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PM ने दादरी पर दुख जताया, शिवसेना बोली-गोधरा की वजह से करते हैं मोदी का सम्मान

bihar-poll25_1444795276नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दादरी हत्याकांड और मुंबई में गुलाम अली का शो कैंसल होने पर पहली बार खुलकर बोला है। बांग्ला न्यूजपेपर आनंद बाजार पत्रिका को दिए इंटरव्यू में मोदी ने कहा, ”दादरी और गुलाम अली से जुड़ी घटनाएं वाकई दुखद हैं। लेकिन इसमें केंद्र का क्या रोल है?” बता दें कि दादरी में गोमांस खाने की अफवाह के बाद अखलाक नाम के शख्स की पीट कर हत्या कर दी गई थी। वहीं, पिछले दिनों शिवसेना के विरोध के कारण पाकिस्तानी सिंगर गुलाम अली का मुंबई और पुणे में होने वाला शो कैंसल करना पड़ा था।
हालांकि, महाराष्ट्र में बीजेपी की सहयोगी शिवसेना के नेता संजय राउत ने मोदी के बयान पर कहा, ”अगर पीएम ने दादरी पर इस तरह का बयान दिया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। जिस नरेंद्र मोदी जी की पहचान विश्व में गोधरा-अहमदाबाद की वजह से हुई है, और उसी वजह से हम मोदी जी का आदर भी करते हैं। उसी मोदी जी ने अगर गुलाम अली और कसूरी जी की घटनाओं को अनफॉर्चुनेट कहा है तो हम सबके लिए ये बात अनफॉर्चुनेट है। मुझे लगता है, यह बयान देश के पीएम का है। हमारे प्रिय नरेंद्र मोदी जी का नहीं।”
पहले भी बोल चुके हैं पीएम
पीएम ने पहली बार दादरी हत्याकांड और गुलाम अली का शो कैंसल किए जाने के मुद्दे पर सीधे सवालों का जवाब दिया है। हालांकि, इससे पहले बिहार की रैली में उन्होंने कहा था कि छोटे-मोटे लोग इस तरह की घटनाओं का राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश करते हैं। लोगों को प्रेसिडेंट मुखर्जी के बताए रास्ते को फॉलो करना चाहिए। बता दें कि पीएम के इस बयान से एक दिन पहले ही प्रेसिडेंट प्रणब मुखर्जी ने दादरी की घटना पर दुख जताते हुए सबको मिल-जुलकर रहने की नसीहत दी थी।
पीएम ने इंटरव्यू में और क्या कहा?
> पीएम ने दादरी की घटना को लेकर विरोधियों पर राजनीति करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि वे इस तरह की घटना का समर्थन नहीं करते, लेकिन विरोधी इसे बेवजह मुद्दा बना रहे हैं।
> उन्होंने कहा, ”जो पार्टियां बीजेपी पर सांप्रदायिक होने का आरोप लगाती हैं, दसअसल वे खुद ही सांप्रदायिक हैं। क्या वे ध्रुवीकरण की राजनीति नहीं कर रहीं?”
> मोदी ने कहा, ”बीजेपी शुरू से ही छद्म धर्मनिरपेक्ष राजनीति का विरोध करती रही है। यह दुखद है कि आज भी समाज को इस तरह की घटनाओं का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन बातचीत और बहस से इसे कम किया जा सकता है।”

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