष्कर सिंह चाभी होने के मायने । धामी आज के उत्तराखण्ड की आवश्यकता भाजपा का नेतृत्व गतिशील है। आशा है यह नेतृत्व इस गतिशीलता को फिर आवाज देगा

(यह लेखक के स्वतंत्र विचार हैं)

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