Share Market Today: ट्रंप टैरिफ के झटके बरकरार, चालू होते ही फिर गिरा शेयर बाजार; Sensex 554 तो Nifty 22400 अंक लुढ़का

मुम्बई: शेयर बाजार ने बुधवार की सुबह गहरे लाल निशान के साथ शुरुआत की, जब अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लागू किए गए नए टैरिफ 9 अप्रैल 2025 से प्रभाव में आए। वैश्विक बाजारों पर इसके असर का सीधा प्रभाव भारतीय बाजारों पर पड़ा। सेंसेक्स 554 अंक की गिरावट के साथ 73,673.06 पर खुला जबकि निफ्टी 178 अंक टूटकर 22,357 पर आ गया। मंगलवार को मामूली सुधार के बाद निवेशकों को उम्मीद थी कि बाजार स्थिर रहेगा, लेकिन ट्रंप टैरिफ के लागू होते ही फिर एक बार बाजार में कमजोरी हावी हो गई।
इस गिरावट का सबसे बड़ा असर आईटी सेक्टर पर पड़ा है, जहां निफ्टी आईटी इंडेक्स 2 प्रतिशत की गिरावट के साथ कारोबार कर रहा है। विप्रो, एम्फैसिस, कोफोर्ज और टेक महिंद्रा जैसे दिग्गज शेयरों में 3 से 4 फीसदी तक की गिरावट आई है। खास बात यह है कि निफ्टी आईटी इंडेक्स के सभी दस कंपनियों के शेयर लाल निशान में हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि वैश्विक अनिश्चितता खासतौर पर तकनीकी कंपनियों पर भारी पड़ रही है।
आईटी सेक्टर में सबसे बड़ी चोट
निफ्टी आईटी इंडेक्स में जोरदार गिरावट देखने को मिली, जो 2 फीसदी लुढ़ककर 32,485.60 के आसपास पहुंच गया। विप्रो 4 फीसदी नीचे रहा, वहीं एम्फैसिस और कोफोर्ज में 3 फीसदी से ज्यादा की गिरावट आई। टेक महिंद्रा और पर्सिस्टेंट सिस्टम्स भी नुकसान में रहे। बाजार विशेषज्ञों के मुताबिक, अमेरिका के ट्रंप टैरिफ ने आईटी कंपनियों की वैश्विक डिमांड पर असर डाला है।
सेंसेक्स में नुकसान और फायदे वाले शेयर
सेंसेक्स के 30 शेयरों में से अधिकांश लाल निशान में रहे। टाटा स्टील और टेक महिंद्रा 3 फीसदी टूटे जबकि इंफोसिस, एचसीएल टेक और एलएंडटी 2 फीसदी तक गिरे। दूसरी ओर पावरग्रिड में 2 फीसदी की बढ़त रही, नेस्ले इंडिया और हिंदुस्तान यूनिलीवर भी हल्की तेजी के साथ कारोबार कर रहे हैं। महिंद्रा एंड महिंद्रा, एशियन पेंट्स और आईटीसी जैसे शेयरों में भी हल्की मजबूती देखी गई।
अमेरिकी बाजार भी दबाव में
अमेरिका में भी बाजारों पर दबाव देखा गया। डॉव जोन्स 320 अंक गिरा, जबकि S&P 500 और नैस्डैक क्रमशः 1.57 और 2.15 फीसदी फिसले। टेक कंपनियों पर सबसे ज्यादा असर पड़ा, जिससे नैस्डैक की गिरावट गहरी रही। एशियाई बाजारों की चाल से पहले ही संकेत मिल चुके थे कि टैरिफ का असर वैश्विक निवेश भावना पर भारी पड़ेगा।