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ओलंपिक : कंडोम बांटने से क्यों नाराज हुए प्लेयर्स, जाने वजह

स्पोर्ट्स डेस्क : टोक्यो ओलंपिक के आगाज में सिर्फ चार दिन बचे है और इसके लिए प्लेयर भी पहुंच रहे है और कई वर्षों की मेहनत के बाद प्लेयर ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट में खेल पाते है. कोरोना के चलते इस बार ओलंपिक की मेजबानी में काफी देर हुई है. कोरोना के मद्देनजर आयोजकों ने सख्त नियम बनाए है लेकिन अब आयोजन समिति ने खेल में प्लेयर्स के बीच 1 लाख 60 हजार कंडोम बांटने का लक्ष्य रखा है. इसको लेकर विवाद देखने को तब मिला जब प्लेयर्स ने आयोजकों के इस कदम पर नाराजगी जताई.

प्लेयर्स के मुताबिक, कोरोना चल रहा है, सबको सोशल डिस्टेंसिंग अहम है और ऐसे में कंडोम क्यों बांटा जा रहा है. प्लेयर्स के विरोध के बाद इस पूरे मामले में आयोजकों ने सफाई दी है. इसके बाद खेल गांव में एंटी सेक्स बेड को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल प्लेयर्स को जो बेड मिला है वो एंटी सेक्स बेड है.

दरअसल खेल गांव में एथलीट जिस बेड पर आराम करेंगे उस बोड को एंटी-सेक्स बोला जा रहा है. इस बेड को एंटी सेक्स बेड इसलिए बोलते हैं क्योंकि इस पर एक ही इंसान एक बार में सो सकता है. इस पर सेक्स या रोमांस भी नहीं हो सकता है. एंटी सेक्स बेड कॉर्ड बोर्ड के बने होते हैं. इस पर सिर्फ एक आदमी सो सकता है. अगर इस पर एक से अधिक आदमी सो तो वो फौरन टूट जायेगा.

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दूसरे शब्दों में समझना है तो इस पर सेक्स करने के बारे में प्लेयर सोच नहीं सकते हैं.वही प्लेयर इस बेड से नाराज है और उनका बोलना है कि ये बेड उनका खुद का भार भी सह नहीं पाएगा और बेड का साइज भी छोटा है. उन्हें अगर रात को नींद नहीं आएगी तो अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पायेगे.

दूसरी तरफ कुछ प्लेयर्स ने यहां तक बोला कि अगर ऐसे बेड पर सुलाना है तो कंडोम क्यों बांटे हैं. बताते चले कि जहां भी ओलंपिक की मेजबानी होती है वहां पर कंडोम दिया जाता है.

दरअसल, जिस देश में ओलंपिक खेला जाता है, वहां पर कंडोम दिए जाते है. ताकि एचआईवी का खतरा ना रहे. कंडोम के बांटने की वजह से ओलंपिक विवादों में आ गया था. एक जर्मन एथलीट ने बोला है कि कई रात वो सेक्स के दौरान आने वाली आवाजों के चलते सो नहीं पाती थी.

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