टॉप न्यूज़राज्यराष्ट्रीय

राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने फ्रेंच डिप्लोमेटिक एडवाइजर से की मुलाकात

नई दिल्ली (विवेक ओझा): भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ( National Security Adviser) अजीत डोभाल ने शीर्ष फ्रेंच अधिकारी डिप्लोमेटिक एडवाइजर एमेनुअल बोनी से मुलाकात की है। फ्रेंच राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रोन 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि के रूप में आ रहे हैं। इसी दृष्टि से नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर का टॉप फ्रेंच अधिकारी से मिलना जरूरी भी था। एमेनुअल बोनी ( Emmanuel Bonne) भारत में फ्रेंच राष्ट्रपति की यात्रा के इंतजाम की देख रेख के लिए इस समय भारत में हैं। अजीत डोभाल और एमेनुअल बोनी ने फ्यूचरिस्टिक टेक्नोलॉजीज ( futuristic technologies) , साइबर सुरक्षा, समुद्री सुरक्षा और अंतरिक्ष सुरक्षा जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग के लिए सार्थक चर्चा की। फ्रांस और भारत के बीच सामरिक साझेदारी को मजबूती देने पर दोनों नेताओं ने बल दिया। भारत के विदेश मंत्री डॉ एस जयशंकर ने भी एमेनुअल बोनी से चर्चा की । साझे हितों वाले वैश्विक मुद्दों पर दोनों नेताओं के बीच सार्थक वार्ता रही।

भारत और फ्रांस के संबंध हर कसौटी पर खरे :

दोनों देशों के बीच साल 1948 से कूटनीतिक संबंध हैं। भारत और फ्रांस के मध्य द्विपक्षीय संबंधों को वर्ष 1998 में मजबूती मिली जब दोनों देशों ने सामरिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया और एक दूसरे के सामरिक साझेदार बन गए।
वर्ष 1998 में जब भारत ने पोखरण में अपना दूसरा परमाणु परीक्षण किया तो अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के देशों ने इस कदम का विरोध करते हुए भारत पर कई तरह के प्रतिबंध लगा दिए । उस समय फ्रांस एक मात्र ऐसा देश था जिसने भारत के इस कदम का विरोध नहीं किया और भारत के आंतरिक और बाह्य सुरक्षा की जरूरतों के संदर्भ में उसका समर्थन करने का भाव प्रदर्शित किया । संभव है कि फ्रांस ने भारत को फ्रांसीसी हथियारों और प्रतिरक्षा सामग्रियों का एक बड़ा बाजार समझने की दूरदर्शिता दिखाते हुए यह कदम उठाया। भारत की जनसंख्या और उसकी एक उभरते हुए बाजार अर्थव्यवस्था की स्थिति का आंकलन करते हुए भी फ्रांस ने भारत को सामरिक साझेदार बनाना पसंद किया ।

भारत और फ्रांस के सामरिक साझेदारी के प्रमुख आधार स्तम्भ में प्रतिरक्षा , असैन्य नाभिकीय सहयोग और अंतरिक्ष सहयोग शामिल हैं । सामरिक साझेदार के रूप में दोनों देशों ने वैश्विक आतंकवाद से निपटने के लिए मिलजुलकर कार्य करने की प्रतिबद्धता समय समय पर प्रदर्शित की है । दोनों देश अंतर्राष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक अभिसमय ( भारत द्वारा संयुक्त राष्ट्र में प्रस्तावित ) को जल्द से जल्द राष्ट्रों द्वारा अपनाए जाने पर बल देते हैं । फ्रांस ने भारत की संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद् में स्थाई सदस्यता की दावेदारी , मिसाइल टेक्नोलॉजी कंट्रोल रेजिम, ऑस्ट्रेलिया ग्रुप , वासेनार अरेंजमेंट , और नाभिकीय आपूर्तिकर्ता समूह में सदस्यता का लगातार समर्थन किया है । फ्रांस के सहयोग और समर्थन के ही भारत एनएसजी को छोड़कर तीन नाभिकीय मुद्दों से संबंधित संगठनों का सदस्य बन गया है । फ्रांस ने एक सामरिक साझेदार के रूप में लगातार इस बात पर बल दिया है कि भारत और यूरोपीय संघ में लंबे समय से लंबित पड़े हुए मुक्त व्यापार समझौते को जल्द से जल्द संपन्न कराया जाए। भारत और फ्रांस ने अपने द्विपक्षीय संबंधों की मजबूती के लिए सहयोग के कुछ नए क्षेत्रों पर बल दिया है जिसमें जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग से निपटने , नवीकरणीय ऊर्जा को ( विशेषकर सौर ऊर्जा को ) बढ़ावा देने के लिए इंटरनेशनल सोलर अलायंस के गठन और सतत समवृद्धि और विकास पर बल दिया है ।

भारत फ्रांस प्रतिरक्षा संबंध –

भारत और फ्रांस ने अपने प्रतिरक्षा संबंधों को मजबूती देने के लिए मंत्रीस्तरीय स्तर पर वार्षिक प्रतिरक्षा संवाद तंत्र को गठित किया है । भारतीय सेना , नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों द्वारा प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूती देने के लिए समय समय पर फ्रांस की यात्राएं की गई हैं और कई समझौतों और ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं । भारत और फ्रांस के सेना के मध्य शक्ति संयुक्त सैन्याभास , दोनों देशों की वायु सेना के मध्य गरुड़ संयुक्त वायुसेना अभ्यास और वरुण संयुक्त नौसेना अभ्यास का आयोजन किया जाता है जिसमें आतंकवाद से निपटने के लिए कौशल विकास, क्षमता निर्माण , मारक क्षमता के विकास , आपदा प्रबंधन , राहत और बचाव कार्यों में निपुणता और विप्लव और विद्रोही तत्वों के खिलाफ विप्लव विरोधी अभियान चलाने जैसे बिंदुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाता है।

भारत और फ्रांस के मध्य असैन्य परमाणु सहयोग समझौता –

भारत और फ्रांस के मध्य 1998 में जिस सामरिक साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर किया गया था उसने भारत और फ्रांस के मध्य असैन्य परमाणु सहयोग समझौते की नींव रख दी थी। जैसे ही वर्ष 2005 में भारत और अमेरिका के मध्य नाभिकीय व्यापार पर सहमति बनी और भारत की दशकों पुरानी नाभिकीय अस्पृश्यता दूर हुई उसी क्रम में फ्रांस ने भारत के साथ असैन्य परमाणु सहयोग समझौते को संपन्न करने पर बल दिया । 30 सितंबर 2008 को भारत और फ्रांस के मध्य असैन्य परमाणु सहयोग समझौते पर हस्ताक्षर किया गया इसके तहत फ्रांस की कंपनी की ईडीएफ और भारत के एनपीसीआईएल के मध्य एक समझौता हुआ और एक ज्ञापन समझौते पर हस्ताक्षर किया गया। 22 मार्च 2016 को 6 नाभिकीय रिएक्टर ( प्रत्येक 1650 मेगावाट क्षमता के ) महाराष्ट्र के जैतपुरा में लगाने का निर्णय किया गया। मार्च 2018 में फ्रांसीसी राष्ट्रपति की भारत यात्रा के दौरान एनपीसीआईएल और फ्रांस के ईडीएफ के बीच इंडस्ट्रियल वे फॉरवर्ड एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया और दोनों देशों के मध्य सहमति बनी कि फ्रांस भारत में 10,000 मेगावाट की क्षमता वाले 6 नाभिकीय रिएक्टर
जैतपुरा में लगाएगा।

फ्रांस हिन्द महासागर अथवा हिन्द प्रशांत और साथ ही एशिया प्रशांत क्षेत्र की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दृष्टि से भी भारत के लिए आवश्यक है । हिन्द महासागर के जिबूती , रीयूनियन द्वीप , अबू धाबी जैसे स्थलों पर फ्रांस के नौसैनिक अड्डे हैं । समुद्री डकैती और चीन के हिन्द महासागर के नए क्षेत्रों में अपने वर्चस्व को बढ़ाने के प्रयास को नियंत्रित करने के लिए भारत फ्रांस गठजोड़ आवश्यक है। चीन ने वर्ष 2017 में ही अफ्रीकी देश जिबूती में अपना नौसैनिक अड्डा खोला है । उल्लेखनीय है कि इस बात को ध्यान में रखकर भारत और फ्रांस ने मई , 2019 में जिबूती में ही वरुण सैन्याभ्यास को संपन्न किया था।

Related Articles

Back to top button