मध्य प्रदेशराज्य

MP : 5 माह से गरीबों को नसीब नहीं हुई ‘रोटी’

भोपाल : प्रदेश में सरकारी उचित मूल्यों की दुकानों से जरूरतमंद पात्र हितग्राहियों को राशन के तौर पर गेहूं का वितरण नहीं किया जा रहा है। गेहूं के अभाव में गरीबों की थाली से रोटी गायब हो गई है। हितग्राहियों का कहना है कि उन्हें राशन के तौर पर सिर्फ चावल का ही वितरण किया जा रहा है। इस कारण 5 माह से गरीबों को रोटी नसीब नहीं हो रही है। आलम यह है कि गेहूं नहीं मिलने के कारण उन्हें हाट बाजारों से महंगा गेहूं क्रय करने को मजबूर होना पड़ रहा है, ऐसी स्थिति में उनके घर का बजट बिगडऩे लगा है।

नए साल में भी प्रदेश के गरीब परिवारों को मुफ्त के गेहूं की रोटी मिलेगी, यह तय नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि मप्र द्वारा दो बार मांग के बावजूद केंद्र सरकार ने अब तक गेहूं का आवंटन नहीं बढ़ाया है। इसकी वजह से भोपाल समेत 20 जिलों के लाखों गरीब परिवारों को गेहूं का वितरण पांच माह से बंद है। यह गेहूं प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना (पीएमजीकेएवाई) के तहत उचित मूल्य राशन दुकानों से मिलता था। अभी गेहूं की जगह पांच किलो चावल प्रति सदस्य दिया जा रहा है। इस योजना का विस्तार 31 दिसंबर तक ही है।

बता दें कि प्रदेश के सभी जिलों में पूर्व से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत गरीबों को दो रुपये प्रति किलो की दर पर प्रति माह प्रति सदस्य पांच किलो गेहूं मिलता है। जबकि (पीएमजीकेएवाई) के तहत प्रति माह प्रति सदस्य पांच किलो नि:शुल्क अनाज देने की व्यवस्था थी, जिसमें चार किलो गेहूं व एक किलो चावल दिया जाता था। अब इसमें केवल चावल मिल रहा है। वितरण प्रणाली से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि केंद्र से ही आवंटन रोका गया है, जिसे शुरू कराने की कोशिश की गई। लेकिन अब तक आवंटन नहीं मिला है। प्रदेश में जहां नि:शुल्क गेहूं वितरण बंद हुआ है, उनमें भोपाल, बैतूल, छिंदवाड़ा, जबलपुर, कटनी, नर्मदापुरम, नरसिंहपुर, पन्ना, रायसेन, रीवा, सतना, सिवनी, सीधी, सिंगरौली शामिल हैं। इनमें पीएमजीकेएवाई के तहत गेहूं की जगह चावल दिया जा रहा है। वहीं छह जिले अनूपपुर, बालाघाट, डिंडोरी, मंडला, शहडोल और उमरिया में पीएमजीकेएवाई और राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) योजना चल रही है। दोनों के तहत गेहूं का वितरण होता है, लेकिन यहां भी सिर्फ चावल ही बांटा जा रहा है।

इधर, राशन दुकान संचालकों का कहना रहा कि गेहूं नहीं आने की वजह से हितग्राहियों को वितरण नहीं हो रहा है। गरीब हितग्राहियों की ओर से इस संबंध में कई बार प्रशासनिक अधिकारियों का ध्यान आकर्षित कराया गया है, लेकिन इस संबंध में अब तक किसी प्रकार के सकारात्मक कदम नहीं उठाए जा सके है। अधिकारियों के मुताबिक जिन जिलों में गेहूं का आवंटन रोका गया है, वहां के ज्यादातर लोग भोजन में चावल अधिक पसंद करते हैं। धान का उत्पादन भी बंपर हुआ है और खरीदी भी अच्छी हुई है, इसलिए चावल की खपत बढ़ाने की मंशा है। भोपाल में 3.64 लाख परिवारों के 15 लाख सदस्यों का राशन प्रभावित हुआ है। इन्हें गेहूं बंद कर चावल ही दिया जा रहा है। इंदौर में पीएमजीकेएवाई व एनएफएसए योजना के तहत तीन किलो चावल और दो किलो गेहूं बांटा जा रहा है। ग्वालियर में एनएफएसए में दो किलो गेहूं, तीन किलो चावल और पीएमजीकेएवाई में चार किलो चावल और एक किलो गेहूं दिया जा रहा है। खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के संचालक दीपक सक्सेना का कहना है कि केंद्र स्तर से राशन वितरण की व्यवस्था में बदलाव किया गया था, जिसके कारण पीएमजीकेएवाई के तहत गेहूं की जगह चावल बांटा जा रहा है। केंद्र को गेहूं आवंटन के लिए दो बार पत्र लिख चुके हैं। आगे भी प्रयास करेंगे, लेकिन आवंटन मिलेगा, यह अभी तक तय नहीं है।

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