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लंबी आयु के लिए भीष्म पितामह की ये तीन बातें जरूर याद रखें

स्वस्थ जिंदगी और लंबी आयु हर कोई चाहता है। लेकिन आज के दौर में लोग जिस लाइफस्टाइल को अपना रहे हैं, उससे जिंदगी छोटी होने लगी है। अच्छे स्वास्थ्य वाले लोग भी मौत के मुंह में समा रहे हैं। ऐसे में अगर आप लंबी आयु चाहते हैं तो आपको भीष्म पितामह के बताए गए नियमों का पालन करना चाहिए। आइए जानते हैं इच्छा मृत्यु के वरदान के साथ सदियों तक जीवित रहने वाले भीष्म पितामह के जीव संबंधी विचार और लंबी आयु प्राप्ति के तरीके।

एता बुद्धिं समांस्थय जीवितत्यं सदा भवेत् ।
जीवन् पुण्यमवाप्नोति पुरुषो भद्रमश्नुते।।
भीष्म पितामह ने श्लोक के जरिए बताया है कि पुण्य का संचय करना जरूरी होता है। लेकिन जो इंसान जीवित रहता है वही पुण्य का संचय करता है। इससे आय में बढ़ोत्तरी होती है। इसलिए कभी भी जीवन का परित्याग नहीं करना चाहिए। उन्होंने बताया है कि जीवन से निराशा नहीं होना चाहिए और आत्महत्या का विचार कभी भी मन में नहीं लाना चाहिए।

यथा यथैव जीवेद्धि तत्कर्तव्यमहेलया।
जीवितं मरणाच्छ्रेयो जीवन्धर्ममवाप्नुयात्।।
भीष्म पितामह ने श्लोक के जरिए बताया है कि जीवन को टिकाये रखने के लिए जो कुछ भी करना पड़े वह करना चाहिए। मरने से ज्यादा बेहतर जीना होता है। इसलिए जीने के लिए जो भी करना पड़े वह करना ही चाहिए। इसलिए अगर लंबा जीना चाहते हैं तो खराब से खराब हालात में भी जीने की आस ना छोड़ें।

आचाराल्लभते ह्यायुराचाराल्लभते श्रियम्।
आचारात्कीर्तिमाप्नोति पुरुष: प्रेत्य चेह च।।
उक्त श्लोक से भीष्म पितामह ने बताया कि आचार से मनुष्य को लंबी आयु मिलती है। इससे ही मनुष्य को धन प्राप्ति होता है।

पितामह का कहना है कि अच्छे व्यवहार और विचार से ही इंसान लोक और परलोक दोनों में ही निर्मल कीर्ति प्राप्त करता है।

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