झारखण्डराज्य

झारखंड सरकार की नियोजन नीति पर विधानसभा के अंदर-बाहर भाजपा का जोरदार प्रदर्शन

रांची : झारखंड सरकार की ओर से हाल में घोषित नियोजन नीति (रिक्रूटमेंट पॉलिसी) को लेकर भाजपा के विधायकों ने सोमवार को झारखंड विधानसभा के अंदर और बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। विधायकों के हंगामे के कारण सदन में प्रश्न काल नहीं चल सका। वे सदन का कार्य स्थगित कर इस मसले पर चर्चा कराने और मुख्यमंत्री से जवाब की मांग कर रहे थे।

उनका कहना था कि सरकार ने 60-40 के अनुपात वाली रिक्रूटमेंट पॉलिसी लाई है। इससे प्रदेश में तृतीय और चतुर्थ वर्ग की नौकरियों पर राज्य के बाहर के लोगों का दखल बढ़ जाएगा।

होली के अवकाश के बाद सोमवार को बजट सत्र का दूसरा चरण जैसे ही शुरू हुआ, विपक्ष के विधायकों ने विधानसभा मुख्य द्वार पर जमकर तख्तियां लेकर प्रदर्शन किया और नारेबाजी की। उन्होंने ’60-40 नाय चालतो’ (60- 40 नहीं चलेगा) का नारा लगाया और युवाओं को ठगने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से इस्तीफे की मांग की।

विधायक नीलकंठ सिंह मुंडा ने कहा कि सदन से वर्तमान सरकार ने एक नियोजन नीति पारित कराई, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया। इसके बाद नियमत: सरकार को नई नियोजन नीति को पहले विधानसभा में पेश करना चाहिए था। ऐसा नहीं कर सरकार ने कैबिनेट के जरिए पॉलिसी पास की है। यह सदन की अवमानना है।

विधायक नीरा यादव ने कहा कि युवाओं को ठगनेवाली सरकार को नैतिकता के आधार पर इस्तीफा देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर वर्ष 5 लाख रोजगार का वादा कर सत्ता में आई हेमंत सरकार साढ़े तीन वर्ष में साढ़े तीन सौ युवाओं को भी नौकरी नहीं दे पाई। इसके बाद विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही भाजपा विधायक इस मामले को लेकर वेल में आकर नारेबाजी करने लगे।

हंगामे के बीच स्पीकर ने प्रश्नकाल जारी रखा। निर्दलीय विधायक अमित कुमार यादव ने नियोजन नीति पर अल्पसूचित प्रश्न लाया था। उन्होंने सरकार से जानना चाहा कि किन कारणों से कोर्ट ने नियोजन नीति रद्द की? क्या सरकार 60-40 के माध्यम से बाहरी को नौकरी देने का मार्ग प्रशस्त कर रही है।

जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि नियोजन नीति 2015 में सदन से पारित हुई थी। वर्तमान सरकार ने उसमें संशोधन किया, जिसे हाई कोर्ट ने रद्द कर दिया था। अब सरकार हाई कोर्ट के निर्णय के आलोक में नियुक्ति नियमावली में संशोधन करने जा रही है। इस बीच सदन में भाजपा विधायकों का हंगामा जारी रहा। ऐसे में स्पीकर को पहले हाफ में सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी।

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