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विरोध-प्रदर्शन से डरा पाकिस्तान, बलूचिस्तान में 44 सरकारी कर्मचारियों को हटाया

नई दिल्ली : पाकिस्तान के इस्लामाबाद में बलोच क्रांति की आग लगातार जल दहक रही है जिसकी आंच में पूरा पाकिस्तान जल रहा है. इसी बीच बलूचिस्तान में सरकार ने तुर्बत और कोहलू में बालाच बख्श की हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने और उसे बढ़ावा देने के लिए 44 कर्मचारियों को निलंबित कर दिया है.

मकरान डिविजन के कमिश्नर ने आधिकारिक अधिसूचना जारी कर के इस बात की जानकारी दी की तुर्बत में विभिन्न विभागों के 30 से ज्यादा सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है. अधिकारियों के मुताबिक यह निर्णय हाल ही में जिला खुफिया विभाग की बैठक में लिया गया है. बैठक में यह माना गया कि इन अधिकारियों की संलिप्तता सरकार विरोधी धरने और रैली में थी.

इसके अलावा कोहलू में 14 सरकारी कर्मचारी धरने में भाग लेने और लंबे समय तक समर्थन करने की वजह से निलंबित कर दिया गया है. जिन कर्मचारियों के खिलाफ ये अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू की गई है उनमें से ज्यादातर शिक्षा विभाग से संबंधित हैं, जो वहां के कई स्कूलों में शिक्षक के रूप में काम करते हैं. इन अधिकारियों पर कर्मचारी दक्षता और अनुशासन अधिनियम यानी बीईईडी 2011 के तहत कार्रवाई होगी.

तुर्बत में प्रदर्शन तब शुरू हुआ जब आतंकवाद निरोधक विभाग यानी सीटीडी की न्यायिक हिरासत में फर्जी मुठभेड़ में बालाच बलूच और अन्य तीन की मौत हो गई. जब तीनों का शव परिवारों को सौंपा गया तो उन्होंने इसे हत्या करार दिया और शव को शहीद फिदा चौक पर रखकर विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया. बालाच के घरवालों का कहना था कि पुलिस उनकी नहीं सुन रही, ना ही उनकी एफआईआर लिख रही है. इसके बाद प्रदर्शन की आग पूरे जिले में फैल गई. धीरे-धीरे यह विरोध पाकिस्तानी सेना के बलूची लोगों पर किए गए अत्याचारों के खिलाफ एक मुहिम में बदल गया.

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