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राजस्थानः अजय माकन ने कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी का पद छोड़ा, जानें वजह?

नई दिल्ली : राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने में एक साल का वक्त बाकी है। राज्य में मुख्यमंत्री कौन? को लेकर चर्चाएं जारी हैं। इसी बीच कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी अजय माकन ने पद से दूरी बनाने की फैसला कर लिया। इस संबंध में पार्टी के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को पत्र भी सौंप दिया गया है। अब सवाल हैं कि कांग्रेस दिग्गज के इस फैसले के सियासी मायने क्या होंगे?

माकन की इच्छा है कि उन्हें राजस्थान की जिम्मेदारी से मुक्त किया जाए। अब संभावनाएं जताई जा रही हैं कि राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की हाल ही में कमान संभालने वाले खड़गे के लिए नेता का फैसला मुश्किलें बढ़ा सकता है। दरअसल, मुद्दा माकन के इस्तीफा देने का नहीं, बल्कि उस मुद्दे का है, जो उन्होंने पद छोड़ते हुए उठाया है।

25 सितंबर को जयपुर में विधायक दल की बैठक के अलावा एक और बैठक बुलाने वाले तीन कांग्रेस नेताओं के खिलाफ नोटिस जारी किए गए थे। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Chief Minister Ashok Gehlot) के करीबी माने जा रहे इन तीनों नेताओं के खिलाफ कार्रवाई की बात भी कही गई थी, लेकिन करीब दो महीनों का समय बीत चुका है और अब तक एक्शन नहीं लिया गया है। कहा जा रहा है कि माकन इस बात से दुखी थे।

खबरें हैं कि यह एक मुद्दा है, लेकिन माकन के पद छोड़ने के पीछे की वजह कांग्रेस आलाकमान की तरफ से हो रही देरी भी हो सकती है। कहा जा रहा है कि बड़ा सवाल यह भी है कि कांग्रेस नेतृत्व राजस्थान में कमान में बदलाव चाहता है या नहीं।

29 सितंबर को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि राजस्थान पर एक या दो दिनों में फैसला लिया जाएगा। फिलहाल, सवाल बरकरार है कि फैसला क्या होगा? सचिन पायलट गुट को उम्मीद है कि राज्य में कमान बदली जाएगी। पायलट का कैंप दावा कर रहा है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने उन्हें चुनाव से पहले सीएम बनाने का वादा किया है।

सीएम गहलोत को विधायकों की तरफ से मिल रहे समर्थन के चलते खड़गे के लिए भी एक्शन लेना मुश्किल हो सकता है। फिलहाल, पार्टी की तरफ से शांति धारीवाल, पार्टी के चीफ व्हिप महेश जोशी और RTDC अध्यक्ष धर्मेंद्र राठौर के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने को भी संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।

अब सवाल माकन की टाइमिंग का भी है, क्योंकि राजस्थान में राहुल गांधी के नेतृत्व वाली भारत जोड़ो यात्रा भी एंट्री करने वाली है। ऐसे में पार्टी ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहेगी, जिससे यात्रा प्रभावित हो। एक और सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि जब पदयात्रा राजस्थान पड़ाव को पूरा कर लेगी, तब क्या होगा?

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