रोहिताश्व कुमार को अनुशासनहीनता के मामले में नोटिस, पूर्व मंत्री ने पार्टी को बताया ‘मां’
Jaipur: भारतीय जनता पार्टी ने अनुशासनहीनता का आरोप लगाते हुए पूर्व मंत्री और बानसूर से विधायक रहे रोहिताश्व कुमार को नोटिस दिया है. पार्टी ने उन पर संगठन के वरिष्ठ नेताओं और पदाधिकारियों के खिलाफ अनर्गल बयान का आरोप लगाया है. बीजेपी के प्रदेश महामंत्री भजनलाल के दस्तखत से जारी नोटिस में यह भी कहा गया है कि अगर जवाब देना हो तो 15 दिन के भीतर दिया जाए नहीं तो यह मान लिया जाएगा कि उन्हें इन आरोपों की सफाई में कुछ कहना ही नहीं है.
दरअसल, दो दिन पहले ही बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने बयान देते हुए कहा था कि भगवान कृष्ण ने भी शिशुपाल की 99 गलतियां माफ की थी. अब रोहिताश्व कुमार को मिले नोटिस के बाद पार्टी में इस बात की चर्चा है कि शायद संगठन को पहला ‘शिशुपाल’ पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार के रूप में मिल गया है.
उधर, संगठन की तरफ से मिले इस नोटिस के बाद पूर्व मंत्री का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी उनकी मां है और मां से बेटे को कोई अलग नहीं कर सकता. रोहिताश्व कुमार ने कहा कि उनकी तरफ से जो भी बयान दिये गए वे तथ्यों के आधार पर थे और अगर पार्टी के नेता यह कहते हैं कि उन्होंने अलवर को संभाला या वहां के क्षेत्र के दौरे किए तो उसके दस्तावेज उपलब्ध करा दें, वे उनकी बात मान लेंगे.
रोहिताश्व ने कहा कि उन्होंने बीजेपी का ऐसे समय में साथ दिया था जब सरकार के अस्तित्व पर संकट आ रहा था. रोहिताश्व ने यह भी कहा कि भैरों सिंह शेखावत के समय सरकार को समर्थन देकर पूरे 5 साल गठबंधन की सरकार चलाने में उन्होंने मदद की थी. तब तो बीजेपी उन्हें नूर मोहम्मद कहा करती थी और आज उसी बीजेपी को रोहिताश्व कुमार सच कहने पर क्यों अखरने लग गए?
रोहिताश्व ने कहा कि उन्होंने पार्टी में पंडित दीनदयाल उपाध्याय (Pandit Deendayal Upadhyay), भैरों सिंह शेखावत (Bhairon Singh Shekhawat) और वसुंधरा राजे (Vasundhara Raje) जैसे नेताओं को आदर्श माना है.
बीजेपी ने पूर्व मंत्री रोहिताश्व कुमार को दिए नोटिस में कहा कि ‘उन्होंने दिनांक 1 जून 2021 को भारतीय जनता पार्टी अलवर उत्तर की आयोजित बैठक में एवं बैठक के बाहर भाजपा संगठन पर आरोप लगाया कि राजस्थान में भाजपा के नेता दफ्तरों से पार्टी चला रहे हैं. गाँव में कोई नहीं जा रहा है, जिसके कारण उप चुनाव में पार्टी को हार मिली है.’
इसके साथ ही रोहिताश्व से यह भी कहा गया कि उन्होंने भाजपा संगठन पर आरोप लगाया कि इस वक्त राजस्थान में विपक्ष का केंद्र में कांग्रेस जैसा हाल हो गया है. नोटिस में कहा कि उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि जिस तरह केंद्र में कांग्रेस विपक्ष के रूप में फेल हो गई है, वैसे ही राजस्थान में भाजपा का विपक्ष में हाल है. कांग्रेस के खिलाफ भाजपा के नेता भी दफ्तर में बैठकर राजनीति करने में लगे हैं और गांव में जाते नहीं है.
नोटिस में कहा गया कि रोहिताश्व ने भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व पर आरोप लगाते हुए कहा कि केंद्र के मंत्री-नेता भी अपने क्षेत्र में सीमित रह गए हैं. पूरे राजस्थान की कोई सुध लेने वाला नहीं है. केंद्रीय मंत्री भी अपने क्षेत्र तक सीमित हो कर रह गए हैं.’
नोटिस में कहा गया कि उन्होंने भाजपा संगठन पर आरोप लगाते हुए कहा कि मौजूदा भाजपा के नेता सिर्फ नेतागिरी कर रहे हैं. साथ ही यह भी कहा गया कि ‘अभी प्रदेश स्तर का कोई नेता नहीं है. जिसको पूरे राजस्थान की जानकारी हो. इसी कारण प्रदेश भाजपा को नुकसान हुआ है.’
नोटिस में रोहिताश्व को कहा गया कि इस प्रकार और भी अनेक अनर्गल आरोप भाजपा संगठन पर सार्वजनिक रूप से उनकी तरफ से लगाए जो तथ्यों से परे हैं. यह भी कहा गया कि उन्होनें प्रदेश पदाधिकारियों के लिए अपनी बातचीत में अपशब्द व गाली का उपयोग किया और इससे पार्टी की छवि को धूमिल किया जबकि वे भाजपा में कई महत्वपूर्ण पदों का निर्वाहन कर चुके हैं.
नोटिस में कहा गया कि उपरोक्त कृत्य द्वारा भाजपा संगठन को क्षति पहुंचाने का कार्य किया है, जो पार्टी के संविधान में वर्णित अनुशासन भंग की परिभाषा में आता है. रोहिताश्व को भेजे गए इस नोटिस की आखिरी पंक्तियां और भी रोचक हैं, जिसमें यह कहा गया कि यह नोटिस भेज कर लेख है कि ‘आप भाजपा अनुशासन भंग के उक्त कृत्य के लिये कोई स्पष्टीकरण देना हो तो इस सूचना पत्र मिलने के 15 दिन में प्रदेशाध्यक्ष के समक्ष प्रस्तुत कर दें, अन्यथा यह माना जाएगा कि आप पर जो अनुशासन भंग के आरोप है, उसके बचाव में आपको कुछ नहीं कहना है.’
इस नोटिस में साफ तौर पर चेतावनी देते हुए कहा गया कि अगर उन्होंने अपना स्पष्टीकरण नहीं दिया तो यह पूरा मामला आगे की कार्रवाई के लिए अनुशासन समिति को भेज दिया जाएगा.