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वैशाख संकष्टी चतुर्थी पर बना है सिद्धि योग, भद्रा का भी रहेगा साया, जानें डेट, पूजा का मुहूर्त और चंद्रोदय समय

नई दिल्ली : वैशाख माह का प्रारंभ 07 अप्रैल से हो गया है. हिंदू कैलेंडर मं 15 दिन कृष्ण पक्ष और 15 दिन शुक्ल पक्ष होता है. कृष्ण पक्ष की चतुर्थी संकष्टी चतुर्थी है. वैशाख संकष्टी चतुर्थी का व्रत 9 अप्रैल दिन रविवार को है. इस दिन भद्रा का साया है लेकिन ​सिद्धि् योग भी है. देखना होगा कि यह भद्रा स्वर्ग, पाताल या पृथ्वी में से कहां पर है. पाताल और स्वर्ग की भद्रा का प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होता है. वैशाख संकष्टी चतुर्थी के पूजा मुहूर्त और भद्रा का तोड़.

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, 9 अप्रैल को सुबह 09:35 बजे से वैशाख कृष्ण चतुर्थी तिथि शुरू हो जाएगी और यह 10 अप्रैल को सुबह 08:37 बजे तक मान्य होगी. वैशाख संकष्टी चतुर्थी व्रत 9 अप्रैल को रखा जाएगा.

वैशाख संकष्टी चतुर्थी को भद्रा लग रही है, लेकिन उसका प्रभाव पृथ्वी पर नहीं होगा क्योंकि भद्रा का वास पाताल लोक और स्वर्ग लोक में है. भद्रा का वास सुबह 06:03 बजे से 08:02 बजे तक पाताल में और सुबह 09:35 बजे तक स्वर्ग में है. स्वर्ग और पाताल की भद्रा का प्रभाव पृथ्वी पर नहीं मान्य होता है.

पंचांग के अनुसार वैशाख मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 09 अप्रैल 2023 रविवार को सुबह 09 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी. इसकी समापन 10 अप्रैल 2023 को सुबह 08 बजकर 37 मिनट पर होगा. संकष्टी चतुर्थी का व्रत चंद्रमा की पूजा के बाद ही पूरा होता है. ऐसे में ये व्रत 09 अप्रैल को रखा जाएगा.

गणपति की पूजा सुबह का मुहूर्त – सुबह 09:13 – सुबह 10:48
गणेश जी की पूजा शाम का मुहूर्त – शाम 06.43 – रात 09.33
चंद्रोदय समय – रात 10.02

वैशाख महीने के संकष्टी चतुर्थी वाले दिन भद्रा का साया का भी रहेगा. भद्रा की शुरुआत 08 अप्रैल 2023 रात 09 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगी और 09 अप्रैल 2023 को इसका समापन सुबह 09 बजकर 35 मिनट पर होगा. भद्रा में मांगलिक कार्य करने की मनाही है लेकिन गणपति की पूजा में कोई अवरोध नहीं आएगा.

विकट संकष्टी चतुर्थी पर भगवान गणेश और चौथ माता की पूजा करने से संतान पर आने वाले सारे संकट दूर हो जाते हैं. वैवाहिक जीवन में तनाव खत्म होता है. कमजोर बुद्धि वालों के आत्मविश्वास में वृद्धि होती है. घर कारोबार में आ रही समस्याओं से मुक्ति मिलती है, साथ ही रुके हुए मांगलिक कार्य संपन्न होते हैं.कहते हैं कि चतुर्थी पर चंद्रमा को अर्घ्य देने पर मानसिक कष्ट खत्म होते हैं और परिवार में खुशहाली आती है.

9 अप्रैल को जो लोग वैशाख संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखेंगे, वे गणेश जी की पूजा विधिपूर्वक करेंगे. इस पूजा में गणपति बप्पा को दूर्वा, सिंदूर, हल्दी, लाल पुष्प और मोदक अवश्य चढ़ाएं. मोदक के अलावा बूंदी के लड्डुओं का भोग भी लगा सकते हैं. इस दिन मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ओम गं गणपतये नमो नम: मंत्र का जाप कर सकते हैं.

संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने और गणेश जी की पूजा करने से सभी प्रकार के संकट, विघ्न और बाधाएं दूर हो जाती हैं. गणपति बप्पा की कृपा से सब कार्य शुभ और सफल होते हैं.

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