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SBI ने जोर का झटका, लोन और FD पर घटाई ब्याज दर

बैंक ऑफ बड़ौदा ने ग्राहकों को बड़ी खुशखबरी दी है। बैंक ने लोन की मार्जिनल कॉस्ट ऑफ फंड बेस्ड ब्याज दरों (एमसीएलआर) में कटौती की है। इसमें पांच से 10 बेसिस प्वाइंट यानी 0.05 फीसदी से 0.10 फीसदी तक की कटौती की गई है।

इतनी हुई नई दर
बैंक की तरफ से किए गए इस बदलाव के बाद ओवरनाइट एमसीएलआर दर 0.10 फीसदी घटकर अब 7.55 फीसदी हो गई है। एक महीने के लिए दर पांच बेसिस प्वाइंट घटकर 7.55 फीसदी हो गई है। इसके अलावा तीन महीने और छह महीने के लिए भी एमसीएलआर रेट में 0.10 फीसदी की कटौती की गई है, जिसके बाद यह क्रमश: 7.70 फीसदी और आठ फीसदी हो गई है।

12 फरवरी 2020 से लागू होंगी नई दरें
नई दरें 12 फरवरी 2020 से लागू होंगी। इससे ग्राहकों को काफी फायदा होगा क्योंकि नए ग्राहकों के लिए होम लोन, ऑटो लोन और दूसरे लोन सस्ते हो जाएंगे।

FD पर भी घटाई ब्याज दर
इतना ही नहीं, बैंक ऑफ बड़ौदा ने अपने फिक्स्ड डिपॉजिट यानी एफडी (FD) पर ब्याज दर में भी बदलाव किया है। इसकी नई दरें 10 फरवरी 2020 से लागू हो गई हैं। बदलाव के बाद बैंक ऑफ बड़ौदा सात दिनों से लेकर 10 साल तक की मेच्योरिटी वाले डिपॉजिट राशि पर 4.5 फीसदी से लेकर 6.25 फीसदी तक का ब्याज दे रहा है।

सबसे बड़े सरकारी बैंक ने भी दिया था तोहफा
इससे पहले देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने भी ग्राहकों को बड़ा तोहफा दिया था। एसबीआई ने लगातार नौवीं बार वित्त वर्ष 2019-20 के लिए एमसीएलआर में कटौती का एलान किया था। देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक ने एमसीएलआर में पांच बीपीएस की कटौती की थी। जिसके बाद यह दर सालाना 7.90 फीसदी से कम होकर 7.85 फीसदी हो गई है। नई दरें 10 फरवरी 2020 से लागू हो गई हैं। इससे ग्राहकों को फायदा होगा क्योंकि अब उन्हें सस्ते में होम लोन और ऑटो लोन मिल जाएगा।

आरबीआई ने किया था एलान
बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने रेपो दर में कोई बदलाव नहीं करने का एलान किया था। रेपो दर 5.15 फीसदी पर बरकरार है। लेकिन तब भी एसबीआई ने एमसीएलआर में कटौती की है। गुरुवार को केंद्रीय बैंक ने लोन को बढ़ावा देने के लिए एलान किया। आरबीआई ने बैंकों को कैश रिजर्व रेशियो (सीआरआर) में कटौती करने की छूट दे दी है, जो जुलाई 2020 तक लागू रहेगी। इस बैठक में कहा गया था कि छोटे और मझोले उद्योगों को ज्यादा से ज्यादा कर्ज मुहैया कराया जाए। इसके लिए जरूरत पड़े तो बैंक अपने आरक्षित कोष के अनुपात में कटौती कर सकते हैं।

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