नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर आज सिख प्रतिनिधिमंडल को संबोधित करते हुए सबसे पहले यही कहा कि उनका सिख समुदाय, सिख धर्म और उसके प्रतीकों से गहरा भावनात्मक जुड़ाव रहा है । वह गुरुद्वारों में जाते रहे हैं, लंगर में प्रसाद प्राप्त करते रहे हैं और इस प्रकार एक विशेष आध्यात्मिक संतुष्टि उन्हें सिख धर्म से जुड़कर प्राप्त होती रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री आवास पर भी समय-समय पर सिख संतों के चरण पड़ते रहते हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संबोधन के शुरुआती भाग में ही कहा कि जब भी वे किसी विदेश यात्रा पर जाते हैं तो वहां जब सिख समुदाय से मिलते हैं तो उनका मन गर्व से भर जाता है । उन्होंने सिख समुदाय को इंडियन डायसपोरा का एक ड्राइविंग फोर्स के रूप में माना ।
प्रधानमंत्री ने 2015 की अपनी कनाडा यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि पिछले 4 दशकों में कनाडा में व्यक्तिगत स्तर पर किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली यात्रा ( स्टैंड अलोन बाइलैटरल विजिट थी और वे केवल ओटावा और टोरंटो ही नहीं गए थे बल्कि वे वैंकूवर भी गए और वहां गुरुद्वारा खालसा दीवान में उन्हें माथा टेकने का अवसर मिला था।
2016 में जब भारतीय प्रधानमंत्री ईरान गए तो वहां भी सिख समुदाय से मिलकर संगत से आध्यात्मिक परिचर्चा करने का उन्हें अवसर मिला , वहां तेहरान में उन्होंने भाई गंगा सिंह सभा गुरुद्वारा में पूजा भी की थी। मोदी ने तेहरान स्थित गुरुद्वारा में सिख समुदाय को संबोधित किया था और कहा था कि : “गुरु गोबिंद सिंह की 350 वीं वर्षगांठ शीघ्र ही मनाना बहुत बड़े सौभाग्य की बात है। उन्होंने कहा था कि “हमारी नई पीढ़ी को गुरु ग्रंथ साहिब के केंद्रीय सिद्धांतों से सीखना चाहिए।”उन्होंने समुदाय से एक साथ काम करने और मानवता की सेवा करने का आग्रह किया था।
फ्रांस के नौशेपल इंडियन मेमोरियल का भ्रमण का जिक्र करते हुए , यह मेमोरियल विश्व युद्ध के उड़ान भारतीय सैनिकों के बलिदान और शहादत का प्रतीक है और प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बलिदान में सिख भाइयों का भी बड़ा योगदान था।
इन सभी अनुभवों को बताने का कारण बताते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इससे यह पता चलता है कि कैसे सिख समुदाय ने देश विदेश में भारत की आध्यात्मिक शक्ति शौर्य को एक नई ऊंचाई दी है। सिख समुदाय ने भारत और दूसरे अन्य देशों के बीच एक मजबूत सेतु के रूप में काम किया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सिख प्रतिनिधिमंडल से बात करते हुए कहा कि कोरोनावायरस से भारत मजबूती से लड़ा और सबसे मजबूत वैक्सीन तंत्र को लेकर सामने आया जिसमें से 99 प्रतिशत वैक्सीन मेड इन इंडिया है। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम दुनिया में कहीं भी रहे हमें इंडिया फर्स्ट राष्ट्र प्रथम की भावना के साथ ही काम करना चाहिए। ये हमारी पहली आस्था होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हमारे सभी सिख गुरुओं ने राष्ट्र को सर्वोपरि स्थान देते हुए राष्ट्र की एकता और अखंडता की अखंड लौ जलाई थी।
गुरु नानक देव जी ने पूरे देश की राष्ट्रीय चेतना को जगाया था। उन्होंने कहा कि सिख परंपरा वास्तव में एक भारत श्रेष्ठ भारत की सर्वश्रेष्ठ मिसाल है। साथ ही पूरा सभागार जो बोले सो निहाल सत श्री अकाल के नारों से गूंज उठा। प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी के बाद भी सिख समुदाय का भारत के निर्माण में जो योगदान है उसके प्रति राष्ट्र कृतज्ञ है। उन्होंने कहा महाराजा रणजीत सिंह की बात हो या सिख समुदाय द्वारा अंग्रेजों से लड़ने की बात हो या जलियांवाला बाग हत्याकांड की बात हो सिख समुदाय के बिना भारत का इतिहास पूरा नहीं होता और न हिंदुस्तान पूरा होता है।
भारत की अंतरराष्ट्रीय सीमाओं पर जो सिख समुदाय के सैनिक लगे हुए हैं जो बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स या सशस्त्र सीमा बल में काम करते हैं, उनके योगदान के बारे में भी भारतीय प्रधानमंत्री ने सम्मानपूर्वक चर्चा की। उन्होंने यह भी कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सिख समुदाय की भागीदारी अभूतपूर्व रही है और सिख एनआरआई ने इसे एक नई दिशा दी है। सिख समुदाय देश के साहस सामर्थ और धर्म का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री मोदी ने गुरु नानक देव जी के 550 वें प्रकाश वर्ष के आयोजन का जिक्र किया और गुरु तेंग बहादुर के 400 वें प्रकाश वर्ष के आध्यात्मिक मूल्यों से सीख लेने की बात की । इन सब बातों के साथ ही भारतीय प्रधानमंत्री ने भारत के निर्माण और विकास के लिए सिख समुदाय की अप्रतिम भागीदारी का आवाहन किया।
( लेखक दस्तक टाइम्स के उत्तराखंड संपादक हैं)