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खाद्य पदार्थो के कारण बढ़ेगी खुदरा महंगाई, ईंधन पर वैट घटाने के पक्षधर : RBI गवर्नर शक्तिकांत दास

नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है और महंगाई बढ़ने में 75 प्रतिशत योगदान खाद्य पदार्थो का रहेगा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई के अनुमान में करीब 75 प्रतिशत योगदान खाद्य पदार्थो के समूह का रहेगा। आरबीआई ने कहा कि महंगाई के पूर्वानुमान में बुधवार को मौद्रिक नीति समिति द्वारा लिये गये निर्णयों के परिणाम को जोड़कर नहीं देखा गया है।

आरबीआई ने खुदरा मुद्रास्फीति दर के चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.2 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही के लिए 5.8 प्रतिशत का अनुमान जताया गया है। फरवरी से अप्रैल के बीच खुदरा महंगाई दर में करीब 170 आधार अंकों की तेजी दर्ज की गई। रूस-यूक्रेन युद्ध से कोई राहत मिलती न देखकर और महंगाई पर काबू पाने के लिए मौद्रिक नीतिगत उपायों के जरिये आपूर्ति आधारित मुश्किलों से निपटा जाएगा। आरबीआई ने साथ ही रेपो दर में 50 आधार अंकों की भी बढ़ोतरी की घोषणा की है। इससे अब रेपो दर 4.9 प्रतिशत हो गया है।
ईंधन पर वैट घटाने के पक्षधर
वहीं दास ने कहा कि राज्यों द्वारा पेट्रोल और डीजल पर वैट घटाने से मुद्रास्फीति दर और इसके पूर्वानुमान में गिरावट आ सकती है। आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति के निर्णयों की घोषणा करने के अवसर पर शक्तिकांत दास ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा 21 मई 2022 को पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती की घोषणा के बाद शहरी क्षेत्र के घरों में मुद्रास्फीति दर पर इसके असर को लेकर सर्वेक्षण किया गया।

केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने उत्पाद शुल्क में की गई कटौती से मुद्रास्फीति दर के पूर्वानुमान में कटौती की उम्मीद जताई। शक्तिकांत दास ने कहा कि भू राजनीतिक स्थिति अनिश्चित बनी हुई है और कमोडिटी बाजार भी अस्थिर है, जिससे घरेलू मुद्रास्फीति परिदृश्य में अनिश्चितता बढ़ गई है। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि हालांकि, सामान्य दक्षिण पश्चिम मानसून के अनुमान, खरीफ फसल के पूर्वानुमान, सरकार द्वारा आपूर्ति में सुधार के लिए उठाये गये कदम और उनके प्रभाव, इंडोनेशिया द्वारा पाम ऑयल के निर्यात पर लगा प्रतिबंध हटाने और वैश्विक स्तर पर धातुओं की कीमतों में आई नरमी से बढ़ी हुई कीमतों से कुछ हद तक राहत मिल सकती है।

उन्होंने कहा कि लेकिन इन सकारात्मक संकेतों के बावजूद, महंगाई के बढ़ने का जोखिम बना हुआ है। यह जोखिम कमोडिटी की कीमतों में तेजी, कई राज्यों में बिजली की दरों में संशोधन, मवेशियों और मुर्गी के चारे के दामों में तेजी, आपूर्ति बाधा, सेवा और विनिर्माण क्षेत्र में लागत मूल्य में बढ़ोतरी का बिक्री मूल्य पर अधिकाधिक असर, टमाटर की कीमतों में तेजी के कारण खाद्य पदार्थो की कीमतों में बढ़ोतरी और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के कारण बना हुआ है।

आरबीआई गवर्नर ने कहा कि चालू वित्त वर्ष में खुदरा महंगाई दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है और महंगाई बढ़ने में 75 प्रतिशत योगदान खाद्य पदार्थों का रहेगा। केंद्रीय बैंक के गवर्नर ने कहा कि वित्त वर्ष 23 में खुदरा महंगाई के अनुमान में करीब 75 प्रतिशत योगदान खाद्य पदार्थों के समूह का रहेगा। आरबीआई ने कहा कि महंगाई के पूर्वानुमान में बुधवार को मौद्रिक नीति समिति द्वारा लिये गये निर्णयों के परिणाम को जोड़कर नहीं देखा गया है। रिजर्व बैंक ने खुदरा मुद्रास्फीति दर के चालू वित्त वर्ष में 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। इसके अलावा चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए खुदरा महंगाई दर के 7.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 7.4 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.2 प्रतिशत तथा चौथी तिमाही के लिए 5.8 प्रतिशत का अनुमान जताया गया है।

आरबीआई ने वित्त वर्ष 23 में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर 7.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। केंद्रीय बैंक ने पहली तिमाही में जीडीपी विकास दर के 16.2 प्रतिशत, दूसरी तिमाही में 6.2 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 4.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.0 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है। गौरतलब है कि रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने बुधवार को रेपो दर में 50 आधार अंकों की बढ़ोतरी की घोषणा की। रेपो दर , वह दर है, जिस पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है।

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