गर्भवती होगी पोषित तभी बच्चा बनेगा सुपोषित : डॉ सुजाता
लखनऊ : गर्भावस्था में स्वस्थ आहार लेना बहुत ज़रूरी है क्योंकि गर्भस्थ शिशु को पोषण माँ से ही मिलता है | ऐसे में संतुलित आहार और नियमित तौर पर व्यायाम गर्भ में पल रहे बच्चे के लिए बहुत ही ज़रूरी है | ऐसा ही अनुभव मलिहाबाद निवासी 28 वर्षीय ममता बताती हैं कि जब उन्हें गर्भावस्था का पता चला तो उन्होंने तुरंत ही स्वास्थ्य केंद्र पर अपना पंजीकरण करवाया| गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक, आशा और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता की सलाह मानते हुए चार प्रसवपूर्व जाँचें करायीं | साथ ही आशा कार्यकर्ता पूनम और आँगनबाड़ी कार्यकर्ता नविता की सलाह पर आयरन फॉलिक एसिड, कैल्शियम तथा अन्य दवाओं का सेवन किया | संतुलित और पौष्टिक भोजन खाया और दो घंटे आराम किया | परिमाणस्वरूप गर्भावस्था में मेरा वजन भी बढ़ा और मैनें स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया, जन्म के दौरान बच्चे का वजन लगभग चार किलो था | बच्चे के जन्म के बाद भी मैनें आयरन और कैल्शियम की गोलियां लीं और आशा दीदी की सलाह पर अपने बच्चे को 6 माह तक केवल स्तनपान कराया|
किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय की वरिष्ठ महिला रोग विशेषज्ञ डा. सुजाता बताती हैं कि गर्भावस्था के दौरान और प्रसव पश्चात 6 माह तक पौष्टिक एवं संतुलित आहार, आयरन फॉलिक एसिड और कैल्शियम का सेवन करना चाहिए क्योंकि माँ अगर सुपोषित होगी तो बच्चा भी सुपोषित ही होगा | यदि गर्भवती में खून की कमी है तो गर्भवती के साथ-साथ बच्चे का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है | एनीमिया के कारण गर्भवती को समय से पहले प्रसव हो सकता है | साथ ही थकान, गर्भपात, प्रसव के दौरान और प्रसव पश्चात अत्यधिक रक्तस्राव, हाइपोथायरायडिज्म, संक्रमण हो सकता है यहाँ तक कि गर्भवती की मृत्यु भी हो सकती है | एनीमिया होने का एक कारण पेट में कीड़े होना भी होता है | इसलिए गर्भावस्था के दौरान चिकित्सक की सलाह पर एल्बेंडाजोल की गोली का सेवन जरूर करना चाहिए | यदि गर्भवती को खून की कमी है तो बच्चा समय से पहले और कम वजन का हो सकता है | बच्चे को भी एनीमिया हो सकता है | एनीमिया होने की वजह से बच्चे के बीमार पड़ने की आशंका बढ़ जाती है | डाक्टर की सलाह से गर्भावस्था की पहली तिमाही में फॉलिक एसिड का सेवन करना चाहिये क्योंकि यह बच्चों में होने वाले जन्मजात दोषों को रोकने में मदद करता है | आयरन को विटामिन सी जैसे नींबू पानी, संतरा, आँवले के साथ और कॅल्शियम का सेवन दूध के साथ करना चाहिए | आयरन और कैल्शियम का सेवन एक साथ नहीं करना चाहिए |
गर्भवती और धात्री को हरी पत्तेदार सब्जियां, दालें, मौसमी फल, पीले और नारंगी फल, अंकुरित अनाज, गुड़, चना, दूध और दूध से बने खाद्य पदार्थ का सेवन जरूर करना चाहिए | अपने भोजन में कार्बोहाईड्रेट , फैट, प्रोटीन, विटामिन , हाई फाइबर व सूक्ष्म पोषक तत्व आदि को शामिल कर संतुलित भोजन का सेवन करना चाहिए | साथ ही प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाले खाद्य पदार्थ जैसे विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थ, अखरोट, बादाम, सुपर फ़ूड जैसे हल्दी, अदरख , लहसुन आदि का सेवन करें | भोजन में आयोडीनयुक्त नमक का का ही उपयोग करें क्योंकि यदि गर्भवती के के शरीर में आयोडीन की कमी है तो बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक विकास हमेशा के लिए रुक सकता है | गर्भ में पल रहे बच्चे का मेटाबोलिज़्म भी कम हो जाता है | मस्तिष्क के विकास के लिए आयोडीन बहुत जरूरी है | गर्भावस्था के दौरान कम से कम चार प्रसवपूर्व जाँचें अवश्य करानी चाहिए और टिटेनस और व्यस्क डिप्थीरिया(टीडी) के दो टीके लगवाने चाहिए | इसके अलावा गर्भवती पर्याप्त मात्रा में स्वच्छ पानी पीये, खुले में शौच न करे और नंगे पैर न चलें |