दस्तक-विशेष

नहीं रहे राम कृष्ण द्विवेदी, कांग्रेस में सब बोलते थे ‘पंडितजी’

लखनऊ: राजधानी लखनऊ के मलएवेन्यू चौराहा पर स्थित कांग्रेस दफतर में आप किसी से पूछ लेते, कोई बैठा है तो एक ही जवाब मिलता ‘पंडित जी हैं अपने कमरे में’। लम्बे समय तक अनुशासन समिति के चेयरमैन के रूप में पंडितजी यानी कि उत्तर प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठतम नेता, पूर्व गृहमंत्री राम कृष्ण द्विवेदी ने यूपीसीसी दफ्तर को गुलजार रखा। पूरे प्रदेश के कांग्रेसियों में शामिल हर छोटा बड़ा नेता जब भी मुख्यालय आता, एक बार पंडित जी से मिले बिना वापस न जाता। अपनी युवावस्था में तब के मुख्यमंत्री को चुनाव में पटखनी देने वाले राम कृष्ण द्विवेदी अब नहीं रहे, राजधानी लखनऊ के एक अस्पताल में उनका देहावसान हो गया।

यूपी कांग्रेस में रहकर इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सोनिया के अलावा राहुल से प्रियंका तक का दौर देखने वाले रामकृष्ण दिवेदी के निधन की हर एक को हैरान करने वाला है। वह कांग्रेस के अकेले ऐसे नेता थें, जिनके लिए हर एक के मन में विशेष सम्मान था और भविष्य में भी रहेगा। एक समय पर उन्हें पार्टी से बाहर करने का फैसला कार्यकर्ताओं को टीस देता रहेगा। ये बात अलग है कि उनके अंतिम समय में कांग्रेस ने उन्हें पार्टी में वापस लेकर खोया हुआ सम्मान वापस दिलाया।

पार्टी नेतृत्व पर कभी नहीं उठाया सवाल

कुछ दिनों पूर्व प्रदेश कांग्रेस की अनुशासन समिति ने १० कांग्रेस नेताओं को अनुशासनहीनता के आरोप में पार्टी से छह साल के लिए निष्कासित कर दिया था, तो निष्कासित किए गए इन नेताओं में पूर्व गृह मंत्री रामकृष्ण दिवेदी भी शामिल थे। पर एक सच्चे कांग्रेसी की तरह उन्होंने कभी पार्टी नेतृत्व पर सवाल नहीं उठाए।

जब इन निष्कासित नेताओं ने अपने निष्कासन को लेकर एक प्रेस कांफेंस की तब भी 87 वर्षीय राम कृष्ण द्विवेदी ने कहा कि उन्हें कांग्रेस की विचारधारा पर दृढ़ विश्वास है और वह पार्टी से निकाले जाने से बेहद दुखी हैं। ऐसा लगता है कि इसमें गहरी साजिश है और पार्टी में बाहर से आये तत्वों ने इसे अंजाम दिया है।

स्व0 रामकृष्ण दिवेदी ने अपने पूरे जीवन कांग्रेस की सेवा की। उन्होंने एनएसयूआई व यूथ कांग्रेस समेत कांग्रेस के अन्य संगठनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मूल रूप से गोरखपुर के विकास खंड जंगल कौडिया के भंडारों गांव के निवासी पंडित रामकृष्ण द्विवेदी दो बार विधान परिषद सदस्य भी रहे हैं। इसके सात ही उनकी कांग्रेस में काफी लम्बे समय तक गहरी पैठ रही है।

तत्कालीन मुख्यमंत्री को हराया

जब इंदिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री थीं, उस वक्त राम कृष्ण द्विवेदी उनके चहेते और सबसे ज्यादा विश्वासपात्र हुआ करते थे। इंदिरा गांधी से लेकर प्रियंका गांधी तक का दौर देख चुके राम कृष्ण दिवेदी ने तब के मुख्यमंत्री टीएन सिंह को मात दे दी थी। टीएन सिंह जिन्हें त्रिभुवन नारायण सिंह के नाम से जाना जाता है और वे 18 अक्टूबर 1970 से लेकर 3 मार्च 1971 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे हैं। तब उत्तर प्रदेश के गोरखपुर की मणिराम सीट से उपचुनाव लड़ने वाले राम कृष्ण दिवेदी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिभुवन नारायण सिंह को मात दी थी। इसके बाद राम कृष्ण दिवेदी को प्रदेश का गृह मंत्री भी बनाया गया था।

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