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अब भारत की मदद से भूखे पेट नहीं सोएगा श्रीलंका, नए साल पर दिया 11,000 मीट्रिक टन चावल का तोहफा

कोलंबो: दशकों में अपने सबसे बुरे आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका में खाने के लाले पड़ गए हैं। ऐसे हालातों में एक बार फिर से भारत ने अपनी पड़ोस प्रथम नीति को प्राथमिकता देते हुए श्रीलंका को सहायता देने का फैसला किया है। श्रीलंका में नए साल के जश्न से पहले भारत ने 11,000 मीट्रिक टन चावल मंगलवार को कोलंबो भेजा। श्रीलंका में भारतीय दूतावास के मुताबिक, चेन ग्लोरी जहाज पर चावल कोलंबो पहुंचे। श्रीलंका में नया साल आम तौर पर 13 अप्रैल या 14 अप्रैल को मनाया जाता है और परंपरागत रूप से अमावस्या को देखते ही इसकी शुरुआत होती है।

दूतावास ने कहा कि पिछले एक हफ्ते में भारत ने श्रीलंका को अपने बहु-आयामी समर्थन के तहत 16,000 मीट्रिक टन से अधिक चावल की आपूर्ति की है। उन्होंने कहा कि यह आपूर्ति भारत और द्वीप राष्ट्र के बीच विशेष बंधन को दर्शाती है। गौरतलब है कि श्रीलंका में आर्थिक संकट के बीच भारत ने ईंधन, सब्जियां, दैनिक राशन सामग्री और दवाओं की आपूर्ति कर देश की मदद के लिए कदम आगे बढ़ाया है। भारत अब तक श्रीलंका को 270,000 मीट्रिक टन से अधिक ईंधन की आपूर्ति कर चुका है और इससे पहले द्वीप राष्ट्र की डूबती अर्थव्यवस्था को किनारे करने में मदद करने के लिए एक और 1 बिलियन अमरीकी डालर के ऋण की घोषणा कर चुका है। कोलंबो के लिए 1 बिलियन अमेरिकी डॉलर की लाइन ऑफ क्रेडिट उनके खाद्य कीमतों और ईंधन की लागत को नियंत्रण में रखने में मदद करेगी।

इस साल जनवरी के बाद से, भारत द्वारा श्रीलंका को दिया जाने वाला समर्थन 2.5 बिलियन अमरीकी डालर से अधिक हो गया है। फरवरी में, नई दिल्ली ने श्रीलंका सरकार की ओर से ऊर्जा मंत्रालय और सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन के माध्यम से पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद के लिए कोलंबो को 500 मिलियन अमरीकी डालर का अल्पकालिक ऋण प्रदान किया था। नवंबर 2021 में, भारत ने श्रीलंका को 100 टन नैनो नाइट्रोजन लिक्विड उर्वरक दिए थे क्योंकि उनकी सरकार ने रासायनिक उर्वरकों के आयात को रोक दिया था। श्रीलंका भोजन और ईंधन की कमी के साथ एक गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा है जिससे द्वीप राष्ट्र में बड़ी संख्या में लोग प्रभावित हो रहे हैं। COVID-19 महामारी की शुरुआत के बाद से अर्थव्यवस्था में गिरावट आई है, जिससे पर्यटन पूरी तरह से तबाह हो गया।

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