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पीएम मोदी ने मप्र चुनाव में किया खास प्रयोग, लोकसभा की राह होगी आसान

नई दिल्ली (गौरव ममगाई): मध्य प्रदेश की 230 विधानसभा सीटों पर मतदान आज शुक्रवार सुबह 7 बजे से शुरू हो गया है। इस चुनाव में लगभग 20 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के सामने एंटी इनकमबेंसी से पार पाकर फिर सरकार बनाने की बड़ी चुनौती है, वहीं कांग्रेस के लिए करो या मरो की स्थिति बनी हुई है। यह चुनाव कई मायने में खास है। लोकसभा चुनाव से पहले हो रहे इस चुनाव में पीएम नरेंद्र मोदी ने खास प्रयोग किया है। इसी रणनीति के तहत यहां केंद्रीय मंत्री समेत चार सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा गया है। राजनीतिक जानकार बताते हैं कि पीएम मोदी इस चुनाव के जरिये यह जांच लेना चाहते हैं कि इन मंत्री सांसदों को दोबारा लोकसभा में उतारा गया तो जनता का क्या रिस्पॉन्स रहेगा। चुनाव नतीजों में इनका प्रदर्शन ही तय करेगा कि इन्हें टिकट देना है या नहीं।

पीएम मोदी को भारतीय राजनीति में नये युग का प्रणेता यूं ही नहीं कहा जाता है। ज़ब कांग्रेस की सोच इन चुनावों में हार-जीत तक सीमित है, तब पीएम मोदी 2024 लोकसभा चुनाव की रणनीति को भी अंजाम दे रहे हैं। नरेंद्र मोदी ने मध्य प्रदेश में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय समेत 7 सांसदों को टिकट दिये हैं। यही रणनीति राजस्थान में भी अपनायी गई। माना जा रहा है कि मोदी इन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट तो देना चाहते हैं, लेकिन जीत को लेकर कुछ अशांकित हैं। इसलिए मोदी ने इस आशंका को दूर करने के लिए दिग्गज मंत्री व सांसदों को विधानसभा चुनाव में उतार दिया। कांग्रेस जैसी पार्टी में ऐसे बड़े दिग्गजो को छोटे चुनाव में उतारना कल्पना से परे है, लेकिन यह पीएम मोदी की इच्छाशक्ति एवं स्वीकार्यता ही है कि किसी ने चूं तक नहीं किया। जाहिर है कि 3 दिसंबर को आने वाले चुनाव नतीजें भाजपा के लिए आगामी लोकसभा चुनाव के फैसले की राह थोड़ी आसान बना देंगे।

शिवराज और कमलनाथ के लिए करो या मरो स्थिति
एमपी विधानसभा चुनाव में भाजपा के शिवराज सिंह चौहान और कांग्रेस के कमलनाथ के सामने करो या मरो जैसी स्थिति है। लगभग 20 साल से सत्ता पर काबिज मुख्यमंत्री शिवराज के लिए इस बार दोबारा सत्ता हासिल करना आसान नहीं होने वाला है। हालांकि, पीएम मोदी ने इसे भांपते हुए ही चुनावी कमान अपने हाथों में ली है। इसके बाद से भाजपा को उम्मीद है कि मोदी मैजिक चला तो बड़ा उलटफेर तय है। वहीं, 2018 में सरकार बनाने के बावजूद महज डेढ़ साल भी सरकार चलाने में नाकाम पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ की इस चुनाव में प्रतिष्ठा दांव पर है। वह किसी भी हाल में स्पष्ट बहुमत हासिल करना चाहेंगे। खास बात ये भी है कि ये शिवराज और कमलनाथ दोनों ही अधिक उम्र के हैं। हो सकता है कि यह उनका आखिरी चुनाव भी हो, इसलिए भी चुनाव को जीतना दोनों के लिए बेहद जरूरी है।

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